कुणाल राजपुरोहित । हम हिंदुओ की एकता की बात करते है किंतु हिंदुओ की एकता की सब से पहली इकाई है परिवार ।
आज इस बड़े पैमाने पर किसी न किसी कारण से सास बहु, पति पत्नी, ननंद भौजाई, देवरानी जिठानी, भाई भाई में सामंजस्य नही है, मन मुटाव है । जली कटी बाते बोलना, ताने तंज इन सबसे बढ़ते बढ़ते फिर धीरे धीरे राम राम का रिश्ता भी न रहे उस हद तक की जो प्रक्रिया होती है, उस मे हमारा करोड़ो मानव संसाधन नष्ट हो रहा है । भारत मे न जाने कितने ही बिल गेट्स, जुकरबर्ग, एलन मस्क, स्टीव जॉब, लेरी पेज, आइंस्टाइन, निकोला टेस्ला पारिवारिक तू तू मैं मैं में भेंट चढ़ गए होंगे ।
इस मे संसाधन का सीमित होना एक बड़ा कारण है किन्तु इस के लिए मात्र भौतिक चीजे मात्र ही जिम्मेदार नही हो सकती, ह्यूमन साइकोलॉजी एंड इमोशनल अप ब्रिंगिंग का भी कुछ न कुछ रोल जरूर हो सकता है । हर समस्या को धर्मगुरुओं, कथाकारो और नेताओ पर नही छोड़ा जाना चाहिए । एक गुरु के चेले आश्रम की गद्दी के लिए और एक नेता के चेले राजनीतिक विरासत के लिए लड़ पड़ते है ये भी तो होता रहता है । अपनी समस्याओं और कमजोरियो की हर बात में कोनसप्रंसी थियरी ढूंढना, भाग्य को दोष देना या वेस्टनाइज़ेशन को दोष देकर पल्ला झाड़ देने और एब्स्ट्रैक्ट सॉल्यूशन से बात नही बनेगी । हैप्पीनेस कोच हैप्पीनेस इंडस्ट्रीज के नाम पर करोड़ो का बिजनस चल पड़ा है किंतु फिर भी परिवार टूट क्यो रहे है ? कुछ तो स्ट्रक्चरल डिफेक्ट है, उसका साइंटिफिक लॉजिकल सॉल्यूशन जरूरी है ।
अगर हम परिवारों को नही बचा पाएंगे तो न ही इकोनॉमी बचेगी, न ही धर्म बचेगा, न ही राष्ट्र बचेगा ।