भीमा करोगांव हिंसा तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश के मामले में गिरफ्तार पांच नक्सली समर्थकों के समर्थन में लिबरल ब्रिगेड और वामियों ने दिल्ली स्थिति प्रेस क्लब में जुटान किया था। गिरफ्तार लोगों के समर्थन में जुटने वालों में जिग्नेश मेवानी, प्रशांत भूषण अरुधंती राय, इंदिरा जय सिंह जैसे लोग शामिल थे जिनपर खुलेआम देश की अस्मिता पर हमला करने वाले आतंकियों का समर्थन का आरोप है। पूरी दुनिया जानती है कि किस प्रकार अफजल गुरू को फांसी की सजा मिलने पर प्रशांत भूषण ने रात 12 बजे के बाद सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के घर पहुंच गए थे। ये वही लोग है जो देश को अपमानित करने से कभी बाज नहीं आते। लेकिन इनके तर्क और तथ्य में सामंजस्य देखिये.. अदभुत तारतम्य दिखेगा।
दिल्ली के प्रेस क्लब में जब ये लोग एकत्रित हुए तो इन लोगों में से किसी ने गिरफ्तारी के कानूनी पहलू पर कोई बात नहीं कि ये लोग एक राग आलाप रहे थे कि देश में आपातकाल से भी बदतर स्थिति है। उनका कहना था कि मोदी सरकार के कार्यकाल में अभिव्यक्ति की आजादी छिन गई है? अब जरा बताइये कि अगर देश में आपातकाल से भी बद्त स्थिति है तो ये लोग प्रेस क्लब में कैसे इकट्ठा हुए? कोई इनसे पूछे कि क्या आपलोग मोदी सरकार की प्रशस्ति गान के लिए इकट्ठा हुए थे? प्रशांत भूषण के पिता जी से पूछा जाना चाहिए कि क्या आपातकाल में उन्हें ऐसा करने का अधिकार प्राप्त था? प्रशांत भूषण के पिताजी का नाम इसलिए लिया है कि उन्होंने आपातकाल को भुगता है। इससे साफ जाहिर है कि ये लोग न तो आपातकाल को जानते हैं न ही शांति या प्रगति काल से वाकिफ हैं। ये लोग सिर्फ अपना जंगलराज देश पर थोपना चाहते हैं।
प्रेस क्लब में जमा लिबरलों की फौज ने मोदी सरकार पर दूसरा आरोप लगाया कि इस सरकार में अभिव्यक्ति की आजाद छिन गई है। इनसे पूछा जाना चाहिए कि अगर अभिव्यक्ति की आजादी छिन गई है तो प्रशांत भूषण कैसे 12 बजे रात को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के घर पहुंच गए। अभिव्यक्ति की आजादी छिन गई है तो ये लोग कैसे सरकार के खिलाफ अनर्गल अभियान चला रखा है? आखिर किस अधिकार के तहत ये लोग देश और सरकार के खिलाफ अनाप-शनाप बोल रहे हैं? मोदी राज में किस मीडिया हाउस को पर बंदिश लगाई गई है? इससे साफ हो जाता है कि इन लोगों को संविधान तक की जानकारी नहीं है। होगी भी कैसे, क्योंकि इनलोगों का न तो संविधान में न ही लोकतंत्र तथा लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई किसी सरकार में विश्वास है। इन्हें तो देश में बस अराजकता चाहिए।
अगर देश में अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है तो तुम लोग लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई सरकार के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हर दिन गरियाते कैसे हो? इतनी गाली देने के बावजूद अगर अभी तक तुम लोग जेल में नहीं ठूंसे गए हो तो यही सबसे बड़ा सबूत है कि देश में अभिव्यक्ति की आजादी है।
URL: If there is an emergency in the modi government why are not you in jail?
keywords: exposed left Librals gang, freedom of speech, modi haters, prashant bhushan, bhima koregaon violence, modi government, लेफ्ट लिबरल गैंग, बोलने की आजादी, मोदी हेटर, प्रशांत भूषण, भीमा कोरेगांव हिंसा, मोदी सरकार