व्यापार में विज्ञापन तर्क़ का विकल्प है। दोबारा पढ़िये। व्यापार में विज्ञापन तर्क का विकल्प है। जितना जल्दी आप ये 7 शब्दो का वाक़्य समझ और गुण लेंगे जीवन जंजाल से मुक्त होने लगेगा। विज्ञापन एक तरीका है खराब को बेहतर दिखाने का। हारवर्ड के प्रोफेसर, इकोनॉमिस्ट, करीब 50 किताब लिखने वाले 7 फुट 2 इंच ऊंचे भारत मे अमेरिका के राजदूत गलब्रेत्थ ने एडवरटाइजिंग के बारे मे कहा था कि “Advertisement आपको बे-जरूरत की चीजें खरीदने को उकसाने की कला है।”
जब ये #विज्ञापनकीताक़त हारवर्ड यूनिवर्सिटी के 3 वैज्ञानिकों को 50,000 US डॉलर मे खरीदकर (चेक कमेंट 1) स्वस्थ्य जगत की कदाचित सबसे बड़ी फ़्रॉड अवधारणा को खड़ा करती है तो खून से कोलेस्ट्रॉल घटाने की मात्र एक दवा स्टेटिन का कारोबार ही 1400,00,00,000 डॉलर सालाना का होने लगता है। ओर ये कोलेस्ट्रॉल घटाने की #दवा जिन रोगियों को दी जाती है उनमें से 40% को 1 साल के अंदर अंदर एक ओर परमानेंट बीमारी (डॉयबिटीज) हो जाती है।
पर पहले Ancel Keys की कहानी:: करीब एक शताब्दी पहले अंसल साहब कैलिफोर्निया मे UC Barkley मे पढ़ लिख कर बड़ी Pharma कॉम्पनियों के संपर्क मे आये जिन्होंने अंसल जी को कुछ ऐसी थ्योरी विकसित करने को कहा जिससे उनकी पहले से बनी हुई खून से FAT(कोलेस्ट्रॉल) घटाने की दवा बेची जा सके। ज़ाहिर था कि किसी तरह खून की Fat (कोलेस्ट्रॉल) को अगर सेहत के लिये घातक साबित कर दिया जाये तो कोलेस्ट्रॉल घटाने की दवा का बिकना तय था।
लिहाज़ा अंसल साहब ने अपने सहयोगियों से खून मे higher Fat के कारण खोजने को कहा। पाया गया कि processed #Sugar (चीनी) इसका बड़ा कारण है। जब ये बात चीनी के बड़े उद्योगपतियों को पता लगी तो शुगर लॉबी ने अंसल साहब को 5 मिलियन US डॉलर देकर कहा (ये तथ्य खुद पद्मविभूषण Dr B M हेगड़े ने भी बताया था) कि इस तथ्य की कोई आंच चीनी उद्योग पर ना आये। बाद में ये सरकारी जाँच में उजागर भी हुआ व चारों वैज्ञानिको पर मुक़द्दमा चलाने के आदेश हुए पर दुर्भाग्यवश उनकी तब तक मौत हो चुकी थी।
अब अंसल साहब ने 22 देशों के घी और चीनी उपभोग के उपलब्ध डेटा से चीनी का डेटा ड्राप करके ऐसे देश खोजे जहां लोग Fat ज्यादा खाते थे और दिल की बीमारियां भी थी। आखिर उन्हें 22 मे से मात्र 7 ऐसे देश मिल ही गये जहां दोनों गोटी फिट बैठ रही थी। बस जैसे अंधा क्या चाहे दो आँखे वैसे अंसल साहब क्या चाहे – दो पैसे!! तो उन कुछ आंकड़ों को आधार बनाकर उन्होंने “Seven Countries Study” के नाम से “Fat दिल के लिए खराब” बताकर 1958-1978 मे एकमात्र रिसर्च पब्लिश कर दी।
नतीजा:: दवा कंपनियों ने रिफाइंड बेचने वाली कंपनियों के साथ अखबारों/TV के माध्यम से विज्ञापन के दम पर जो गलत तथ्य स्थापित किया उसने रिफाइंड तेल को अमृत बनाकर आपकी सेहत बर्बाद कर दी। मधुमेह के बेतहाशा मरीज पैदा किये। जैसे एक बड़ी रेलगाड़ी स्पीड पकड़ने के बाद रुकने मे लंबा समय लेती है वही काम हमारे शहरियों के साथ Sick Care उद्योग कर रहा है। जो धारणा तीन दशकों में विज्ञापनों के सहारे खड़ी की गयी वो अगले कुछ सालो तक डाक्टर्ज़ व जनमानस के दिमाग़ में बैठी है। गलती से भी Sick Care को Health Care ना समझे वो भी विज्ञापनों से पैदा किया गया झूठ ही है। हेल्थ care बीमारियाँ होने से रोकने का नाम होता है। ह्रदय रोग आज भी इस Sick Care इंडस्ट्री (हॉस्पिटल्स) की दुधारू गाय है। जब तक आप रिफाइंड खाते रहेंगे आप खुद को हॉस्पिटल उद्योग का चारा बनाकर रखेंगें। अगर विज्ञापनो की सुनोगे तो दिल से हाथ धो लोगे।
घी घी है उसका मुक़ाबला नही।
साभारः #महकसिंहतरार