दीपक कुमार द्विवेदी । हम लोग सृष्टि उत्पत्ति के विषय बहुत हद तक समझ चुके हैं प्रलय कैसे होता है यह भी समझते होंगे सृष्टि आयु कितनी होती है यह भी हम लोग समझते होंगे नहीं समझते हैं फिर भी हमें समझना चाहिए यह सृष्टि उत्पत्ति परमब्रह्मा में अपनी शक्ति माया के माध्यम सृजित किया है सृष्टि आयु अंनत है इसका निर्धारण करना असंभव है क्योंकि सृष्टि उत्पत्ति का प्रलय का चक्र अनवरत चलता रहता है।
वर्तमान में सातवें मन्वन्तर के 28 वे चतुर्थीयुगी का कलयुग चल रहा है कलयुग का अर्थ होता है कर्म का युग अर्थात इस युग में कर्म प्रधान है जैसा व्यक्ति कर्म करेगा फल उसे तुरंत मिल जाएगा साथ में कलयुग को संक्रमण काल का भी युग कहा है क्योंकि कलयुग अधर्म तीन पांव में खड़ा रहता है धर्म एक पांव में खड़ा रहता है यह संक्रमण काल समय से पूर्व दिखाई देने लग गया है जो घटनाएं कलयुग चौथे चरण में दिखाई देती वह घटनाएं 5000 हजार वर्ष दिखाई देने लग गई यह कैसे हुआ इस विषय बात करने की आवश्यकता है इस लेख में हम वर्तमान की परिस्थिति में हमे क्या होगा जिससे धर्म में 2 पांव स्थिति हो जाए कलयुग प्रभाव भारत भूमि पर नहीं पड़े इस विषय पर हम विस्तार चर्चा करने जा रहे हैं
कलयुग प्रभाव किस तरह से दिखाई दे रहा है
कलयुग प्रभाव हमारे जीवन दिखाई देने लग गया है आज से 300 वर्ष पहले देश 90% हिंदू सनातन पुरातन वैदिक व्यवस्था को मानते हैं पिछले 300 वर्ष ऐसी स्थिति बनी 89% लोगों शास्त्र धर्म को छोड़ दिया प्राचीन वर्ण आश्रम व्यवस्था को भी त्याग दिया है जिसका यह प्रभाव हुआ जो समाज के नैतिक मूल्य इतने ऊंचे हुआ करते थे जिस समाज योगदान शिक्षा स्वस्थ्य विज्ञान अध्यात्म कला साहित्य आर्थिक क्षेत्र श्रेष्ठ हुआ करता था वह समाज मानसिक रूप गुलाम होता गया धर्म को नहीं समझने लगा जिसके कारण हमारा समाज पतित होता गया है जैसे लोग प्राचीन व्यवस्था छोड़ते गए वैसे पतित होते गए आज अपराधिक मामलों बढ़ोतरी भाई भाई का नहीं रहा रिश्तों मर्यादा समाप्त होने लग गई अब यह स्थिति हो गई हमारी सरकारें और कोर्ट हमारे बेडरूम तक पहुंच गए हमारे त्यौहारो पर रोक लगाई जा रही है हमारा विस्तार आज अफगानिस्तान से लेकर थाईलैंड तक हमारा विस्तार होता था आज हम सिमटकर 10% क्षेत्रफल पर रह गए आसुरी शक्तियां बहुत हावी होती जा रही है वर्तमान में जिस 10% क्षेत्र पर उसमें 9 राज्यों अल्पसंख्यक हो गए 4 राज्यों में लाइन में लगे हैं लगातार हम सिकुड़ते जा रहे हैं कारण हम अपनी प्राचीन व्यवस्था का तिरस्कार करने लगे हैं उन नियमों व्यवस्थाओ को नहीं मानते हैं जिसके कारण कलयुग प्रभाव समय पूर्व दिखाई देने लग गया है ।
कलयुग प्रभाव कम करने के लिए हमे क्या करना चाहिए जिससे अगले 10 हजार वर्ष तक कलयुग प्रभाव को कम कर सके।
समय गति को हम नही रोक सकते हैं फिर मनुष्य जो चाहे तो कलयुग में भी सतयुग ला सकता है कलयुग में सतयुग जैसी व्यवस्था को पुनः स्थापित करना धर्म की पुनः स्थापना कर सकता है यह कार्य तभी संभव हो सकता है कि जब अपने विचार बदलें विचार बदलने के लिए पश्चिमी माइंड सेट चलना बनना होगा अपने श्रुति और दर्शन परंपरा को समझने का प्रयास करना होगा अपने जीवन उतरना होगा कुछ लोग कहेंगे इस आधुनिक युग संभव नहीं है यह कैसे कह सकते हैं जो प्राचीन गुरुकुल व्यवस्था पुनः स्थापित किया जाए वर्ण आश्रम व्यवस्था का पालन किया जाए तो कलयुग को सतयुग बनाना भी संभव है इसके लिए प्रयास किया जा सकता।
कलियुग का प्रभाव कम करना है तो हमे अपना शत्रु बोध जागृति करना होगा बिना शत्रु बोध जागृति किए आसुरी शक्तियों का मुकाबला नहीं कर सकते है क्योंकि कलियुग में असुरी प्रवृत्ति हर मनुष्य मिल जाएगी इस प्रवृत्ति को कम करना तो यम नियम आसन प्राणायाम प्रत्याहार धारणा ध्यान के नियमों कठोरता पालन करना होगा हमारे अनुशासन नहीं है हम जो आसुरी प्रवृत्ति के प्रभाव आ गए तो असुर लोग हमारा इस्तेमाल कर लेंगे पता नहीं चलेगा अपना शत्रु बोध कैसे जाग्रत करें इसके लिए हर व्यक्ति अपने इतिहास का अध्ययन करना चाहिए अपने संस्कृति पर गौरव होना चाहिए हमें शास्त्र धर्म का पालन करना होगा तभी अपना शत्रु बोध जागृति हो पाएगा ।
हमे असुरों का प्रयोग अपने हित के लिए करना सीखना होगा कलयुग में असुर बहुत शक्तिशाली होंगे उसमें कुछ असुर धर्मात्मा भी होंगे उनका इस्तेमाल अपने हित मे कैसे कर सकते हैं यह हमे सीखना होगा उसके लिए हमें असुरों कुछ समझौते भी करने होंगें तभी कलयुग प्रभाव कम करने होंगे। कलियुग प्रभाव कम करने के लिए सबसे उत्तम उपाय भगवान श्री हरि का नाम जपना और धर्म का पालन करना दान धर्म को प्रोत्साहन देना है हरि नाम किसी विधि ले सकते हैं हर घर में प्रतिदिन हरि नाम लेना जरूरी है तभी कलयुग प्रभाव को कम कर सकते हैं ।
यह प्रयास आज कर लिए अगले 10 हजार वर्ष का भविष्य सुरक्षित हो जाएगा। नहीं तो वर्तमान जो स्थिति उस स्थिति में कलयुग प्रभाव नियंत्रित करना असंभव है इसलिए अब पहले ज्यादा अनुशासित होने की जरूरत है नहीं तो स्थिति हाथ से निकल जाएगी इसलिए कलयुग में हमे अंत तक हार नहीं माननी है धर्म का अनुसरण करते हुए धर्म की रक्षार्थ के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर देना है कलयुग में धर्म एक पांवे को कमजोर नहीं होने देना है हम लोग चाहें ले तो कलयुग सतयुग बना सकते हैं यह तभी संभव हो पाएगा जब धर्म को अपने धारण करेंगे जो अपने धर्म को धारण कर लिए कलयुग में सतयुग जैसी व्यवस्था स्थापित करने में कोई दिक्कत नहीं होगी हम सबको अपने विश्वास रखना होगा हम यह भगीरथी प्रयास कर सकते हैं कलयुग में सतयुग जैसी व्यवस्था स्थापित करने में कठिनाइयां बहुत है फिर असंभव नहीं है यह हम कर सकते हैं ।
जय श्री कृष्ण