अर्चना कुमारी। हरा टिड्डा समुदाय पूरे देश को आतंकी घटनाओं के लिए प्रयोगशाला बनाना चाहता है लेकिन उसके मंसूबों पर पिछले 7 सालों से नकेल कस दी गई है लेकिन इसके बावजूद कुछ हरे टिड्डे यदा-कदा कोई ना कोई आतंकी घटनाओं को अंजाम दे ही देते हैं। इनमें से ही एक है दरभंगा ब्लास्ट मामला, जिसमें कोई हताहत तो नहीं हुआ था लेकिन ब्लास्ट के पीछे मंसूबे बेहद खतरनाक थे ।
इस मामले को लेकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने दो हरे टिड्डे को गिरफ्तार किया । इनके नाम नासिर और इमरान है और दोनों की गिरफ्तारी हैदराबाद से गई है। पुलिस सूत्रों के अनुसार दोनों लश्करे तोइबा के हार्डकोर आंतकवादी हैं दरअसल पिछले साल 17 जून को दरभंगा रेलवे स्टेशन पर एक पार्सल (कपड़ों की एक खेप) में रखे शीशी से विस्फोट हुआ था, जांच में पता चला है कि यह एक केमिकल बम था, हालांकि विस्फोट में कोई घायल नहीं हुआ था।
इस घटना को आतंकी घटना माना गया और मामले की जांच बिहार पुलिस ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी को दे दी । राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने जांच के बाद इस बात का खुलासा किया है कि खेप को सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन पर बुक किया गया था। जांच में पाया गया कि हैदराबाद के आसिफ नगर के रहने वाले दो लोग और एक तीसरा संदिग्ध कई दिनों से इस खेप को दरभंगा भेजने की तैयारी में थे।
पार्सल में विस्फोटक लिक्विड रूप में था, जिसे बोतल में भरा गया था, बोतल को कपड़ों से लपेटा गया था और कपड़ों की खेप के रूप में बुक किया गया था। इसे मोहम्मद सूफियान उर्फ अरसद के नाम पर बुक किया गया था, हालांकि पार्सल में विस्फोटक से भरा बोतल दरभंगा रेलवे स्टेशन पर पहुंचते अचानक फट गया। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने जब इस मामले की जांच की तब इस मामले में सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन पर लगे सीसीटीवी फुटेज से सुराग मिले ।
फुटेज से पता चला दो व्यक्ति एक टैक्सी से उतरे थे और टैक्सी से उतारकर एक पार्सल स्टेशन के लगेज रूम में ले गए। इसके बाद जांच के दौरान, पुलिस को आसिफ नगर के दोनों लोगों की भूमिका पर संदेह हुआ। जब उनके आवास पर छापेमारी की गई तो दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया जबकि अब मोहम्मद सूफियान उर्फ अरसद के गिरफ्तारी के प्रयास में राष्ट्रीय जांच एजेंसी जुटी हुई है।
सूत्रों का दावा है कि इन आतंकियों की योजना चलती ट्रेन में यात्रियों को मारना था और इस घटना में कई लोग मारे जाते लेकिन ऐसा नहीं हो पाया वैसे जांच एजेंसियों से जुड़े अधिकारियों का यह भी कहना है कि इस पार्सल को कहीं और भेजा जाना था, जहां पर आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया जाता और इसमें दरभंगा मॉड्यूल के भी कुछ लोग जुड़े हो सकते हैं, जिनके पास यह पार्सल भेजा गया था लेकिन तीसरे संदिग्ध की गिरफ्तारी के बाद ही इस बाबत और राज खुलेंगे।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि दरभंगा पार्सल ब्लास्ट केस शुरू में जितना मामूली दिख रहा था, अब उतनी ही बड़ी साजिश लग रही है। इसके तार पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से भी जुड़ रहे हैं। अब इस मामले की साजिश की तह तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है । एनआईए सूत्रों का कहना है कि विस्फोट के सिलसिले में हैदराबाद से नासीर और ईमरान नामक जिन दो भाइयों को गिरफ्तार करके दरभंगा ले गए थे, दोनों लश्कर-ए- तैयबा के आतंकवादी हैं।
दोनों मूल रूप से उत्तर प्रदेश के शामली के रहने वाले हैं जबकि इन्होंने सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन पर सिकंद्राबाद-दरभंगा एक्सप्रेस (07007) में पार्सल बुक की थी। दोनों भाई लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी हैं, इनके आका पाकिस्तान में रहते हैं, वहां से इन्हें आदेश देते हैं।
मोहम्मद नाशिर साल 2012 में पाकिस्तान गया था, जहां उसने स्थानीय उपलब्ध केमिकल से आईईडी बनाने की ट्रेनिंग ली थी। वापस लौट कर अपने भाई इमरान के साथ पाकिस्तान के लशकर-ए-तैयबा आतंकी आकाओं के साथ संपर्क में थे। अभी एनआईए उनके आगे की साजिश की तहकीकात कर रही है।