इमरान खां पाकिस्तान के इतिहास में सबसे बड़े स्टार हैं। क्योंकि इमरान के नेतृत्व में पाकिस्तान को विश्वपटल पर बड़ा गौरव मिला है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने की राह में उनकी उस लोकप्रियता की बड़ी भूमिका रही है जिसने मुल्क को क्रिकेट में विश्वविजेता बनने का गौरव दिया। जब तक वे पाकिस्तानी टीम की अगुआई करते रहे, विश्व क्रिकेट में पाकिस्तान का पताखा पहराता रहा। लेकिन पाकिस्तान का यह सपना भारत के विश्वविजेता बनने के बाद साकार हुआ। इमरान थे तो स्पोट्समैन लेकिन वे क्रिकेट के पिच को भारत पाकिस्तान के मैच के दौरान हमेशा युद्ध के मैदान की तरह देखते थे।
इमरान के दौर में पाकिस्तान की टीम अब्बल हुआ करती थी। उस दौर में एक खिलाड़ी के तौर पर इमरान का भारत से नफरत इस कदर की वे अक्सर कहते थे कि भारत पाकिस्तान के बीच कश्मीर का फैसला क्रिकेट के मैदान में हो जाना चाहिए। उसी इमरान ने पाकिस्तान आर्मी के पपेट प्रधानमंत्री के रुप में कश्मीर राग फिर छेड़ा है। यह कह कर .. “इंसान चांद पर पहुंच गया। हम कश्मीर का समाधान कैसे नहीं कर सकते! इसके लिए जरुरत है दो मजबूत इरादेवाले सियासतदानों की इच्छाशक्ति का”। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लच्छेदार भाषा में भारत को शांति संदेश करतारपुर कॉरिडोर की नींव रखते समय दे रहे थे। इरादा दुनिया को यह दिखाने का कि पाकिस्तान ने भारत के सिखों के धार्मिक मामलों की कितनी कद्र करता है।
जिस पाकिस्तान की पैदाईस ही मजहबी धृणा के आधार पर हुआ। मुल्क बनते ही जहां के लोगों ने लगभग 90 प्रतिशत मंदिर गुरुद्वारे नष्ट कर वहां शौचालय तक बना दिए हों। हिंदुओं और सिखों को समूल नष्ट कर दिया हो वो कट्टर इस्लामिक देश हर दांव फेल होने के बाद जब मजहबी एका का दांव फेंक रहा है। ऐसे में पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री के रंगे सियार वाले फितरत को समझना जरुरी है।विभाजन के समय पाकिस्तान में हिंदुओं और सिखों की संख्या लगभग 35 प्रतिशत थी जो अब कुल जनसंख्या का 1.6 फीसदी है।
जहां भारत में अल्पसंख्यकों को आरक्षण के अलावा भी कई रियायतें दी जाती हैं, वहीं पाकिस्तान में अलपसंख्यको की सुरक्षा को लेकर कोई ध्यान नहीं जाता। यहां आए दिन हिंदुओं और सिखों पर अत्याचार किए जाते हैं, उनके घरों को हड़पा जाता है। वहीं अगर उनके धार्मिक स्थलों की बात करें तो वह भी सुरक्षित नहीं हैं। यहां कई हिंदू धार्मिक स्थलों पर हमले किए जाते हैं और जब शिकायतें दायर की जाती हैं, तो उनकी कोई सुनवाई नहीं होती। पाकिस्तान के मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि बीते 50 सालों में पाकिस्तान में बसे 90 फीसदी हिंदू देश छोड़ चुके हैं। धीरे-धीरे उनके पूजा स्थल और मंदिर भी नष्ट किए जा रहे हैं। हिंदुओं की संपत्ति पर जबरन कब्जे के कई मामले सामने आ रहे हैं। पाकिस्तान के अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार साल 2014 के आंकड़ों में सामने आया है कि यहां 95 फीसदी हिंदू मंदिरों को नष्ट किया जा चुका है। आंकड़ों के अनुसार साल 1990 के बाद से अल्पसंख्यकों के 428 पूजा स्थलों में से 408 को नष्ट कर, वहां समाधि, शौचायल, टॉय स्टोर, रेस्टोरेंट, सरकारी ऑफिस और स्कूल आदि बनाए गए हैं। केवल 20 ही पूजा स्थल ऐसे हैं जहां पूजा की जा रही है। अगर कहीं कोई मंदिर बचे भी हैं तो उनतक पहुंचने के रास्ते बंद कर दिए गए हैं। ताकि वहां कोई पूजा करने न जा सके।
बीबीसी के एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कुछ सालों में दलित हिंदुओं को सिख बनाने के लिए पाकिस्तान के सरकारी संगठनों ने राह आसान किया। ऐसा इसलिए क्योंकि लगातार बदहाल और कंगाल हो रहे पाकिस्तान को सिख पंथ के नाम पर विदेशों से कुछ पैसा मिल सके। खालिस्तान समर्थक गोपाल चावला जो हिंदु से सिख हो चुका है वो उस वक्त पाकिस्तान सेना प्रमुख के सात कार्यक्रम में था जब भारतीय प्रतिनिधि मंडल करतारपुर साहेब के दर्शन के लिए गया था। खालिस्तान के नाम पर कनाडा और लंदन से अतिवादी सिख लगातार पाकिस्तान में विदेशी मुद्रा भेजते हैं। पाकिस्तान में खालिस्तान समर्थक कुछ आतंकियों के बढ़ते तायदात से इस बात का भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि पाकिस्तान की इसके पीछे की साजिश क्या है !
दरअसल पाकिस्तान एक निर्लज्ज देश है। अपने वजूद में आने के बाद से पाकिस्तान दुनिया के सामने विकास के नाम पर हाथ फैलाता रहा और भिख में मिले पैसे आतंकवाद पर खर्च करता रहा। इसका सबसे ज्यादा नुकसान भारत को हुआ। आजादी के तुरंत बाद पाकिस्तानी सेना ने कबाईली आतंकियों के भेस में कश्मीर में घुसपैठ की। लगातार अमेरिका का पिट्ठू बनता रहा। अमेरिका को दक्षिण एशिया में एक कॉलोनी की जरुरत थी पाकिस्तान को इसके लिए इस्तेमाल किया गया। अमेरिकी कर्ज के ढेरों तले दबे पाकिस्तान की जरुरत जब अमेरिका को खत्म हो गई तो उसने ब्याज मांगना शुरु किया। ऐसे हालात में पाकिस्तान ने चीन के सामने हाथ फैला दिया। महाशक्ति बनते चीन को पाकिस्तान की जरुरत थी।
खाड़ी देशों में अपनी पहुंच बनाने के लिए चीन ने पाकिस्तान का इस्तेमान किया। लेकिन इस इस्तेमाल में पाकिस्तान कर्ज के बोझ के तले पूरी तरह से दब गया। आज हालात यह है कि पाकिस्तान के पास महज 10 बिलियन डॉलर का विदेशी मुद्रा है। यदि चीन अपना ब्याज मांगना शुरु कर दे तो पाकिस्तान हफ्ते भर में तबाह हो सकता है। पाकिस्तानी मीडिया के एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन से पाकिस्तान होते तुर्केमिनिस्तान के लिए अफगानिस्तान होकर जो कोरिडॉर बन रहा है उसके लिए पाकिस्तान सरकार ने जो पेमेंट चीनी कंपनी को किया था वो बाउंस हो गया। इस मसले की गंभीरता को समझा जा सकता है कि पाकिस्तान की माली हालात क्या है!
पाकिस्तान को पता है कि अपने ब्याज को वसूलने के लिए सूदखोर प्रवृतिवाला देश चीन किसी हद तक जाता है। हाल में श्रीलंका और कुछ अफ्रीकी देशों में सूद वापसी के नाम पर चीन ने उन देशों के द्वीप कब्जा कर वहां अपना सैनिक अड्डा बना लिए। पाकिस्तान को अब चीनी के कर्जदार होने का वही डर सता रहा है। इसी लिहाज से पाकिस्तान सिखों के प्रति धार्मिक सदभावना का भाव दिखा कर रंगे सियार के भेष में भारत को गुमराह करना चाहता है। भारत को पता है कि जब जब उसने पाकिस्तान को एक पड़ोसी के रुप में मदद की। दोस्ती के लिए हाथ बढ़ाया उसके चाल में फस कर उसने प्रधानमंत्री वाजपेई के लाहौर बस यात्रा की भेंट कारगिल में घुसपैठ के रुप में दी। जब मनमोहन सिंह ने हाथ बढ़ाया 26/11 दिया। फिर जब नरेंद्र मोदी ने हाथ बढ़ाया तो पठानकोर्ट वारदात को अंजाम दिया। भारत पाकिस्तान के दोगलापन और दोमुहापन को अब भली भाती जानता है। इसीलिए करतारपुर में धार्मिक सद्भाव के नाम पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के ढोंग को समझ लिया। कर्ज के बोझ तले कंगाली और बदहाली में बेहाल पाकिस्तान दुनिया के सामने आतंकबाद को सह देने वाले देश की बनी क्षवि को खत्म करने का जो पैंतरा चल रहा है भारत उसे भलीभांति समझ रहा है।
URL: PM IMRAN KHAN PERFORMS GROUND BREAKING OF KARTARPUR CORRIDOR,
KEY WORDS: IMRAM KHAN,PAKISTAN,INDIA RANGA SIYAR,रंगा सियार, इमरान खान