2002 में 59 हिंदू साबरमती एक्सप्रेस में जलाए गये! हमने क्या किया?हमने इसका स्थाई समाधान ढूंढने की जगह, अपनी स्ट्रीट पॉवर को भी समाप्त किया (जैसे अंग्रेजों एवं आजाद भारत के शासकों ने हिंदुओं की योद्धा जातियों को जातिवाद के नाम पर और शस्त्र रखने के अधिकार को कानून के नाम पर समाप्त किया था) और केवल इसका पोलिटिकल समाधान सोचा और सत्ता बदल डाली! लेकिन आज 20 साल बाद भी कन्हैया व कमलेश काटे जा रहे हैं, हम रामनवमी एवं अन्य धार्मिक उत्सव पर अपनी शोभा यात्रा नहीं निकाल पा रहे हैं और पिछले आठ साल में दिल्ली, बंगाल सहित करीब 3300 से अधिक दंगे देश भर में हो चुके हैं! यह स्वयं सरकार ने सदन में बताया है।
हमें धार्मिक और समाजिक रूप से बदलने की जरूरत है, लेकिन हम बार-बार सत्ता बदलने के ‘शॉर्टकट’ को ही समाधान माने बैठे हैं। इस कारण हम स्थाई समाधान की ओर अभी तक नहीं बढ़ सके हैं। अपने धर्म के शस्त्र और शास्त्र के विश्लेषण को हम पूरी तरह भूल चुके हैं।
शास्त्र जिनको सिखाना था वो हिंदू धर्म के सारे बाबा अली मौला पर ठुमके लगाने और अपने-अपने धंधे में व्यस्त हैं, और शस्त्र जिनके पास (पुलिस व सेना) है वह पूरी राज व्यवस्था संस्थागत रूप से ‘हरे टिड्डों’ का तुष्टीकरण करने व हिंदुओं को प्रतिकात्मक व काम चलाऊ राजनीति देकर वोट बटोरने में जुटी है!
‘हरे टिड्डे’ सामाजिक रूप से एक हैं, इसलिए हर सत्ता और नेता उनका ‘चाकर’ है! यहां तक कि अब हमारे ‘बाबा’ भी दीनार की खनक पर उनके लिए समर्पित हो चुके हैं! दूसरी तरफ भारत में हिंदुओं की संख्या अधिक होते हुए भी वह पार्टी और नेता को अपना ‘चाकर’ बनाने की जगह उनका ‘नौकर’ बनने में ही अपनी शान समझता और शेखी बघारता रहता है!
सामाजिक और धार्मिक रूप से जब तक हिंदुओं की मानसिकता में बदलाव नहीं आता, हिंदू कटता रहेगा, जलाया जाता रहेगा, दंगों में झुलसता रहेगा, और हिंदू समाज ही उसके साथ पूरी तरह से खड़ा होने की जगह अपनी-अपनी पार्टियों व जातियों को बचने के लिए पूरे हिंदू समाज को नपुंसक, कायर, कमजोर कह अपने नेताओं को खुश करता रहेगा!
अतः बहुत ढूंढ चुके पोलिटिकल समाधान, अब सामाजिक और धार्मिक समाधान की ओर बढ़ो, अन्यथा आज जिन नेताओं के लिए तुम अपने हिंदू समाज को गरियाते हो, कल जब तुम्हारे बच्चे कटेंगे तो कोई दूसरा उनकी मौत पर आंसू बहाने की जगह उन्हें भी कायर कह कर गरियाता मिलेगा! फिर न तुम्हारे वो नेता आएंगे, न जिनको गुरु कहते हो वो ‘दीनारी बाबा’ ही आएंगे!
सोचो, तुमने 70 साल में केवल सत्ता बदली है, ‘हरे टिड्डे’ 70 साल में तुम्हारी उन्हीं सत्ताओं का उपयोग अपने लिए करता रहा है! तुम ‘उपयोग’ करना सीखो, ‘उपयोग’ होना नहीं! फोटो: उदयपुर के कन्हैयालाल, जिनकी हत्या जिहादियों ने की।
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