हाल ही में यूपी के बुंलदशहर में जिस पुलिस अधिकारी सुबोध कुमार सिंह की भीड़ द्वारा हत्या कर दी गई वह भी बड़े स्तर पर बीफ मामला से जुड़ा हुआ है, हालांकि उसकी अभी जांच चल रही है। लेकिन दादरी में अखलाक हत्या के मामले को लेकर हाल ही में जिस प्रकार कोबरा पोस्ट ने खुलासा किया है उससे साफ हो गया है कि मोदी सरकार को बदनाम करने और गिराने के लिए वामपंथी और कांग्रेसी किसी हद तक जा सकते हैं। यूपी के दादरी में अखलाक की हुई हत्या मामले को लेकर वामपंथी और कांग्रेस समर्थक अवार्ड वापसी गैंग ने जिस प्रकार पूरे देश में बवाल मचाया था उसकी कलई पूरी तरह कोबरा पोस्ट के हाल के खुलासे से खुल गई है। वैसे उस समय भी अवार्ड वापसी गैंग की मंशा बिल्कुल साफ हो गई थी। वे लोग सांप्रदायिक हिंसा के नाम पर मोदी सरकार को गिराने तथा बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले महागठबंधन को राजनीतिक फायदा पहुंचाने के लिए ही यह बवाल खड़ा किया था। लेकिन कोबरा पोस्ट के खुलासे से यह साफ हो गया है कि दादरी में अखलाक की हुई हत्या मामले को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह की सरकार से लेकर अवार्ड वापसी गैंग तक मुसलमानों के समर्थन में जुट गए थे।
मुख्य बिंदु
* कोबरापोस्ट ने खुलास किया है कि अखिलेश सरकार के दबाव में नहीं आने के कारण पुलिस अधिकारी सुबोध सिंह का कर दिया था तबादला
* मुसलमानों की मदद करने के लिए तत्कालीन अखिलेश सरकार ने डॉक्टरों पर दबाव डालकर बदलवा दिया था गोवंश का मांस
अखिलेश की सरकार ने तो प्रदेश के पुलिस अधिकारी से लेकर वेटनरी डॉक्टरों तक पर दबाव डालकर गोवंश के मांस को भैंस के मांस में बदलवा दिया। तत्कालीन अखिलेश सरकार के दबाव में नहीं आने की वजह से ही इस मामले के जांच अधिकारी सुबोध कुमार सिंह का तबादला बनारस कर दिया गया। यह खुलासा कोबरापोस्ट ने बुलंदशहर में सुबोध कुमार सिंह की हुई हत्या से काफी पहले उनसे की गई बातचीत के आधार पर किया था।
“तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार ने अखलाक हत्या मामले में मौके से जब्त किए गए मांस के सेंपल को बदलने के लिए मुझ पर दबाव डाला था ” यह खुलासा सुबोध कुमार सिंह ने उस समय कोबरापोस्ट के साथ बातचीत में किया था जब कोबरा पोस्ट ने देश भर में गायों को बचाने के नाम पर हो रही हिंसा की सच्चाई जानने के बारे में तहकीकात कर रहा था। कोबरापोस्ट के साथ वृंदावन पुलिस थाने में छोटी सी बातचतीत के दौरान उन्होंने कई खुलासे किए थे। उसी दौरान उन्होंने बताया था कि किस प्रकार पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह के नेतृत्व में तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार ने डॉक्टरों और एफएसएल की रिपोर्ट बदलवाने के लिए दिन-रात जुटी हुई थी।
गौरतलब है कि 28 सितंबर 2015 को यूपी की दादरी स्थित बिसरा गांव में गोवंश के मांस खाने और घर में रखने के आरोप में गांववासियों ने ही अखलाक की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी, इस घटना में उनका छोटा बेटा भी गंभीर रूप से घायल हो गया था। इस मामले में झूठा प्रचार कर यह बताया गया कि अखलाक ने गोवंश की न तो हत्या की थी न ही उसके घर से गोमांस मिला था। झूठे प्रचार के तहत गोवंश के मांस को भैंस का मांस बताकर हिंदूवादी संगठनों पर सांप्रदायिक हिंसा फैलाने का आरोप लगाया गया था। इस मामले में जहां एक तरफ अखिलेश सरकार मुसलमानों का समर्थन करते हुए प्रशासनिक स्तर पर गोवंश के मांस को भैंस के मांस में बदलने के लिए पुलिस से लेकर डॉक्टरों पर दबाव बना रही थी वहीं इस मामले पर पूरे देश में बवाल मचाते हुए कांग्रेस ने अवार्ड वापसी गैंग तैयार कर दिया। अवार्ड वापसी गैंग ने मोदी सरकार और हिंदुओं को बदनाम करने तथा उस समय बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में लालू यादव के महागठबंधन को लाभ पहुंचाने के लिए अवार्ड वापसी का नाटक शुरू कर दिया।
लेकिन सचाई ज्यादा दिन नहीं छिपती। कोबरा पोस्ट के साथ बताचीत में सुबोध सिंह ने स्पष्ट रूप से बताया ” घटनास्थल से जो मीट जब्त किया गया था उस पर डॉक्टरों ने ओरिजिनल रिपोर्ट में लिखा था कि यह गाय का ही मीट है, लेकिन डॉक्टर से रिपोर्ट चेंज कराई गई। ” उन्होंने आगे बताया “लेकिन मैंने रिपोर्ट चेंज करने से मना कर दिया था, उसकी कॉपी आज भी मेरे पास है क्योंकि मैंने उसकी फोटो कॉपी करा ली थी जिसमे डॉक्टर ने लिखा है कि वह गाय का ही मांस था”। कोबरा पोस्ट के साथ बातचीत में उन्होंने कहा “डॉक्टरों ने मेरे पास असली रिपोर्ट भेज दी थी लेकिन जब वे लोग डीएम नागेंद्र प्रताप सिंह को बताया तो उन्होंने उठा के बोला कि वह रिपोर्ट वापस कर दो तो मैंने वह रिपोर्ट वापस कर दी, लेकिन तब तक मैंने उसकी फोटो कॉपी करवा ली थी।” सुबोध सिंह ने आगे बताया “रात में यह हुआ कि यहां भी चेंज कराया जाए मीट, लेकिन मैंने मीट चेंज करने से मना कर दिया”। उन्होंने बताया “अगले दिन एक एसडीएम, एक सीओ, डॉक्टर, एफएसएल मथुरा भी आए थे, लेकिन उन्होंने मीट देने से मना कर दिया, उस समय हमरा सब इंस्पेक्टर भी आया था”। इतना ही नहीं सुबोध कुमार ने तत्कालीन डीजी के बारे में भी बड़ा खुलासा किया था। उनके बारे में बताते हुए उन्होंने कहा था “हमसे जब डीजीपी साहब ने पूछा था कि प्रथम दृष्टया देखने के बाद तुम्हे क्या लगता है? तो मैंने बताया था कि खाल बरामद हो रही है, बैल की सफेद खाल बरामद हो रही इससे साफ है कि वह गाय का ही मीट है, फिर उन्होंने बोला कि आनन फानन में मीट को चेंज कर दो, वे लोग तीसरे दिन चेंज करवा रहे थे, 28 तारीख की जगह 31 तारीख को मीच चेंज कराया “। सुबोध कुमार सिंह के इस खुलासे साफ हो गया है कि अखिलेश सरकार सबुत को मिटाकर नया सबूत बनाने के लिए प्रदेश के हर प्रकार के अधिकारी पर दबाव डाला था।
अब सवाल उठता है कि जब सुबोध कुमार सिंह उस समय जांच अधिकारी होते हुए भी किसी प्रकार का भेदभाव किया ही नहीं फिर किस आधार पर हिंदू संगठनों द्वारा उनकी हत्या करने का नैरेटिव सेट किया जा रहा है? सुबोध कुमार सिंह जैसे कर्मठ पुलिस अधिकारी की हत्या दुखदायी घटना है। निश्चित रूप से इस प्रकार की घटना की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। क्योंकि कोबरा पोस्ट के इस खुलासे के बाद यह साफ हो जाता है कि जिस पक्ष पर अभी हत्या का आरोप लगाया जा रहा है उसका अखलाक हत्या की जांच से कोई आधार ही नहीं बनता है।
URL : In Akhlak murder case, Akhilesh government had turned beef into buffalo meat
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https://www.cobrapost.com/blog/many-months-before-subodh-kumar-singh-was-shot-dead/1354?fbclid=IwAR1TEykSz9B3-cLogoM2PKUcyJ-VEdtxTgJGfcmvXlIUDeAUvy4VFqf9vgc