जब से भारत सरकार के अथक प्रयास के कारण दीपक तलवार को प्रत्यर्पित कर दुबई से भारत लाया गया है तब से लुटियंस मीडिया और पत्रकार बेचैन है। ऐसा होना भी चाहिए क्योंकि तलवार के गिरफ्तार होने से कई लुटियंस पत्रकारों के आकाओं की जबान हलक में आ गई है। सबके सब डरे सहमें हैं कि कब किसका नाम सामने आ जाए। जब आका ही डरे हों तो फिर चाकरों में बेचैनी तो स्वाभाविक है। क्योंकि जैसे ही आका पर गाज गिरेगी ‘हड्डी’ मिलनी बंद हो जाएगी। दीपक तलवार के बारे में बताया गया है कि वे यूपीए सरकार के कई मंत्रियों और नेताओं के करीबी रहे हैं। उन पर आरोप है कि एयरबस डील के एवज में मिली दलाली के पैसे का इस्तेमाल उसने दिल्ली में पांच सितारा होटल बनाने में किया है। मिडिलमैन के रूप में तलवार ने जितने भी अवैध डील करवाएं हैं उनमें यूपीए सरकार के दौरान मंत्री रहे कई कांग्रेसी और अन्य दलों के नेताओं की संलिप्तता रही है। नहीं तो ऐसा कैसे हो सकता है कि मुंबई पोर्ट पर कस्टम क्लियर कराने वाला एक अदना सा एजेंट कुछ ही दिनों में अंतरराष्ट्रीय स्तर के सौदे का एक माहिर खिलाड़ी बन जाए।
गौरतलब है कि तलवार के खिलाफ एयर इंडिया और भारत सरकार और विदेशी एयरलाइन के बीच हुए समझौते में एक दलाल की भूमिका के अलावा ईडी उनके साथ यूपीए सरकार के मंत्रियों और नेताओं की संलिप्तता की भी जांच कर रही है। कहा जाता है कि उसी डील के कारण भारतीय एयरलाइन की यह दुर्दशा हो गई कि वह बिकने या बंद होने के कगार पर पहुंच गई थी।
दीपक तलवार से पहले भी पूछताछ करने वाले स्रोत के मुताबिक वह एक मिलनसार व्यक्ति है। मुंबई पोर्ट पर कस्टम क्लियरिंग एजेंट के रूप में काम शुरू करने वाले तलवार ने बहुत जल्द ही दुनिया भर के नेताओं और बिजनेसमैन से साठगांठ बढ़ा ली। यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान ही उन्होंने अपनी कंपनी खोल ली जो विदेशी कंपनियों को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड से भारत में निवेश करने की मंजूरी दिलाने में मदद करती थी। इसी दौरान उन्होंने एक भारतीय पवन ऊर्जा कंपनी के लिए काम करने लगा। उस कंपनी को विदेशी निवेश की जरूरत थी। मालूम हो कि यही पवन ऊर्जा कंपनी आज देश की सबसे ज्यादा एनपीए वाली कंपनी बनी हुई है। तलवार ने एक विदेश कैब कंपनी के लिए भी काम किया था और उन्होंने उसे भारत में कंपनी खोलने के लिए एफआईपीबी (विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड) से मंजूरी दिलाने का आश्वासन दिया था। तलवार ने एक स्पैनिश लोकोमोटिव निर्माता के लिए बिचौलिए का भी काम किया था और उसे भारत में ट्रायल भी कराया था।
जब विंडमिल कंपनी पर छापे मारे गए तभी पहली बार दीपक तलवार के संपर्क और पहुंच के बारे में पता चला। यह कंपनी तलवार को भुगतान तो करती थी लेकिन उसे कहीं दिखाती नहीं थी । उसी समय से देश की जांच एजेंसियों के रडार पर दीपक तलवार आ गया।
बाद में जैसे ही देश में इंडियन स्काइ एंड एविएशन उद्योग की शुरुआत हुई, तलवार की लौटरी लग गई। क्योंकि यूपीए सरकार ने उसे विदेशी एयरलाइनों के लिए प्रबंधन प्रतिनिधि बना दिया। उसी दौरान यूपीए सरकार के एक मंत्री तलवार के काफी नजदीक आ गए जो बाद में लंबे अरसे के लिए दोस्त बन गए। बाद में उन्होंने ही तलवार को कई सौदों को अंजाम तक पहुंचाने में मदद भी की थी । इसी मंत्री की मदद से तलवार मध्य एशिया देशों के कई एयरलाइंस के संपर्क में आ गया। उन्होंने अमीरात, एयर अरबिया तथा कतर एयरवे से बातचीत की थी।
तलवार ने एयर इंडिया के लाभ की कीमत पर उनलोगों को लाभदायक समय और रूट दिलवा दी। इसके ऐवज में उन देशों के एयरलाइंस ने तलवार को अकूत धन दलाली के रूप में दिया था। इसके साथ ही शेखों ने तलवार को अपने एयरलाइंस का मुख्य टिकट एजेंट बना दिया। इसी दौरान तलवार ने कई कांग्रेसी नेताओं के साथ यूपीए सरकार के मंत्रियों को मदद करता रहा और उसके एवज में अपने हित में काम कराता रहा। यहीं से उसका आर्थिक अपराध का सफर शुरू हो गया था।
तभी तो जांच कर रही ईडी जैसी जांच एजेंसियों का कहना है कि दीपक तलवार का यूपीए सरकार में मंत्री रहे कई कांग्रेसी नेता के साथ गहरे संबंध हैं। बाद में तो उन्होंने ब्रिटेन में अपने संबंधियों के नाम पर एक कंपनी खोली । जो तलवार को कमीशन के नाम पर दलाली और रिश्वत के रूप में मिले धन को इधर से उधर करती थी। क्योंकि उस कंपनी का कोई कारोबार नहीं था। इसके बाद उन्होंने अपने रिश्तेदारों को सिंगापुर भेजकर वहां भी एक कंपनी खोल ली। यह वह कंपनी थी जिसमें उसने अपने अधिकांश रिश्वत के पैसे लगाए थे।
अब जब तलवार ईडी के शिकंजे में आ चुका है तो आज न कल उनके करीबियों का भी पता चल ही जाएगा। इसीलिए आज-कल लुटियंस मीडिया और कांगी-वामी के पीडी पत्रकारों में बेचैनी देखी जा रही है।
URL : in comming days talwar may spill beans of top congress eaders!
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