PM नरेंद्र मोदी मंगलवार सुबह फ्रांस में हुई जी 7 सम्मिट में सम्मिलित होने के पश्चात भारत लौटे. जी 7 में सम्मिलित होने से पूर्व प्रधानमंत्री की फ्रांस के राष्टृपति के साथ् अहम द्विपक्षीय वार्ता हुई थी जिसके पश्चात वह द्विपक्षीय वार्ता के लिये यू ए ई और बाहरेन भी गये. इन तीनों देशों के दौरे के बाद वह जी 7 सम्मिट में सम्मिलित होने के लिये वापस फ्रांस आए.
प्रधनामंत्री मोदी का जी 7 सम्मिट में सम्मिलित होना अनेकों दृष्ट्कोणों से महत्व्पूर्ण है. भारत औपचारिक रूप से जी 7 फोरम का सदस्य नहीं है. लेकिन फिर भी फ्रांस के राष्ट्रपति ने भारत को इस सम्मिट का हिस्सा बनने के लिये आमंत्रित किया. प्रधानमंत्री मोदी ने इस सम्मिट में कई देशों के प्रमुखों के साथ द्विपक्षीय बैठकें कर न सिर्फ उन देशों के साथ सम्बंध मज़बूत किये बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की बढ़्ती अहमियत और सारे ज्वलंत वैश्विक मुद्दों पर भारत की बढ़्ती भूमिका को भी रेखांकित किया.
जिन ज्वलंत अंतराष्ट्रीय मुद्दों पर प्रधानमंत्री ने विभिन्न फोरम्स में भारत का मत प्रस्तुत किया, उनमें जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण सबसे अहम रहे. भारत सोलर एनर्जी के क्षेत्र में भरपूर काम कर रहा है. इसके अलावा विद्युत से चलने वाले वाहनों को लेकर भी भारत मज़बूती से आगे बढ़ रहा है. तो जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भारत अत्यधिक अहम भूमिका निभा रहा है.
इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने भारत में हो रहे डिजिटल चेंज से भी लोगों को अवगत कराया. गौरतलब है कि सरकार के ‘डिजिटल इंडिया अभियान’ के चलते न सिर्फ भारत के ग्रामीण इलाकों तक सस्ते दरों पर मोबाइल फोन और इंटरनेट पहुंच रहे हैं वरन भारत डिजिटल मीडिया का इस्तेमाल लोगों तक शिक्षा, चिकित्सा आदि ज़रूरी चीज़ें पहुंचाने के लिये भी कर रहा है.
लेकिन सम्मिट की सबसे बड़ी उपलब्धि रही प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्टृपति डानल्ड ट्रंप की बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता जिसमें नम्रता से लेकिन सख्ती के साथ भारत ने जम्मू और कश्मीर को लेकर अपना मत साफ कर दिया.
जम्मू और कश्मीर से धारा 370 हटाने के मसले को लेकर पाकिस्तान लगतार अंतराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष भारत की छवि बिगाड़ने की कोशिश कर रहा है. और इस तरह इस फैसले को पलटने के लिये भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है.
अमेरिकी राष्ट्र्पति ट्रम्प ने भी कई बार भारत को इस मसले को सुलझाने के लिये मदद करने का सुझाव दिया है. लेकिन मोदी ने जी 7 सम्मिट में राष्ट्रपति ट्रम्प को ये स्पष्ट रूप से कह दिया कि जम्मू और कश्मीर भारत का आंतरिक मसला है और इसे मसले में किसी भी तीसरे देश का हस्तक्षेप भारत को स्वीकार नहीं है. भारत इस मसले को द्विपक्षीय वार्ता के तहत सिर्फ पाकिस्तान के साथ सुलझाना पसंद करेगा, उन्होने कहा.
विश्व इस वक्त बहुत से उतार चढ़ावों के दौर से गुज़र रहा है. एक तरफ चीन और अमेरिका के बीच लगभग दो साल से चल रहे व्यापार युद्ध के चलते पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था कुछ कुछ चरमरा सी गयी है तो दूसरी तरफ तेल के मसले को लेकर इरान कटघरे में खड़ा है.
ऐसे में भारत एक ऐसी शक्ति की भूमिका निभा रहा है जो कि किसी भी गुट या खेमे क हिस्सा नहीं है बल्कि विभिन्न देशों के साथ अल अलग क्षेत्रों मीं अपने संबंध मज़बूत कर रहा है. और किसी के भी दबाव में आकर किसी दूसरे देश से अपने संबंधों को खराब नहीं कर रहा. भारत अमेरिका और ईरान दोनों के साथ अपने संबंधों में किस प्रकार का तालमेल बिठये हुए हैं, ये इस बात का ज्वलंत उदाहरण है. जी 7 सम्मिट में भी भारत ने अपनी इसी विस्तृत विश्वव्यापी छवि का परिचय दिया.