उत्तर प्रदेश के हाथरस केस को लेकर योगी सरकार आज सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करेगी। सर्वोच्च अदालत ने राज्य सरकार से तीन बिंदुओं पर जवाब देने के लिए कहा था। पीड़ित परिवार और गवाहों को किस तरह की सुरक्षा दी गई और इसको लेकर इन्ही सवालों के जवाब में योगी सरकार कोर्ट में हलफनामा दाखिल करेगी। इस बीच हाथरस केस में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए 10 दिनों का और वक्त दिया गया है। टीम को बुधवार को ही अपनी रिपोर्ट देनी थी। एसआईटी टीम के हेड गृह सचिव भगवान स्वरूप ने बताया कि जांच एक दो-चीजें रह गई थीं, जिसके लिए टीम को 10 और दिन मिले हैं।
एसआईटी हेड ने कहा कि ‘हमें कुछ और लोगों के बयान लेने थे और कुछ डॉक्यूमेंट्री एविडेंस और इकट्ठे करने थे, इसलिए हमने समय मांगा। उनके अनुसार पीड़ित परिवार का बयान लगभग पूरा हो गया है जबकि आरोपी पक्ष से भी हमने दो लोगों से बात की है। उनका कहना है कि हम अपनी जांच की डिटेल्स मीडिया से शेयर नहीं कर सकते लेकिन 16 अक्टूबर तक अपनी जांच रिपोर्ट सौंप देंगे।
तीन सदस्यीय एसआईटी की इस टीम में यूपी के गृह सचिव भगवान स्वरूप, डीजीपी चंद्रप्रकाश और एक पुलिस अफसर पूनम शामिल हैं। इस टीम ने पीड़िता के गांव, हमले वाली जगह और दाह संस्कार वाली जगह का दौरा किया है। एसआईटी के साथ एक फोरेंसिक एक्सपर्ट भी थे, जिन्होंने खेतों का परीक्षण किया, जहां पीड़िता गंभीर रूप से घायल मिली थी।
एसआईटी टीम बुधवार को भी पीड़िता के घर पहुंची थी और इसके पहले टीम मंगलवार को भी यहां आई थी। जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की संस्तुति की है, तो वहीं परिवार की सुरक्षा के लिए बेहतर इंतजाम किए गए हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देशों के तहत पीड़ित परिवार को ट्रिपल लेयर सुरक्षा उपलब्ध करा दी गई है। अब कांग्रेस के दंगाई नेता और आजतक-इंडिया टुडे के पत्रकार पीड़ित की आड़ में दंगे और फेक न्यूज का खेल नहीं खेल पाएंगे।
सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए डेढ़ कंपनी पीएसी व दो दर्जन पुलिस के जवानों को तैनात किया गया है। पीड़ित परिवार के घर व आसपास के इलाके में परिवार की सहमति से सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं जबकि एंट्री पॉइंट पर मेटल डिटेक्टर लगाया गया है। इस गांव के मुख्य मार्ग पर एक पुलिस जीप व 8 पुलिस कर्मचारियों को तैनात किया गया है। परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए दो-दो सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं।
उधर, मथुरा में पकड़े गए PFI के चार सदस्यों पर बुधवार को गैर कानूनी गतिविधियां अधिनियम की धाराओं के अंतर्गत एक बड़ी कार्रवाई की गई है। पकड़े गए चारों सदस्यों को बुधवार को कड़ी सुरक्षा के कोर्ट में हाजिर किया गया था, जिन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। हाथरस प्रकरण को लेकर सांप्रदायिक दंगा फैलाने के आरोप में सोमवार को यमुना एक्सप्रेस-वे के मांट टोल प्लाजा पर PFI के सदस्य अतीकुरर रहमान, आलम, सिद्दीकी और मसूद को गिरफ्तार किया गया था और खुफिया विभाग की रिपोर्ट के आधार पर विदेशों से हो रही फंडिंग को लेकर चारों सदस्यों की भूमिका को लेकर पुलिस ने एक और मुकदमा दर्ज किया है।
प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि हाथरस केस में एक बड़ी साजिश को लेकर फंडिंग की गई है और पूरे मामले को लेकर जांच जारी है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि जिस फर्जी वेबसाइट को हाथरस केस के लिए बनाया गया था उसके जरिए मॉरीशस से 50 करोड़ की फंडिंग की गई थी।
प्रवर्तन निदेशालय फंडिंग करने की स्रोत जानने के अलावा पीएफआई के रोल को भी जांंच रही है। इस बीच हाथरस कांड में कॉल डीटेल्स सामने आने से नया मोड़ आने के बाद पीड़िता के भाई ने पहली बार बयान दिया कि उसकी कभी आरोपी संदीप से बात नहीं हुई है। उसने बातचीत में कहा कि फोन नंबर पिता के नाम पर जरूर है लेकिन आरोपी के साथ कभी बात नहीं हुई है।
भाई ने आरोप लगाया कि परिवार को बदनाम करने और दबाव बनाने की कोशिश हो रही है। उसने कहा कि ‘मेरी बहन तो अनपढ़ थी, फोन कहां से चलाती। अगर बात होती थी तो रिकॉर्डिंग सुनाई जाए।’
बहराल उत्तर प्रदेश सरकार ने हाथरस में एक बड़ी साजिश को देखते हुए अपनी जांच तेज कर दी है हालांकि इस केस को सीबीआई से जांच कराने को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित पड़ा है।
दूसरी ओर कांग्रेस नेत श्योराज जीवन इस पूरे मामले में कथित दंगा कराने की साज़िश करता हुआ रिपब्लिक टीवी के स्टिंग में आया है। वही लुटियंस मीडिया की एक महिला पत्रकार पर भी प्राथमिकी दर्ज होने की सूचना है। उस पर साजिश रचते हुए पीड़ित परिवार पर फर्जी वीडियो बनवाने के लिए दबाव बनाने का आरोप है।