देश में मुख्यधारा की पत्रकारिता आज अगर गर्त की ओर अग्रसर है तो इसके लिए कोई और नहीं बल्कि कुछ दोगले पत्रकार ही जिम्मेदार हैं, क्योंकि कुछ पत्रकार एक ही मामले को अलग-अलग नजरिये से देखने के आदि हैं। तभी तो जो पत्रकार कठुआ मामले को लेकर हिंदुओं और देश को बदनाम करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रखा था वही पत्रकार आज बलात्कार के आरोपी पादरी के महिमामंडन पर चुप हैं। जो क्रिश्चियन समुदाय कठुआ मामले में बगैर जांच और सुनवाई के आरोपी को फांसी पर चढाने की मांग कर रहा था आज अपने बलात्कार के आरोपी पादरी का जेल से जमानत पर बाहर आने पर इस प्रकार स्वागत करने में जुटा है जैसे वह कोई जंग जीतकर आया हो।
Punjab: Bishop Franco Mulakkal who was released from Kerala's Kottayam jail yesterday after being granted unconditional bail by Kerala High Court, was welcomed in Jalandhar today. He is accused of raping a nun from Kerala. pic.twitter.com/k4H7J0FRMG
— ANI (@ANI) October 17, 2018
मुख्य बिंदु
* अपने ही नन के साथ कई बार बलात्कार करने के आरोपी पादरी का स्वागत ऐसे किया जैसे उसने कोई जंग जीता हो
* केरल हाईकोर्ट के जजों पर उठने लगा है सवाल, आखिर बलात्कार के आरोपी पादरी को किस आधार पर मिला बेल?
मालूम हो कि पंजाब के पादरी फ्रैंको मुलक्कल पर केरल की एक नन ने कई बार बलात्कार करने का आरोप लगाया था। बलात्कार के आरोप में केरल पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर कोट्टयम जेल में डाल दिया था। लेकिन क्रिश्चियनिटी समुदाय का दबाव कहें या फिर कोर्ट का भेदभाव कहें केरल हाईकोर्ट ने उसे बिना शर्त जमानत दे दी। केरल के कोट्टयम जेल से रिहा होकर जालंधर पहुंचे बलात्कार के आरोपी इस पादरी का क्रिश्चियन समुदाय के लोगों ने शानदार स्वागत किया। आरोपी पादरी का इस प्रकार स्वागत करने वाले यही लोग हैं जो कठुआ मामले में हिंदुओं को बदनाम करने के लिए सारा जोर लगा दिया था।
Garlanded And Showered With Flowers: Rape Accused Bishop Franco Mulakkal Gets Grand Welcome In Jalandhar https://t.co/pkdrNx3FhH
— Swarajya (@SwarajyaMag) October 17, 2018
क्रिश्चियनों ने अपने ही नन से कई बार रेप करने के आरोपी इस पादरी का फूल-माला पहनाकर स्वागत किया। उसके जालंधर आने पर फूलों की वर्षा की गई। इस प्रकार के स्वागत करने से यह सवाल उठता है कि क्रिश्चियनिटी में बलात्कार का आरोप लगने वालों को वीर माना जाता है? या फिर यह जानबूझ कर किया जा रहा है? यह दिखाने के लिए कि देखो हमारे किसी पादरी पर अपने ही नन का रेप करने का आरोप लगता है तब भी हम कोर्ट की बदौलत उसे रिहा करा लेते हैं। और तुम्हारे लोग अगर रेप नहीं भी करते हैं तब भी झूठे आरोप में जेल में सड़ा देते हैं। कठुआ केस मामले में यही तो हो रहा है।
अभी तक आरोप साबित नहीं होने के बाद भी सभी आरोपियों को जेल में रखा गया है। आरोपियों को ही नहीं जो लोग कोर्ट के इस भेदभावपूर्ण रवैये का विरोध किया उसे भी खामियाजा भुगतना पड़ा। किसी को मंत्री पद गवांना पड़ा तो किसी को अपनी पार्टी की नाराजगी झेलनी पड़ी। सबसे बड़ा सवाल तो केरल के हाईकोर्ट पर उठता है। आखिर वहां के जज ने किस आधार पर बलात्कार के आरोपी पादरी को बिना कोई शर्त जमानत दे दी। जबकि इसी प्रकार के मामले में देश के कई सारी जेलों में कई लोग सड़ रहे हैं। कठुआ का मामला साक्षात उदाहरण है।
URL: In Kathua, who defaming Hindus, now silent over welcoming rape accused bishop in Jalandhar
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