सरकारी सलाहकार निकाय भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने कुर्बानी के नाम पर पशुओं की हो रही हत्या को रोकने के लिए एक अभियान चलाया है। लेकिन कुछ लोगों ने इसे बेवजह मजहबी रुख देने पर तुल गए हैं। आज-कल एक फैशन चल गया है कि सरकार के हर कदम को मजहबी चश्मे से देखने का। कहा जा रहा है कि अगस्त में आने वाला मुसलिम त्योहार बकरीद को देखते हुए सरकार ने यह कदम उठाया है।
इस संदर्भ में हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित खबर के मुताबिक पशु कल्याण बोर्ड के कार्यकर्ता पशुओं के साथ होने वाली क्रूरता की निगरानी करने के अलावा उसकी रिपोर्टिंग करेंगे। मालूम हो कि भारतीय पशु कल्याण बोर्ड एक संवैधानिक निकाय है जो पर्यावरण, वन तथा जलवायु मंत्रालय के अंतर्गत काम करती है।
मुख्य बिंदु
*मुसलिम के बड़े त्योहारों में शुमार बकरीद के दिन बड़े पैमाने पर की जाती है पशुओं की हत्या
*पशुओं की हत्या को मजहब के साथ जोड़ने के तर्क को बेतुका मानता है पशु कल्याण बोर्ड
पशु के साथ क्रूरता के बारे में बताते हुए बोर्ड के अध्यक्ष एसपी गुप्ता का कहना है कि पशु की किसी प्रकार की कुर्बानी दंडनीय है। कुर्बानी के नाम किसी भी पशु की बलि की छूट नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि जो नहीं जानते वही इसे मजहब से जोड़ने की बात करते हैं। लेकिन इस अभियान का मजहब से कोई लेना-देना नहीं है। वैसे भी किसी मजहब में पशु की हत्या करने की अनुमति नहीं है।
गुप्ता ने कहा कि यदि पशु से क्रूरता की शिकायत को लेकर कोई राज्य सरकार कार्रवाई नहीं करती है तो उस पर भारतीय पशु कल्याण बोर्ड कार्रवाई करेगा। उन्होंने कहा कि हमलोग पहले कानून लागू करने वालों से शिकायत करेंगे, अगर उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं को तो फिर हमलोग संबंधित अधिकारी के खिलाफ कोर्ट में केस करेंगें।
जब इस बारे में देश में प्रचलित कानून को लेकर गुप्ता से पूछा गया कि देश में पशुओं की कुर्बानी पर पूरे देश में प्रतिबंध नहीं लगा है। 2017 के मई में केंद्र सरकार ने पशु मेले में हत्या के लिए खरीदे जाने वाले सभी जानवरों की बिक्री पर रोक लगाई है भले ही वह मजहब के लिए ही क्यों न हो। कुर्बानी पर प्रतिबंध नहीं लगने के बावजूद इस कानून का असर पूरे देश पर हुआ है। देश में कुर्बानी पर रोक नहीं होने के कानूनी पक्ष के बारे में गुप्ता ने कहा कि अगर इसलाम में कुर्बानी पर रोक नहीं है तो फिर कुर्बानी की निर्धारित प्रक्रिया भी होगी, जिसे कोई नहीं अपनाता।
इस मामले में अखिल भारतीय कुरैशी एक्सन कमेटी के अध्यक्ष अब्दुल फहीम कुरैशी ने कहा कि इस अभियान का मकसद ही मुसलमान को टारगेट करना है। उनका कहना है कि पशु तो महज बहाना है असली वजह तो मुसलिमों को घेरना है। उनका कहना है कि अगर यह प्रावधान लागू किया गया तो फिर हर कार्रवाई एक अपराध होगी। सेंटर फॉर इक्विटी के निदेशक हंर्ष मंदर ने भी कहा है कि कुर्बानी देने वाली कम्युनिटी यानि मुसलमान को ध्यान में रखकर ही यह दिशा निर्देश जारी की गई है!
URL: In the name of kurbani goa govt start campaign launched against animal killing
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