वामपंथी प्रोपागंडा न्यूज चैनल एनडीटीवी और उनके मालिक प्रणय राय तथा राधिका राय की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। उन पर कर चोरी के मामले में काले बादल मंडराने लगे हैं। आयकर विभाग ने इनके खिलाफ कर चोरी के मामले को लेकर आपराधिक मुकदमा दायर करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस मामले में आरोप पत्र दाखिल होते ही प्रणय राय और राधिका राय पर गिरफ्तारी की तलवार लटक जाएगी।
सूत्रों के अनुसार, वित्त मंत्रालय में मौजूद कांग्रेसी कल्चर के कुछ लोगों ने तो इस पूरे मामले को दबाने का भरपूर प्रयास किया था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पैनी नजर के कारण ऐसा संभव नहीं हो सका। वित्त मंत्रालय के अधिकारियों की सलाह पर 2014 से प्रणव राय दो बार प्रधानमंत्री मोदी के पास चापलूसी करने भी जा चुके हैं, लेकिन कानून का पालन करने वाले पीएम मोदी के सामने उनकी चापलूसी नहीं चल पायी!
मुख्य बिंदु
* आरोप पत्र दाखिल होते ही गिरफ्तारी से बचने के लिए लेनी होगी जमानत
* इस मामले में जुर्माने के साथ ही सात साल तक जेल की कठोर सजा का है प्रावधान
आखिरकार एनडीटीवी (नई दिल्ली टेलीविजन), उसके संस्थापक प्रणय राय और राधिका राय के खिलाफ आय कर विभाग (आईटी डिपार्टमेंट) ने कर चोरी के आरोप में आपराधिक केस चलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। आय कर विभाग ने एनडीटीवी को 800 करोड़ रुपये की कर चोरी करने तथा प्रणय राय और राधिका राय को व्यक्तिगत तौर पर 30 करोड़ रुपये की कर चोरी करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया है। आय कर विभाग के अनुसार आपराधिक अभियोग कानून के तहत कर चोरी के अपराध में सात साल तक जेल की सजा का प्रावधान है।
सूत्रों के अनुसार, वित्त मंत्रालय के शीर्षस्थ अधिकारियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डांट पड़ी है, जिसके बाद एनडीटीवी के कर चोरी का मामला देखने वाले महत्वपूर्ण अधिकारियों को उनका पुराना दायित्व सौंप दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्रालय ने एनडीटीवी मामले की जांच कर रहे अधिकारियों को इस मामले से हटा कर कमजोर अधिकारियों को इसमें लगाया था, जिनका काम मामले को लटकाना भर था। डॉ सुब्रहमनिययन स्वामी ने इसकी शिकायत प्रधानमंत्री मोदी से की थी, जिसके बाद पीएम ने कड़ा कदम उठाया और पुराने अधिकारियों को इस केस में फिर से दायित्व दिया। इसके बाद ही एनडीटीवी और उसके प्रमोटरों प्रणय राय व राधिका राय पर आपराधिक मुकदमा दायर करने की प्रक्रिया शुरु हो सकी है।
एनडीटीवी के साथ ही प्रणय राय और राधिका राय को दिया गया 36 पृष्ठों के कारण बताओ नोटिस के मुताबिक उन्हें आय कर अधिनियम के प्रावधानों के तहत धारा 276 सी, 277, 278 और 278 बी के उल्लंघन का सामना करना होगा। ये धाराएं उन पर ही लगती है जो कर चोरी के आरोपी हों और इस मामले में जुर्माने के साथ ही सात सालो तक जेल की कठोर सजा का प्रावधान है। इन पर झूठा विवरण, गलत रिटर्न दाखिल करने के अलावा कर योग्य आय छिपाने के भी आरोप लगाए गए हैं।
इस मामले को दबाने के लिए प्रणय राय ने कई जतन किए। लुटियंस दिल्ली के हर दरवाजे को वह खटखटा चुके हैं ताकि किसी तरह भी उनका यह मामला दब जाए। उन्होंने अपनी फाइल देखने वाले आय कर विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के तबादले करवाने के लिए वित्त मंत्रालय को भी साधने का प्रयास किया। यहां तक कि वित्त मंत्रालय में अपने कुछ धूर्त अधिकारियों के माध्यम से उन्होंने एनडीटीवी केस के आकलन अधिकारी का भी तबादला करा दिया।
इस तबादले के मामले को लेकर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिकायत की थी। कहा जाता है कि इसी के बाद मोदी ने उन अधिकारियों की क्लास लगाई और फिर पुराने अधिकारियों को उनका पुराना दायित्व सौंपा गया है। पीगुरु में प्रकाशित स्टोरी के मुताबिक प्रणय राय की अब उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। उन्हें अब आपाराधिक मामलों का सामना करना ही पड़ेगा। और जैसे ही आरोप पत्र दाखिल होगा उन्हें अपनी जमानत लेनी होगी। गौरतलब है कि हाल ही में एनडीटीवी ने अपने दफ्तर के मालिक के हाथों अपनी सहयोगी कंपनी का शेयर बेचा था।
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