स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये भारत बहुत से उत्पादों के आयात पर नियंत्रण लगा रहा है.
स्थानीय टांयर उद्योग को बढावा देने के लिये सरकार ने अब गाड़ियों, दुपहिया वाहनों और भारी वाहनों में प्रयोग में लाये जाने वाले टायरों के आयात पर अंकुश लगा दिया है. सरकार ने इन्हे फ्री इम्पोर्ट्स यानि बिना शर्तों होने वाले आयातों की सूची से बाहर निकाल रिस्ट्रिक्टिड इम्पोर्ट्स यानि शर्तिया आयातों की सूची में डाल दिया है. इसका सीधा सीधा अर्थ यह है कि पहले टायरों का आयात बिना किसी रोकथाम के हो सकता था लेकिन अब इनके आयात के लिये बाकायदा लाइसेंस या अनुमति की आवश्यकता होगी.
2020 की शुरुआत से ही स्थानीय उद्योगों और उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये गैर आवश्यक आयातों पर नियंत्रण या अंकुश लगाना सरकार की पांलिसी का हिस्सा रहे हैं. और अब कोरोना आपदा के समय में तो यह पांलिसी और भी अधिक आवश्यक बन गयी है. जैसे जैसे लांकडाउन के बाद व्यवसाय खुलते जा रहे हैं, वैसे वैसे सरकार का ध्यान इस बात पर केंद्रित है कि किस प्रकार इस समय का उपयोग स्थानीय उद्योगों को अधिक से अधिक बढावा देने के लिये किया जाए.
सरकार ने हाल ही में ‘आत्मनिर्भर भारत’ की मुहिम छेड़ी है. सोनम वांगचुक जैसे वैज्ञानिक भी इस मुहिम के ब्रांड एम्बैसेडर बनके उभरे हैं. वे अपने यू ट्यूब वीडियोज़ के ज़रिये भारतीयों को निरंतर स्वदेशी अपनाने और चीन से आयात सामान को नकारने का संदेश दे रहे हैं. भारतीय टायर उद्योग की भी काफी समय से मांग रही है कि चीन और दूसरे देशों से आयात होने वाले टायरों पर किसी प्रकार के अंकुश या प्रतिबंध लगाये जायें.
टायर्स के अलावा और भी बहुत से उत्पादों के आयात पर सरकार अंकुश लगा रही है. दालों के आयात पर भी 31 मार्च, 2021 तक नियंत्रण लगा दिया गया है. इस नियंत्रण का उद्देश्य स्थानीय किसानों की आजीविका बचाना है. भारत बहुत बड़ी मात्रा में अमरीका, कनाडा व यूरोपीय देशों से दालें आयात करता है. भारत के इस फैसले पर अमरीका सहित कुछ अन्य देशों ने विश्व व्यापार संगठन के समक्ष आपत्ति जताई है.
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत हथियारों के आयात पर भी कुछ अंकुश लगाने पर विचार कर रहा है. आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत सरकार ने जल्द ही आयातों पर अपनी निर्भरता कम कर के स्थानीय उद्योगों से हथियार खरीदने का निर्णय लिया है. इसके लिये गृह मंत्रालय शीघ ही हथियार उत्पादन के क्षेत्र में सक्रिय निजी भारतीय कंपनियों को उच्चतम स्तर की गुणवत्ता वाले हथियारों के उत्पादन के लिये प्रोत्साहित भी करेगा.