सुमंत विद्वांस।
मोदी जी पता नहीं क्यों कहते रहते हैं कि भारत केवल बुद्ध का देश है, युद्ध का नहीं।
हमारे लगभग हर देवी-देवता के हाथ में कोई न कोई शस्त्र है। वह सजावट के लिए नहीं है। श्रीराम और रावण के युद्ध से हम आज भी प्रेरणा लेते हैं, अन्यथा हर वर्ष रावण दहन करके दशहरा न मनाते। जब आवश्यकता पड़ी, तो श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र भी चलाया और महाभारत का महायुद्ध भीं करवाया। हमारे पूर्वजों ने हजार वर्षों तक लगातार संघर्ष और युद्ध न किए होते, तो हम आज कुछ और हो बन चुके होते। शिवाजी महाराज ने अफजल खान से युद्ध न किया होता, तो आज महाराष्ट्र भी शायद बांग्लादेश या पाकिस्तान का हिस्सा होता। हमारा तो पूरा इतिहास ही शक्ति की उपासना से भरा पड़ा है।
यह कहना बिल्कुल गलत है कि भारत युद्ध का नहीं बल्कि बुद्ध का देश है। सही यह कहना है कि भारत बुद्ध का भी देश है और युद्ध का भी देश है। जिन्हें बुद्ध की भाषा समझ नहीं आती, उन्हें भारत युद्ध की भाषा में भी समझा सकता है।
एक कथा में नारद जी ने एक नाग को समझाया था कि हर आते जाते व्यक्ति को डसना आवश्यक नहीं है, लेकिन बीच बीच में फुफकार कर सबको याद दिलाते रहना कि तेरे पास भी जहर है। अन्यथा हर आता जाता व्यक्ति पत्थर मारकर घायल करता रहेगा। वर्तमान भारत सरकार को भी वह कथा पढ़नी चाहिए क्योंकि आजकल भारत के भीतर और बाहर दोनों ओर से लोग सरकार को और भारत देश को भी रोज पत्थर मार रहे हैं। लेकिन सरकार डसना तो दूर फुफकारना भी भूल गई है।