तेजी से मिट रहा है भारत
बेचारा अब्बासी – हिंदू , चौबीस – घंटे काम कर रहा ;
रात और दिन साजिश रचने में,अपना जीवन हलकान कर रहा
हर संस्थान पर कब्जा करना , बहुत बड़ी मेहनत का काम ;
हर संसाधन लूट रहा है , व्यापारी साथी पर नहीं लगाम ।
खुदगर्जी से – मनमर्जी से , देश के हर – कानून को तोड़े ;
संविधान कूड़े में फेंका , लोकतंत्र की रीढ़ को तोड़े ।
जैसे ढोल का साथी डंडा , चोली दामन का साथ है ;
धर्महीन हिंदू ! न समझे , इसीलिये तो अनाथ है ।
हिंदू ! दीन-हीन मानव हैं , पर इनमें कुछ बहुत बुरे-दानव :
यही तो हैं अब्बासी – हिंदू , कहीं से नहीं हैं मानव ।
स्वार्थी , लोभी , लालची , परमभ्रष्ट ये व्यभिचारी ;
धर्म , देश के कलंक यही हैं , सबसे बड़े अनाचारी ।
इनकी रग – रग में धोखेबाजी , बहुत बड़े नौटंकीबाज ;
हिंदू-धर्म के जानी-दुश्मन , जुमलेबाज हैं ये लफ्फाज ।
चेहरे पर कई चेहरे इनके , भेड़िया ओढ़े भेड़ की खाल ;
धर्महीन अज्ञानी – हिंदू , छिलवाते हैं अपनी खाल ।
सदियों से लुट रहा है हिंदू , जान – माल – सम्मान गंवाता ;
इसका कारण हिंदू – नेता , म्लेच्छों से जो पींग बढ़ाता ।
हिंदू ! यदि अब भी न संभला, तो बहुत शीघ्र मिट जाना है ;
अब्बासी-हिंदू जब बनाया नेता , तब ये ही तो होना है ।
जागो हिंदू ! अब तो जागो , वरना नहीं ठिकाना है ;
मौत खड़ी दरवाजे तेरे , जल्दी ही मिट जाना है ।
अब्बासी-हिंदू का क्या एजेण्डा ? धर्मांतरण का एजेण्डा है ;
अब्राहमिक – ग्लोबल – एजेंडा , इसी ढोल का ये डंडा है ।
चुनाव – आयोग पर पूरा कब्जा , ईवीएम हथियार है ;
मनचाहा चुनाव जीते ये नेता , जनादेश बेकार है ।
जिम्मेदारी थी सुप्रीम-कोर्ट की ,पता नहीं कब वहन करेगा ?
सीजेआई अब नये आ चुके , शायद अब कुछ पहल करेगा ।
तेजी से मिट रहा है भारत , चंगू – मंगू मिटा रहे हैं ;
व्यापारी भी हो गया है शामिल , पूरी तिकड़ी बना रहे हैं ।
तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा , अब देश नहीं बच पायेगा ;
हिंदू ! पूरी तरह से जागो , तब ही तू बच पायेगा ।
दुनिया भर में म्लेच्छ-देश हैं , उनका बाल न बांका होगा ;
हिंदू का कोई देश नहीं है , चूके तो मिट जाना होगा ।
अमरीका से अच्छी-खबर है , हिंदू ! इसका लाभ उठाओ ;
हिंदू ! अच्छी-सरकार बनाओ, जान-माल-सम्मान बचाओ ।