चीन के साथ जारी तनाव के बीच भारत और जापान के संबंध दिन ब दिन घनिष्ठ होते जा रहे हैं. क्वैड फोरम के अंतर्गत चीन के इंडो पैसिफिक में बढ्ते वर्चस्व को नियंत्रित करने के लिये जापान और भारत की सशक्त सांझेदारी चल रही है. और अब पिछले तीन दिनों से दोनों देशों की नौसेना एकसाथ मिलिट्री एक्सेर्साइज़ यानि युद्धाभ्यास कर रही है.
दोनों देशों के बीच समुद्र में युद्धाभ्यास का यह चौथा एडिशन JIMEX है जिसमे जापान मैरिटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स के जहाज़ इकाजुचीइकाजुची और कागा शामिल हैं जिनका नेतृत्व रियर एडमिरल कोन्नो यासुशहिगे (Konno Yasushige) कर रहे हैं और भारतीय नेवी के जहाज चेन्नई तरकश ( Chennai Tarkash) और दीपक ( Deepak) का नेतृत्व रियर एडमिरल कृष्ण स्वामीनाथन कर रहे हैं।
भारत और जापान के बीच 9 सितम्बर को एक समझौता हुआ था जिसके अनुसार दोनों देशों के सैनिक एक दूसरे की सैन्य सुविधाओं का इस्तेमाल कर सकेंगे. चीन को सबक सिखाने के लिहाज़ से यह बेहद महत्वपूर्ण समझौता है क्योंकि इससे चीन को यह संदेश साफ जाता है कि भारत और चीन के बीच यदि युद्ध की स्थिति बनती है तो जापान भारत का ही साथ देगा.
इस समय भारत और जापान के सैनिक संयुक्त रूप से हाई क्लास नेविक एक्सर्साइज़ेस जिनमे तकनीक से लेकर रणनीतिक बारीकियों को भीए साझा किया जा रहा है. 9 सितम्बर को हुए समझौते के बाद दोनों देशों के बीच यह पहला सैन्य अभ्यास है.
भारत और जापान के बीच यूं तो हमेशा से ही सशक्त सांझेदारी रही है. लेकिन कोरोना वायरस के बाद से जिस प्रकार से रक्षा, वाणिज्य, टेक्नांलजी, आदि सभी क्षेत्रों को लेकर दोनों के बीच सांझेदारी बढी है, उससे चीन की चिंतायें बढना लाज़िमी है. जापान के नये प्रधानमंत्री सुगा योशीहदे की अभी दो दिन पूर्व ही प्रधानमंत्री मोदी से टेलिफोनिक वार्ता हुई थी जिसमे उन्होने स्पष्ट कर दिया कि जापान की चीन नीति में उनके आने से कोई बदलाव नहीं आयेगा.
सुगा ने मोदी से कहा कि, वह जापान-आस्ट्रेलिया-भारत-अमेरिका के बीच की बहुराष्ट्रीय गठबंधन को बढ़ावा देना चाहते हैं और यह उनकी सरकार के लिए प्राथमिकता के तौर पर है।