रशिया के भारतीय राजदूत बी वेंकटेश शर्मा ने कहा है कि जब तक चीन दोनों देशों के बीच हुई कूटनीतिक समझौतों का पालन करते हुए एल ओ सी से अपनी सारी सेनायें नहीं हटा लेता, तब तक भारत चीन के साथ किसी भी प्रकार का कोई व्यापार नहीं करेगा.
रशिया के भारतीय राजदूत ने यह बयान गुरुवार को दिया जब वे रशिया के राष्ट्रीय अखबार ज़्वेस्तिया के पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे.
भारतीय राजदूत श्री वेंकटेश शर्मा का यह बयान भू राजनीतीक दृष्टिकोण से खासा महत्व्पूर्ण है. यदि रशिया में बैठे भारतीय राजदूत वहां के मीडिया से चीन के साथ भारत के व्यापार न करने की बात कह रहे हैं तो इससे स्पष्ट होता है कि भारत अंतराष्ट्रीय स्तर पर यह संदेश देना चाहता है कि गलवान मुठ्भेड़ के बाद अब वह चीन को आर्थिक रूप से आइसोलेट यानि अलग थलग करना चाहता है और इसके लिये वह अंतराष्ट्रीय समुदाय से भी सहयोग की उम्मीद रखता है.
चूंकि यह बात रशिया में कही गयी, इसीलिये यह भारत की विदेश नीति के लिये प्रतीकात्मक रूप से और भी अहम हो जाती है क्योंकि रशिया और चीन के संबंध काफी अच्छे हैं. दोनों देशो के बीच रक्षा आदि विभिन्न क्षेत्रों में खासा आपसी सहयोग भी है. हालांकि भारत और रशिया के कूटनीतिक संबंध भी बहुत अच्छे हैं. और रशिया की चीन के साथ इक्युएशन का भारत रशिया के संबंधों पर कोई फर्क नहीं पड़ा है. लेकिन यह भी सच्चाई है कि चीन से अपने संबंधों के चलते रशिया ने गलवान मुठ्भेड़ में चीन की भूमिका की आलोचना उतना खुलकर नही की जितना अमरीका ने की. उसने बस कूटनीतिक तौर पर कहा कि भारत और चीन दोनों को यह मसला जल्द से जल्द आपस में सुलझा लेना चाहिये.
तो भारत की तरफ से संकेत साफ है. अगर रशिया के भारतीय राजदूत बार्डर मुद्दा सुलझने तक चीन के साथ व्यापार न करने की बात रशियन मीडिया से कह रहे हैं तो इसका अर्थ हई कि भारत इस विषय पर रशिया की प्रतिक्रिया अवश्य देखना चाहता है. क्योंकि वह यह भी जानता है कि जैसे जैसे पूरा अंतराष्ट्रीय समुदाय विभिन्न मुद्दों पर चीन के खिलाफ खड़ा हो रहा है, रशिया को भी जल्द ही कोई न कोई प्रतिक्रिया तो अवश्य देनी होगी.