दुःख नहीं, स्वीकार करो,
मृत्यु से भी प्यार करो!
एक छोर पर जीवन है,
दूसरी छोर पर मौत खड़ी!
जीवन जब जी भर कर जिया,
मृत्यु को भी भरपूर जियो!
मृत्यु एक अटल सत्य है,
इससे कब तक भागोगे?
उस कवि का सोचो जो मृत्यु पर
न जाने कितना मोहित था,
ऊंचाई पर पहुंच कर भी मौत को जिंदा रखता था
अब छोड़ भी दो,
जिद न करो,
जाने दो,
वह देख रहा है तुमसब को,
जो कहता रहा अपनी कविता में,
क्या दोहराओगे केवल?
कब समझोगे उसके कवि मन को!
आओ मिलकर उत्सव करें,
मौत को भी जी भर कर जीएं,
यह गरल नहीं अमृत है,
अगले पड़ाव का यही मीत है!
URL: India Speaks Daily hindi poem by sandeep deo
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