राजनीतिक पार्टियों और नेताओं ने वोट खरीदने के लिए ‘मुफ्तखोरी’ का जो कल्चर विकसित किया है, असल में वह समाजवाद का मॉडल है।
इस समाजवाद ने न जाने कितने देश बर्बाद कर दिए।
देश का राजनीतिक बिरादरी सामूहिक रूप से मुफ्तखोरी बंद करने का निर्णय ले तो देश पर यह बड़ा उपकार होगा! सुप्रीम कोर्ट ने कह तो दिया है, लेकिन स्वयं केन्द्र सरकार इतनी मुफ्त योजनाएं चला रही है कि अब इसे रोकना उसके वश में भी नहीं है!
इसका समाधान देश हित को ध्यान में रखकर सर्वदलीय बैठक में ही सभी पार्टियों को मिलकर निकालना होगा, क्योंकि मुफ्तखोरी की यह बीमारी संक्रामक रूप ले चुकी है और एक दिन देश को डुबा कर छोड़ेगी।