
भारत की सुप्रीम कोर्ट आतंक से लड़ रहे सैनिकों का हाथ बांधती है, इजरायली अदालत कहती है, सैनिकों फिलिस्तीनी गांव को उड़ा दो!
इतने दुश्मन देशों के बीच घिरा इजरायल अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इतना सशक्त है तो इसके पीछे कोई ताकत तो होगी। इजरायल की आपसी एकता और हर संस्था का एक दूसरे के साथ सामंजस्य ही वह ताकत है जो इजरायल को इतना ताकतवर बनाती है। चारों ओर से खाड़ी इस्लामिक देशों जैसे अपने दुश्मनों से घिरे होने तथा दुनिया के तथाकथित सेक्युलर देशों की आलोचना के बाद भी उसका कोई बाल भी बांका नहीं कर पा रहा। वहीं एक भारत देश है जहां पाकिस्तान जैसे पड़ोसी दुश्मन देश के खिलाफ सेना की कार्रवाई की सरेआम अपने ही देश में आलोचना की जाती है। जहां इजरायल की अदालत अपने देश के लिए खतरा बने फिलिस्तीन गांव को उड़ाने के लिए सेना को आदेश देती है वहीं हमारे देश में अदालत हर समय आतंक से लड़ने वाले सैनिकों का हाथ बांधने पर आमादा रहती है। कभी मानवाधिकर के नाम पर तो कभी वैचारिक निहित स्वार्थ के नाम पर।
मुख्य बिंदु
* भारतीय अदालत तो कभी मानवाधिकार के नाम पर तो कभी निहित स्वार्थ के चलते सेना और पुलिस की खिंचाई करती है
* पड़ोसी दुश्मन देश पाकिस्तान से आए आतंकी के मारे जाने पर भी देश के जवानों पर सवाल खड़े कर दिए जाते हैं
गौरतलब है कि इजरायल की अदालत ने आतंकवादियों का लॉन्च पैड बन चुके फिलिस्तीन के एक पूरे गांव का ही नामो निशान मिटाने के लिए सेना को आदेश दिया। अदालत के आदेश पर इजरायल की सेना ने आतंकवादियों से भरे उस पूरे गांव को ध्वस्त कर दिया। अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे न तो वहां की अदालत झुकी न ही सेना और न ही सरकार। मुस्लिम देशों के विरोध के बावजूद सेना उस गांव से जबरदस्ती 180 लोगों को निकालने में जुटी है। वहीं एक हमारा देश भारत है, जहां पुलिस ने नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई क्या कर दी सुप्रीम कोर्ट उससे जवाब तलब करने में जुट गई है। यहां तो शहरी नक्सलियों पर हुई कार्रवाई को लेकर पुलिस के बहाने सरकार को कठघरे में खड़ा करने पर तुला है। पाकिस्तान से आए आतंकियों पर की जाने वाली कार्रवाई पर सवाल खड़े कर दिए जाते हैं।
तभी तो इजरायल के सौनिक अपनी अदालत को धन्यवाद देते हैं जबकि हमारे देश की पुलिस और सैनिक सुप्रीम कोर्ट पर आक्षेप लगाने को मजबूर होते हैं। वजह स्पष्ट है कि इजरायल में जहां हर संस्था अपनी जिम्मेदारी देश के प्रति मानती है और एक-दूसरे के पूरक के रूप में काम करती है जब कि भारत की हर संस्था अधिक स्वयत्त, अधिकार चाहती है लेकिन सामंजस्य नहीं चाहती। वे देश के प्रति सजग न तो खुद रहती है न ही देश की सेना को रहना देना चाहती। हर संवैधानक संस्था देश का नहीं बल्कि अपना वर्चस्व कायम करना चाहती। तभी तो यहां की सुप्रीम अदालत अपनी सर्वोच्चता के लिए कभी पुलिस को तो कभी सेना को निशाना बनाने से नहीं चूकती।
आज इजरायल की अदालत ने अपने देश की सेना के हक में जो कदम उठाया है उसकी प्रशंसा आज पूरी दुनिया कर रही है। तभी तो वहां के रक्षा मंत्री
एविगडोर लिबरमैन ने ट्विटर के माध्यम से न्यायालय के फैसले की सराहना करते हुए जजों को बहादुर की संज्ञा देते हुए उन्हें बधाई दी। तभी तो आज पूरी दुनिया में इजरायल की अदालत के फैसले की गूंज सुनाई दे रही है। कई देशों ने न्यायपालिका और सेना के इस सहयोगात्मक कार्य को अनुकरणीय बताया है।
वहीं भारत में एक अदना सा व्यक्ति भी सरेआम भारतीय सेनाध्यक्ष को गली का गुंडा बता दिया देता है लेकिन हमारे देश की अदालत उसके खिलाफ कोई संज्ञान नहीं लेती। उलटे अदालत आतंकी संगठन और आतंक से जुड़े लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने वाली पुलिस और सेना की खिचाई कर देती है।
URL: Indian Army does not get the glory of killing terrorists like Israeli soldiers
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