साथियो… देश की एकता और अखंडता के लिए देश के संविधान को शत-प्रतिशत लागू करना बहुत जरूरी है, अगर तत्काल संविधान को सौ प्रतिशत लागू नहीं किया तो 20-25 साल के बाद भारत की स्थिति बहुत ही खतरनाक हो जाएगी। हम सभी करहते हैं कि सभी बच्चों को समान अवसर मिलना चाहिए, लेकिन समान शिक्षा के बिना समान अवसर दिया जा सकता है क्या? इसलिए हमारे संविधान निर्माताओं ने वन नेशन वन एजुकेशन का सपना देखा था। अर्थात पूरे देश में एक प्रकार की शिक्षा होगी, भले ही पढ़ने-पढ़ाने का माध्यम अलग-अलग हो, परंतु सिलेबस सभी का एक जैसा होगा, यानि कश्मीर से कन्याकुमारी तथा कच्छ से कामरूप तक जो किताब होगी वह एक ही होगी। उसका माध्यम अलग-अलग होगा। अर्थात महाराष्ट्र का बच्चा मराठी में असम का बच्चा असमी में पढ़ेगा, गुजरात का बच्चा गुजराती में पढ़ेगा, लेकिन किताब एक ही होगी।
ऐसे ही हमारे संविधान निर्माताओं ने पूरे देश में एक समान नागरिक संहिता का सपना देखा था। अर्थात धर्म कुछ भी हो जाति कुछ भी हो, वर्ग कोई भी हो, चाहे उच्च वर्ग हो या निम्न वर्ग हो या मध्य वर्ग हो, हिंदू हो मुसलमान हो सिख हो या ईसाई हो, लेकिन नागरिक संहिता एक होनी चाहिए। ये हिंदू मैरिज एक्ट, मुसलिम मैरिज एक्ट या सिख मैरिज एक्ट या ईसाई मैरिज एक्ट के बजाय एक समान नागरिक संहिता हो। हमारे संविधान निर्माताओं ने भारत में गो हत्या पर प्रतिबंध लगाने के लिए बकायदा पूरी लंबी चर्चा करने के बाद संविधान में लिखा कि देश में गोहत्या पर प्रतिबंध होगा। अर्थात ये सरकारों की जिम्मेदारी है कि भारत को गोहत्या मुक्त बनाने के लिए कठोर कानून बनाए।
इसी तरीके से शराबबंदी पर बहुत चर्चा हुई। लंबी चर्चा के बाद ये निरणाय हुआ कि भारत को शराब मुक्त बनाया जाएगा। ये सरकार की जिम्मेदारी है कि एक कठोर कानून बनाए और भारत को शराब मुक्त बनाए। मैं आप से पूछता हूं कि बिहार जैसे गरीब राज्य में शराबबंदी हो सकती है तो पूरे भारत में क्यों नहीं हो सकती है? भारत की आधी महिलाएं शराब से पीड़ित हैं। कोई भी महिला अपने आपको शराबी की बीबी कहलाना पसंद नही करती। कोई भी बेटा हो या बेटी अपने आपको शराबी का बेटा या बेटी कहलाना नहीं पसंद करेगा। आधा से ज्यादा रोड एक्सिडेंट शराब की वजह से हो रहे हैं। आधे से ज्यादा बलात्कार शराब की वजह से हो रहे हैं। आधे से ज्यादा रोडरेज शराब की वजह से हो रहे हैं। आधे से ज्यादा लड़ाई झगड़े शराब की वजह से हो रहे हैं। और सबसे ज्यादा परेशान तो गरीब हैं। सौ रुपये दिन भर में कमाते हैं और शराब पीकर आ जाते है, और घर में उनके बच्चे भूखे रहते हैं। आखिर शराबबंदी क्यों नहीं की जा रही है?
हमारे उसी संविधान में लिखा हुआ है कि जैसे आईएएस और आईपीएस की परीक्षा होती है उसी तरीके से इंडियन ज्यूडिशियल सर्विसेज की परीक्षा होगी, और पूरे देश में जजों की नियुक्ति आईजेएस के तहत होगी। बिना आईजेएस के ज्यूडिशियरी से वंशवाद को खत्म करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। महात्मा गांधी हमेशा कहते थे कि हिंदुस्तान हिंदी के बिना अधूरा है। इसलिए 1917 में उन्होंने भरूच में कहा था कि पूरे भारत में हिंदी को अनिवार्य करना चाहिए। कम से कम पढ़ना, लिखना और बोलना सभी भारतीयों को हिंदी में आनी चाहिए, जो आज तक लागू नहीं हुआ। जबकि हमारे संविधान में लिखा है कि हिंदी और संस्कृत सभी बच्चों को पढ़ाया जाए जिससे कि वह हिंदी में बोल सके, समझ सके और लिख सके।
आज की डेट में जब कोई उत्तर का बच्चा दक्षिण जाता है या दक्षिण का बच्चा पूरब जाता है तो वह विदेशी बन जाता है, आपस में बातचीत नहीं हो पाती, आपस में समझदारी नहीं है। 80 प्रतिशत से ज्यादा लोग हिंदी जानते हैं, समझते हैं और बोलते हैं, केवल 20 प्रतिशत लोग बचे हुए हैं। यदि वहां पर हिंदी लागू कर दिया जाए तो कम से कम पूरे देश के लोग आपस में बातचीत तो कर सकेंगे। लेकिन वोट बैंक पोलिटिक्स के कारण यह भी लागू नहीं हुआ। और तो छोड़िए हिंदुस्तान में ही हिंदी को मातृभाषा का दर्जा नहीं दिया गया है।
मैं आप से बहुत विनम्र निवेदन करता हूं, आप सेकुलर हैं या राष्ट्रवादी, आप समाजवादी है या दलित प्रेमी, आप कुछ भी हैं, लेकिन संविधान तो हम सबका एक ही है न, संविधान निर्माता कोई बेवकूफ तो नहीं थे न! बहुत लंबी चर्चा के बाद संविधान बनाया था, ऐसे में संविधान को लागू करने की मांग करना हम सबकी जिम्मेदारी है। और एक चीज याद रखिए, कि जब तक संविधान को लागू करने के लिए भीड़ इकट्टी नहीं होगी तब तक यह संविधान लागू नहीं होगा, क्योंकि हमारे देश में लोकतंत्र नहीं भीड़तंत्र है। जिस चीज के लिए भीड़ इकट्ठा हो जाएगी वह काम हो जाएगा और भीड़ नहीं इकट्टी होगी तो संविधान भी अधूरा पड़ा रहेगा। इसलिए आप खुद सोचिए क्या करना है? आप खुद निर्णय लीजिए।
URL: indian Constitution should apply hundred percent immediately otherwise situation will bad after 20-25 years
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