जैसे जैसे भारत और चीन के बीच का तनाव बढ्ता जा रहा है, वैसे वैसे चीन की खतरनाक जासूसी गतिविधियां भी बढ्ती जा रही हैं. चीन की कंपने के भारत में डाटा जासूसी के मामले में भारत सरकार ने जांच पड़्ताल शुरू कर दी है. सरकार ने इस सिलसिले में एक विशेषज्ञ कमेटी का गठन किया है. नेशनल साइबर सिक्यूरिटी कार्डिनेशन की निगरानी में बनी यह कमेटी तीस दिन के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन की सरकार 10,000 से भी अधिक भारतीय संगठनों और व्यक्तियों पर नज़र रख रही है . जिन प्रमुख लोगों पर चीन द्वारा जासूसी की जा रही है, उनमे प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारी तक शामिल हैं. खबरों के मुताबिक चीन कमसकम आधा दर्जन ऐसे अधिकारियों की जासूसी कर रहा है जो सीधे प्रधानमंत्री के अधीन मंत्रालयों में काम करते हैं.
चीन की कम्यूनिस्ट सरकार यह जासूसी अपनी कंपनियोंंपनियों शेनझेन इंफोटेक और शिनुआ इंफोटेक के माध्यम से कर रही है. इन कंपनियों का काम ही सरकार के कहने पर दूसरे देशों पर नज़र रखना है.
जासूसी की जानकारी मिलने के बाद भारत सरकार ने इस मुद्दे को चीन के राजदूत के समक्ष उठाया. हालांकि चीन ने इस प्रकार की जासूसी करने की बात से साफ इन्कार कर दिया है.
यह जानकारी विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कांग्रेस नेता के सी वेणुगोपाल को एक पत्र लिखकर दी है। जयशंकर ने पत्र में कहा है कि इस मामले को चीन के विदेश मंत्रालय के समक्ष उठाया गया है। मंत्री ने वेणुगोपाल को बताया, ‘इस मामले को विदेश मंत्रालय ने चीन के राजदूत के समक्ष पुरजोर तरीके से उठाया। बीजिंग में हमारे दूतावास ने इसे चीन के विदेश मंत्रालय के समक्ष भी उठाया। इसके जवाब में चीनी पक्ष ने कहा कि शेनजेन जेन्हुआ एक निजी कंपनी है।
चीन द्वारा दूसरे देशों के नागरिकों और संगठनों पर जासूसी का मुद्दा कोई नया मुद्दा नहीं है. चीन इस खेल में माहिर है. भारत सरकार ने जो चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगाया है, उसके पीछे की मुख्य वजह भी चीन द्वारा की जाने वाली जासूसी ही है. चीन इन एप्स के माध्यम से भारत के आम लोगों का डाटा एकत्रित कर उन पर कथित तौर पर जासूसी कर रहा था.
अभी अभी मिली ताज़ा खबर के अनुसार अमरीका ने 5 चीनी नागरिकों को दुनिया भर की कंपनियों पर जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार भी किया है. ये पांच लोग साइबर फ्राड के ज़रिये दुनिया भर की कंंपनियों पर जासूसी करते थे.