सिर्फ अंतराष्ट्रीय मीडिया ही नहीं वरन भारतीय मीडिया का एक तबका भी यहां की पुलिस को लेकर सदैव दुष्प्रचार करने के लिये तत्पर रहता है. नागरिकता संशोधन कानून के विरुद्द छिड़े धरने प्रदर्शनों से लेकर कितने ही मुद्दों में पुलिस की भूमिका को नकरात्मक दिखाया जाता है और उसकी एक क्रूर व निर्मम शासनकर्ता की छवि प्रस्तुत की जाती है. लांकडाउन में भी कुछ ऐसा हो रहा है. कोरोना वायरस के बढ़्ते संक्रमण को रोकने के लिये देश भर में 21 दिन के लांकडाउन का जो कड़ा कदम उठाया गया है, उसे लेकर भी पुलिस की नागरिकों के प्रति क्रूरता की बातें उठने लगी हैं. लेकिन सच्चाई तो यह है कि इस संकट के समय में देश की पुलिस गरीब व सड़्कों पर रहने वाले बेघर लोगों की भरसक मदद कर रही है. देश के तमाम शहरों में फंसे मज़दूर जो कि यातायात बंद हो जाने के कारण पैदल चल अपने गांवों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं, पुलिस उनकी मेडिकल जांच करवा उनके लिये खाना पीना मुहैया करा फिर उन्हे उनके गांवो तक पहुंचाने का प्रबध कर ररी है.
जो लोग सड़्क पर रहते है, उनकी सहायता के लिये भी पुलिस जो बन पड़ रहा है, कर् रही है. कई जगह उनके लिये खाने पीने की सामग्री उपलब्ध करा रही है तो कई गैर सरकारी संगठनों के साथ मिलकर उनके ठहरने के लिये जगहों की भी व्यवस्था करा रही है. इसके अतिरिक्त लांकडाउन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग को कार्यांवित करने के लिये पुलिस नये नये प्रकार के अनूठे उपाय निकाल रहा है. कई शहरों में दूध की डेरियों व अन्य ज़रूरी सामान की दुकानों के बाहर पुलिस ने चांक से कुछ कुछ दूरी पर घेरे बनाये हैं ताकि लोग सामान खरीदते वक्त इन्ही में खडे हों और एक दूसरे से उचित दूरी बनाये रखने के नियमों का पालन करें.
भारत न सिर्फ के बहुत बड़ा देश है बल्कि यहां कि संस्कृति कुछ ऐसी है कि लोग हर चीज़ एक दूसरे के साथ समूह में मिलकर मनाते हैं. यहां अभी भी सामूहिक परिवारों का चलन है जहां कितनी ही पीढियों के लोग साथ मिलकर रहते हैं. यहां के पर्व त्योहार भी सामाजिक सौहार्द का प्रतीक हैं और लोगो इन्हे साथ मिलकर मनाती हैं. यह देश के खुशमिजाज़ लोगों का देश है जो कि आर्थिक सुख से अधिक अपने दोस्तों, परिवार जनों के साथ सघन मानवीय रिश्ते बनाने को तवज्जो देते हैं. ऐसे में अगर लोगों को अचानक घरों में बंद् रह सोशल डिस्ट्नेसिंग अपनानी पड़े तो ज़ाहिर सी बात है ऐसा करना उनके लिये बहुत कठिन होगा. इसलिये सरकार, मीडिया ,प्रशासन कोरोना वायरस से बचने के लिये सोशल डिस्टेंसिंग के महत्व पर भरपूर प्रचार प्रसार कर रही है. जहां तक पुलिस की बात है, तो यहां पुलिसकर्मी मोर्चे पर खड़े सिपाही की तरह हैं. यदि लोग लांकडाउन का उल्लंखन कर भीड़ करें तो भी लोग पुलिस को ही दोष देंगे. इसीलिये ऐसे में पुलिस के लिये कभी कभी अत्यधिक सख्ती करना बहुत आवश्यक हो जाता है.