भारतीय महिलाओं ने पिछले कॉमनवेल्थ खेलों में अपने स्वर्णिम अभियान को दोहराते हुए ऑस्टेलिया में हो रहे कॉमनवेल्थ 2018 में भी पीले तमगे पर निशाना साधते हुए अब तक जीते 10 स्वर्ण पदकों में 6 अपने नाम किये हैं! यही नहीं लम्बे समय से टेबल टेनिस स्पर्धा में चल रहे मैडल के सूखे को समाप्त करते हुए स्वर्ण पदक भी महिलाओं ने भारत की झोली में डाल दिया है!
भारत में महिलाओं को हर क्षेत्र में खुद को साबित करने के लिए पुरुष से ज़्यादा मेहनत करनी पढ़ती है चाहे घर के अंदर रहने वाली महिला हो या नौकरीपेशा महिला! यदि बात इन दोनों ही स्थान से इतर खेल कूद कि हो तो तो आज भी लड़कियों को खेलना-कूदना एक बड़े प्रतिशत जनसँख्या की आँखों की किरकिरी है।
ऐसे में अगर बात भारत की बेटी की हो तो थोड़ी ज़्यादा संजीदा होती है!हालाँकि माननीय प्रधानमंत्री जी ने बेटियों कि साख बढ़ने के लिए ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ का नारा जन -जन तक पंहुचा दिया है। प्रधानमंत्री के ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान को सकारात्मक रूप से हरियाणा की 16 वर्षीय मनु भाकर के परिवार ने लिया और महज सोलह वर्ष की आयु में शूटिंग स्पर्धा में गोल्ड मैडल अपने नाम लिख दिया! बताते चलें की हरियाणा में कन्या भ्रूण हत्या बहुतायत होती थीं लेकिन दो साल पहले ही निशानेबाजी की शुरुवात करने वाली मनु भाकर के खेलों में चमकदार प्रदर्शन से हरियाणा के लोगों का बेटियों के प्रति विश्वाश बढ़ाया ही होगा!
केवल हरियाणा ही नहीं उत्तरप्रदेश नार्थ ईस्ट की लड़िकयों ने भी कॉमनवेल्थ खेलों में भारत का गौरव बढ़ाया है! चाहे वह पूनम यादव हो या पद्मश्री मीराबाई चानू, संजीता चानू हो या हिना सिद्धू सबने अपने प्रदर्शन से भारत के गौरव को बढ़ाया है!
महिलाओं के खेल जगत में इस अभूतपूर्व योगदान के लिए कहा जा सकता है कि ‘यत्र नार्यस्तु क्रीडते तत्र प्राप्ति पदक!’
URL: India’s daughters extended the Commonwealth Games in 2018, the country’s pride!
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