सुमंत विद्वांस। दुर्भाग्य से भारत के लोगों की ये अवस्था हो गई है कि बेगानी शादी में दीवाने बनकर झूम रहे हैं और भारत सरकार की निष्क्रियता को कूटनीति और विफलताओं को उपलब्धि बताकर तालियां बजा रहे हैं।
चीन ने बांग्लादेश को कर्ज में डुबाकर उसके एक बंदरगाह पर कब्जा कर लिया, ठीक वैसे ही जैसे उसने श्रीलंका के हंबनटोटा व पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह में किया था। अमरीका को इस पर आपत्ति है क्योंकि विश्व भर में चीन का बढ़ता दखल अमरीका के प्रभुत्व को सीधी चुनौती है।
अमरीका ने शेख हसीना से एक बंदरगाह मांगा और बदले में राजनैतिक मदद का प्रस्ताव दिया। संभवतः चीन के दबाव के कारण शेख हसीना को अमरीका का प्रस्ताव नकारना पड़ा। तब अमरीका ने कट्टरवादियों को उकसावा और समर्थन देकर बांग्लादेश में तख्ता पलट करवा दिया, जैसे उसने अफगानिस्तान, लीबिया, इराक और अब सीरिया में करवाया है। अब उसका जवाब देने के लिए चीन ने बर्मा के एक उग्रवादी गुट को मदद दी और बांग्लादेश पर हमला करवाया।
भारत के पड़ोस में इतना कुछ हो चुका है, पर भारत की भूमिका इसमें शून्य है। लेकिन सरकार ने अपने समर्थकों को कूटनीति और डीप स्टेट का झुनझुना पकड़ा दिया है और वे खुश होकर झूम रहे हैं। अब दावा ये हो रहा है कि ट्रम्प को राष्ट्रपति बनवाने के लिए भारत सरकार ने अदानी से कहकर दस हजार करोड़ खर्च करवाए थे और बर्मा के उग्रवादी गुट को बांग्लादेश पर हमला करने के लिए भारत सरकार ने ही भेजा है।
इसके आगे एक बड़ा दावा और किया गया है कि भारत सरकार ऐसी भयंकर योजना पर काम कर रही है कि अगले वर्ष के अंत तक बांग्लादेश को तोड़कर एक हिन्दू देश बना लिया जाएगा। इसलिए अब अगले साल तक सरकार से सवाल न पूछें और चुपचाप समर्थन करते रहें।
कुछ माह पहले जब कैनडा में खुलेआम भारत विरोधी गतिविधियाँ हो रही थीं, तब भी ऐसी ही बड़ी बड़ी बातें बताई गई थीं कि भारत सरकार इन भारत विरोधियों के ओसीआई कार्ड रद्द करने वाली है और उनकी संपत्ति जब्त होने वाली है। उस समय भी इसे मास्टर स्ट्रोक बताने वालों की कमी नहीं थी। लेकिन आज उनमें से कोई भी नहीं बता पाएगा कि वास्तव में कितने लोगों पर कार्यवाही हुई क्योंकि वह संख्या शून्य है।
यह बहुत पहले ही स्पष्ट हो चुका है कि पूरे विश्व में अब भारत सरकार को कोई भी देश महत्व नहीं दे रहा है। पिछले एकाध वर्ष की स्थितियों को आप ध्यान से देखें, तो आपको पता चलेगा कि भारत ने यूरोप और अमरीका को अपना खुला शत्रु बना लिया है और भारत अब रूस व चीन का पिछलग्गू बनकर घूम रहा है।
इसलिए मेरा सुझाव है कि बड़ी बड़ी हवाई बातों के झांसे में फंसकर स्वयं को धोखा मत दीजिए। इसकी बजाय भारत सरकार को यह याद दिलाइए कि मणिपुर अभी भी भारत का हिस्सा है और उसको बचाना भारत सरकार की जिम्मेदारी है।
मैं ट्विटर पर देख रहा हूँ कि अमरीका के डीप स्टेट को दोषी बताने के लिए रोज बताया जा रहा है कि एक अमरीकी नागरिक खुलेआम मणिपुर के गृहयुद्ध में भारत विरोधी तत्वों को सहायता दे रहा है। लेकिन दुर्भाग्य से इस पर कोई बात नहीं कर रहा है कि जिस व्यक्ति को वीजा उल्लंघन के आरोप में भारत सरकार ने पिछली बार भगा दिया था, उसे दोबारा वीजा कैसे मिल गया और वह भारत में कैसे खुलेआम घूम रहा है। उसके लिए भी लोग बता रहे हैं कि 20 जनवरी को ट्रम्प के शपथ ग्रहण के बाद सब ठीक हो जाएगा।
यदि आपके अपने देश में भी बाइडेन की सत्ता चल रही है और अपने ही देश में कोई कार्यवाही करने के लिए आप ट्रम्प की प्रतीक्षा कर रहे हैं तो आपको यह समझ जाना चाहिए कि यह कूटनीति नहीं, बल्कि लाचारी है।
आपके लिए मणिपुर और बांग्लादेश बहुत दूर है इसलिए आप हर बात को डीप स्टेट और कूटनीति बताकर आराम से सो जाइए। मणिपुर और बांग्लादेश की आग जब आपके घर तक पहुंच जाएगी तब आपकी नींद भी अपने आप ही खुल जाएगी। सरकार तब भी निष्क्रिय ही रहेगी और आप जैसे अन्य लोग उस समय भी उस निष्क्रियता को कूटनीति कहते रहेंगे। फिर धीरे धीरे बांग्लादेश से पाकिस्तान तक पूरे देश में एक जैसी परिस्थिति हो जाएगी और अखण्ड भारत में हरियाली आ जाएगी। फिर न आपको अपने बचाव में कुछ कहना पड़ेगा और न सरकार का बचाव करना पड़ेगा क्योंकि तब न आप होंगे और न सरकार रहेगी।
मैं तो भारत से लगभग पलायन कर चुका हूँ, लेकिन आपके बच्चों को न करना पड़े, कम से कम उसके लिए तो आपको जागरुक रहना चाहिए।
साभार: सुमंद विद्वांस के फेसबुक वाल से।