राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टीआरपी राजनीति करने का आरोप लगाया था। राहुल गांधी अपनी बिना काम की व्यस्तता के कारण भले देश का इतिहास न पढ़ पाए हों, लेकिन कम से कम अपने खानदान का इतिहास तो उन्हें पढ़ना ही चाहिए। आपातकाल के बाद अपने मित्र युनुस खान के बंगले में रहने वाली इंदिरा गांधी ने टीआरपी के लिए क्या गजब का तमाशा किया था, राहुल गांधी जरा उस पर भी प्रकाश तो डालिए? चलिए लेखक विकास प्रीतम डाल रहे हैं उस फुल टीआरपी ड्रामे पर तथ्यगत प्रकाश….
विकास प्रीतम। यूं तो संजय गांधी चाहते थे कि उनकी माँ श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा लगाया गया आपातकाल कम से कम 30-35 साल तक चलता रहे, क्योंकि देश की कमान अप्रत्यक्ष रूप से उनके हाथों में आ चुकी थी। लेकिन उनकी इस मंशा के विपरीत इंदिरा गांधी ने आपातकाल के 19 महीने बाद देश में चुनाव करवाने की घोषणा कर दी थी, क्योंकि उस वक्त की ख़ुफ़िया एजेंसियों ने उनको इनपुट दिया था कि देश में आपके समर्थन और शासन की वाह-वाही हो रही है, जनता खूब प्रसन्न है इसलिए अगर अभी चुनाव हो जाएँ तो कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिल जाएगा!
लेकिन जब चुनाव के नतीजे आये तो इंदिरा गांधी की सरकार ही नहीं हारी, बल्कि वे स्वयं रायबरेली से अपनी सीट जनता पार्टी के उम्मीदवार राजनारायण के हाथों हार चुकी थीं। इस चुनाव में हार की वजह से उन्हें दिल्ली में सफदरजंग रोड स्थित अपना बंगला खाली करना पड़ा और वे अपने पारिवारिक मित्र मोहम्मद युनुस के बंगले में रहने लगीं।
तब तक जनता पार्टी सरकार ने उनके शासन में हुई अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के मामलों की जांच शुरू करवा चुकी थी। ऐसे ही किसी एक मामले में जब दिल्ली पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने के लिए उनके नए आवास पर पहुँची तो तब इंदिरा गांधी ने पहले तो पुलिस अधिकारियों को बाहर बिठाकर २ घंटे तक इन्तजार करवाया और फिर इस दौरान उन्होंने फ़ोन करके अपने समर्थकों, कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और प्रेस के फोटोग्राफरों को अपने घर पर जुटने के लिए आदेश कर दिया।
कांग्रेसजनों की भीड़ और मीडिया के जमावड़े से पुलिस बल सहम गया। वे यहीं नहीं रुकीं उन्होंने खुद को हथकड़ी लगवाईं और अपने लाव लश्कर के साथ जुलूस की शक्ल में पुलिस मुख्यालय पहुँचीं। अगले दिन के अखबारों में यह तमाशा देश भर में सुर्ख़ियों का सबब बना।
कल अपनी बीमार माँ की अनुपस्थिति में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी कांग्रेस के संसदीय दल की बैठक में जब प्रधानमंत्री मोदी को TRP बटोरने वाला नेता कह रहे थे तो लोगों को अनायास ही इंदिरा गांधी का यह प्रकरण याद आ गया होगा। राहुल गांधी को चाहिए कि देश का न सही कम से कम अपने परिवार का ही इतिहास पढ़ने का कष्ट कर लें ताकि उनके उनको पता चल सके कि टीआरपी के पीछे भागने का इतिहास और विरासत गांधी परिवार के पास ही सर्वाधिक सुरक्षित है! यहाँ तक कि ‘गांधी’ उपनाम भी इंदिरा गांधी ने टीआरपी बटोरने के लिए ही महात्मा गांधी से हासिल किया था, जबकि नेहरू-इंदिरा की नीति रीतियों की गांधी के विचारों और सोच से कोई समानता ही नहीं है।
रहा सवाल प्रधानमंत्री मोदी के टीआरपी बटोरने का तो जिसके समक्ष कांग्रेस जैसा विपक्ष और राहुल गांधी सरीखे नेता हों उन्हें टीआरपी की फ़िक्र की कोई जरूरत ही क्या है!