
उच्च शैक्षणिक संस्थाओं में 8 साल बाद भी ‘घुइयां छील’ रही है मोदी सरकार!
(सरकार तुम्हारी, सिस्टम हमारा)
उच्च शिक्षण संस्थानों में कांग्रेस और वामपंथी विचारधारा का समर्थन करने वाले प्राध्यापकों व सहायक प्राध्यापकों द्वारा विश्वविद्यालयों और कालेजों में पढ रहे विद्यार्थियों के मानस पर उनकी पार्टी के समर्थन में किस प्रकार से उनकी पार्टी के लिए कैडर तैयार किया जाता है, उसका जीता – जागता उदाहरण दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतर्गत कार्यरत देशबन्धु कालेज का इतिहास विभाग है । आईये, इसे हम विभिन्न पहलुओं की सहायता से समझते हैं :-
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पहला पहलू :
आकाश नाम के एक शोधार्थी का एक आलेख अगस्त, 2022 में ‘कांग्रेस सन्देश’ के पृष्ठ 28 – 29 पर प्रकाशित हुआ है । आलेख का शीर्षक है – “सावरकर माने अफसोस, सावरकर माने भय, सावरकर माने साम्प्रदायिकता” । यहाँ पर ध्यान देने योग्य बात यह है कि आकाश नामक यह शोधार्थी ‘नेशनल मूवमेंट फ्रंट’ की वैचारिकी ईकाई से जुडा हुआ है ।
‘नेशनल मूवमेंट फ्रंट’ के संस्थापक सदस्य “डा. सौरभ वाजपेयी” हैं जो देशबन्धु कालेज के इतिहास विभाग में सहायक प्राध्यापक हैं । आकाश नामक इस शोधार्थी को कांग्रेस और वामपंथी विचारधारा से जुड़े हुए अन्य प्राध्यापकों और सहायक प्राध्यापकों ने पढ़ाया है और उनके द्वारा आकाश को 25 में 23 – 24 अंक दिए गए थे ।हालांकि अपने कॉलेज के दिनों से ही आकाश सौरभ वाजपेयी जी के संपर्क में आ गया था ।और कालांतर में शोधार्थी बनते – बनते वह कांग्रेस के मुखपत्र ‘कांग्रेस – सन्देश’ में स्वाधीनता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाने वाले वीर सावरकर जी के बारें में ऐसे अनाप – शनाप लेख लिखने लगा । कितना हास्यासपद है कि ‘नेशनल मूवमेंट फ्रंट’ नामक गैर सरकारी संस्था जो स्वयं को स्वतंत्रता सेनानियों के लिए समर्पित संस्था कहती है, वास्तव में वह भारतीय स्वाधीनता संग्राम से जुडे में कांग्रेस के नेताओं का महिमामंडन करती है और उसकी वैचारिकी शाखा से आकाश जैसे दिगभ्रमित लोग वीर सावरकर जैसे क्रांतिकारियों के लिए इस प्रकार के गलत शब्दों का उपयोग करते हैं ।







{आकाश (लाल रेखा के घेरे में) : 2016 – 19 बैच, देशबन्धु कालेज}
दूसरा पहलू :
जो विद्यार्थी कांग्रेस – वामपंथी विचारधारा से नही जुडे होते हैं, उनके साथ कांग्रेस – वामपंथी विचारधारा से जुडे हुए प्राध्यापकों और सहायक प्राध्यापकों द्वारा आंतरिक मूल्यांकन (Internal Assessment) में 25 में से मात्र 13 – 14 अंक ही दिए जाते हैं । ऐसा ही एक उदाहरण देशबंधु कालेज के इतिहास विभाग के विद्यार्थी रहे अक्षित बारू का है । अक्षित बारू ABVP से जुडे रहें हैं और उन्हें मात्र अक्षित बारू को 15 – 16 अंक दिए गए थे।
यद्दपि दिल्ली विश्वविद्यालय ने आंतरिक मूल्यांकन (Internal Assessment) में स्पष्ट दिशा – निर्देश जारी किया हुआ है कि 10 अंक एसाईन्मेंट के, 10 अंक क्लास टेस्ट के और 05 अंक अटेंडेंस के ।
अभी हाल में ही देशबन्धु कालेज के इतिहास विभाग के एक सहायक प्राध्यापक अभिषेक कुमार जी के खिलाफ ABVP ने एक छोटा सा धरना – प्रदर्शन कर अपना विरोध जताया । उन विद्यार्थियों का कहना था कि अभिषेक कुमार जी द्वारा क्लास में उनके साथ पक्षपाती व्यवहार कर उन्हें मानसिक रूप से प्रताडित किया जाता है । क्लास में अभिषेक कुमार जी द्वारा RSS, BJP, ABVP के खिलाफ गलत शब्दों का उपयोग करके उन्हें आंतरिक मूल्यांकन (Internal Assessment) तथा SEC (Skill Enhancement Course) के पेपर में कम अंक देने की धमकी दी जाती है । जिसकी लिखित शिकायत विद्यार्थियों ने कालेज के प्राचार्य महोदय को दिया । प्राचार्य महोदय ने उन्हें उचित संज्ञान लेकर कार्यवाही करने का पूरा आश्वासन दिया है ।
इसी प्रकार से पूर्व में भी विद्यार्थियों ने अपना सेक्शन बदलवाने के लिए देशबन्धु कालेज के इतिहास विभाग के अन्य सहायक प्राध्यापकों जैसे शाकिर जी और सुष्मिता जी के खिलाफ भी लिखित शिकायत दिया था ।







सुष्मिता जी, असिस्टेंट प्रोफेसर, इतिहास विभाग – देशबन्धु कॉलेज के खिलाफ यह शिकायत थी ।



तीसरा पहलू :
उच्च शिक्षण संस्थानों में कांग्रेस और वामपंथी विचारधारा का समर्थन करने वाले इन प्राध्यापकों व सहायक प्राध्यापकों द्वारा लिखी गई पुस्तकों को देखिए :-
देशबन्धु कालेज के इतिहास विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डा. सौरभ वाजपेयी ने JNU के इतिहास विभाग (CHS) से अपना शोध कार्य किया है तथा JNU – CHS की प्रो. सुचेता महाजन, प्रो. मृदुला मुखर्जी और आदित्य मुखर्जी की एक पुस्तक – ‘RSS, School Texts and the murder of Mahatma Gandhi : The Hindu Communal Project’ का हिन्दी अनुवाद “आरएसएस, स्कूली पाठ्यपुस्तकें और महात्मा गांधी की हत्या’ किया है । जिसकी प्रस्तावना विपिन चन्द्र ने लिखा है ।

देशबन्धु कालेज के इतिहास विभाग में एक अन्य असिस्टेंट प्रोफेसर की पुस्तक “सल्तनतकालीन इतिहास” है । इस पुस्तक में भारत आए आक्रमणकारियों द्वारा तोडे गए मन्दिरों का महिमामंडन किया है । उन्होंने लिखा है कि “इन मन्दिरों को तोडने का उद्देश्य मात्र लूट करना था न कि कोई धार्मिक कारण था । सीताराम गोयल जी जैसे इतिहासकारों ने मन्दिर – विध्वंश को बहुत बढा – चढाकर लिखा है जबकि मात्र 80 मन्दिर ही तोडे गए थे” ।

इसी पुस्तक के एक अध्याय में श्री अशुतोश ने अलाउद्दीन खिलजी का खूब महिमामंडन किया है । उसके विभिन्न सुधारों का खूब उल्लेख किया है । यहाँ तक कि एक पूरा अध्याय ही अलाउद्दीन खिलजी के सुधारों पर केन्द्रित कर लिखा है । परंतु उसी अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा रणथंभौर और चित्तौड अभियान के बारें में एक शब्द भी नही लिखा है । जबकि इसी अभियान के कारण ही वहाँ की राजपूत वीरांगनाओं के द्वारा “जौहर” किया गया था ।


इस पुस्तक के लेखक आशुतोष कुमार जी ने JNU – CHS से अपना शोधकार्य पूर्ण किया है ।
चौथा पहलू :
देशबन्धु कालेज के इतिहास विभाग के वर्तमान विभागाध्यक्ष श्री अश्वनी शंकर हैं । दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के चुनावी गतिविधियों में बहुत अधिक सक्रिय हैं तथा INTEC (I) के अध्यक्ष हैं । अपने कार्यकाल में इन्होंने अभी तक जो भी बेबीनार करवाएं हैं, उन सभी बेबीनारों में वक्ता के रूप में जितने भी इतिहासकार आएं हैं, वें सभी वामपंथी और कांग्रेस जैसी राजनीतिक पार्टियों के या तो विचारक हैं अथव प्रत्यक्ष – अप्रत्यक्ष रूप से जुडे हैं । बेबीनार में वक्ता के रूप में आए हुए प्रो. आदित्य मुखर्जी, प्रो. इरफान हबीब ने प्रत्यक्ष – अप्रत्यक्ष रूप से राममन्दिर आन्दोलन की न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल खडा किया तो नेहरू जी का महिमामंडन करते हुए मोदी जी की सरकार और संघ – विचार परिवार पर प्रश्नचिन्ह खडा किया । यहाँ तक कि ‘कश्मीर फाईल्स’ नामक मूवी में दिखाए गए विभिन्न दृश्यों पर प्रश्नचिन्ह प्रो. हंगलू ने खडा किया ।
देशबंधु कालेज के इतिहास विभाग में हुए विभिन्न बेबीनारों में आए हुए कुछ इतिहासकारों द्वारा बेबीनार में बोले गए उदबोधन का यूट्यूब लिंक : –
प्रो. इरफान हबीब :-
प्रो. आदित्य मुखर्जी :-
प्रो. हंगलू :-
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