सारा कुमारी । अभी अभी covid आ कर गया, विश्व में इस काल ने बहुत तबाही मचाई, कई परिवारो के जीने के साधन छीन गए, कई अपनो से सैदव के लिए बिछड़ गए। और covid से थोड़ी सी शांति मिली थी की अब विश्व को रूस और युक्रेन के युद्ध से जूझना पड़ रहा हैं, जी हां, युद्ध तो केवल एक region में हो रहा है, परंतु energy supply बाधित होने की वजह से मंहगाई के कारण इसका दंश सभी को चुभ रहा है।
जब सभी जगह जनता और ख़ासकर पश्चिमी देशों ( USA, UK) की जनता त्राहि त्राहि कर रही है, तो क्यों नहीं वहां के शासक वर्ग तक जनता के रोने की आवाज़ पहुंच रहीं हैं, क्यों नहीं वो अपनी जनता के दुःख को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं? क्यों राजनेता किंकर्तव्यविमूढ़ की स्थिति में बैठे हैं? जनता के हित में सही कदम क्यों नहीं उठा रहें हैं?
वो चाहे मोदी हों, या इटली की Giorgia Meloni, या UK के अभी अभी आए ऋषि सुनाक, युवा हो कर जोश से भरे होने के बावजूद, सकारात्मक बदलाव की बड़ी बड़ी बाते करके, सत्ता हासिल करते है, परंतु सत्ता मिलते ही, फिर उसी ढर्रे पर चलने लगते है, जिस पर बाकी सभी नेता चल रहे होते हैं।
कहते है information warfare का जमाना है, कोई ख़बर अब छिपी नहीं रह सकती, और वाकई में हर न्यूज आम आदमी तक पहुंच रहीं हैं, हर किसी की काली करतूत पकड़ी जा रहीं हैं, परंतु बहुत अजीब सी स्थिति है, ये विश्व इस तरह से शैतानी ताकतों के जाल में जकड़ चुका है की सब कुछ जानने के बाबजूद सज़ा किसी को नही मिल रहीं हैं। जो ताकतवर है, उसको हर गुनाह माफ़ हैं। उसके लिए कोई अदालत कोई जेल नहीं है।
अब जब ऐसी स्थिति आ जाती है, आम इन्सान कुछ नही कर पा रहा है, बाहरी दुनिया पर हमारा कोई कंट्रोल नही रहा तो सनातन के पुनः उद्धभव का सुनहरा अवसर है। हम सभी को “अंदर की यात्रा” प्रारम्भ कर देना चाहिए। यदि अंदर का तेज जाग गया, आप enlightened हो गए, तो अपने आस पास के लोगों को जगाएं, और इसी तरह दीप से दीप प्रज्ज्वलित करते चले, पूरे विश्व में उजाला छा जाएगा।
इस समय शासक वर्ग से शोषित जनता को, दुखी और परेशान लोगों को, सही मार्ग दिख जाए, ऐसा रास्ता जहां सही और गलत को पहचानने की शक्ति मिल जाए। एक ऐसी रोशनी जिसमे सब कुछ साफ साफ दिखने लगे, धुंध छट जाएं, अंधियारा मिट जाएं। तो ये आम जनता भी स्वंत्रता का अनुभव करेगी, जैसे गर्म रेत पर पानी पड़ गया हो ऐसा अनुभव करेगी।और ये काम हमें ही करना चाहिए, हर सनातनी को करना चाहिए, एक सेना की तरह सब खड़े हो जाएं, कमर कस अपनी तरफ से प्रयास करें, हो सकता है आपका टॉर्च छोटा हों, संपूर्ण ज्ञान न हों, परंतु अंधेरे से जूझ रहे व्यक्ति को एक दिए की एक लौ भी काफ़ी है, एक बार उसको ज्ञान की प्यास जग गई, तो वो फिर उसकी तलाश वो स्वयं ही करने लगेगा, और आपसे ज्यादा ज्ञानी को खोज लेगा। ये तो सफर हैं, मुसाफिर मिलते रहेगें, परंतु आपका प्रयास छोटा नही कहलाएगा।
ये जीवन महाभारत का युद्ध हैं, कृष्णा की तरफ खड़े हो जाइए और युद्ध प्रारंभ कीजिए, सफलता अवश्य मिलेगी।
जय हिंद जय भारत