राजधानी दिल्ली के अति सुरक्षित इलाके में स्थित इजरायल दूतावास के बाहर हुए ब्लास्ट की जांच गृह मंत्रालय ने नेशनल इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी ( एनआईए ) को सौंप दिया है।
अब इस हाईप्रोफाइल मामले की जांच एनआईए ही करेगी और इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद भी उसकी सहयोग कर सकती है।
हालांकि इसमें कोई हताहत नहीं हुआ था लेकिन इस हमले को भारत सरकार एक आतंकी हमले की तरह देखकर जांच में जुटी है।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि इजरायली दूतावास के पास हुए ब्लास्ट की जांच एनआईए को सौंपे जाने के बाद संबधित दस्तावेज दिल्ली पुलिस जल्द ही एनआईए को सौंप देगी।
पहले इसमें स्पेशल सेल ने एक्सप्लोसिव एक्ट, यूएपीए तथा साजिश रचने संबंधित अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया । जिस तरह से मामले में ईरानी कनेक्शन उजागर हुआ और आशंका है की स्लीपर सेल द्वारा इस वारदात को अंजाम दिया गया।
जबकि इस घटना को लेकर कई अंतरराष्ट्रीय देशों की भूमिका प्राथमिक जांच में सामने आई ,इस वजह से इस हाइप्रोफाइल मामले को ट्रांसफर कर देना ही उचित समझा गया ।
सनद रहे कि 29 जनवरी की शाम एपीजे अब्दुल कलाम रोड स्थित इजरायल दूतावास के समीप ब्लास्ट हुआ था और इस ब्लास्ट में कोई घायल तो नहीं हुआ था, लेकिन वहां मौजूद तीन कारे क्षतिग्रस्त हो गई थीं।
दिल्ली पुलिस को जांच के दौरान मौके से एक पत्र भी मिला था, जो इजरायल दूतावास के एम्बेसडर को संबोधित करते हुए लिखा गया था और इस धमकी भरे पत्र में ब्लास्ट को महज ट्रेलर बताया गया था
जबकि भारत के अन्य्य शहरों में इस तरह के और धमाके किए जाने की बात कही गई थी। पत्र से ऐसा लग रहा है कि किसी ईरानी ने ब्लास्ट को अंजाम दिया जबकि जैश उल हिंद नामक आतंकी संगठन ने कथित तौर पर इसकी जिम्मेवारी ली थी।
लेकिन पुलिस का कहना है कि इस हमले के तार आतंकी संगठन अलकायदा या इस्लामी स्टेट से जुड़े हो सकते हैं।
दिल्ली पुलिस का स्पष्ट कहना है कि है जांच ट्रांसफर होने के बाद दिल्ली पुलिस मौके से जुटाए गए सारे सबूत एनआईए को सौंपने जा रही है और कई अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य से संबंधित दस्तावेज भी जल्द एक दो दिनों के भीतर सौंप दी जाएगी ।
इनमें सीसीटीवी की फुटेज से लेकर धमाके के सिलसिले में मोबाइल कॉल के डाटा (डंप डाटा), इंटरनेट कॉल, निकटवर्ती होटलों के सीसीटीवी फुटेज और कैब सेवा के ब्योरे आदि शामिल है।
इसके अलावा एफ आर आर ओ से भेजी गई ईरानी नागरिकों की सूची भी शामिल है। इसमें ऐसे ईरानी लोग शामिल हैं जो पिछले 3 महीने के दौरान भारत की यात्रा किया है या फिर जो वीजा समाप्त होने के बाद भी भारत में अवैध तरीके से छुपे हुए हैं।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि अब फॉरेंसिक जांच की रिपोर्ट भी एनआइए को सौंपी जाएगी। यह धमाका 29 जनवरी को तब हुआ था जब कुछ किलोमीटर दूर गणतंत्र दिवस समारोह के समापन के तौर पर होने वाला ‘बीटिंग रीट्रिट’ कार्यक्रम चल रहा था,
जिसमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मौजूद थे जबकि यह विस्फोट जिस दिन हुआ, उस दिन भारत और इजराइल के कूटनीतिक संबंधों की स्थापना की 29वीं वषर्गांठ थी।
इससे पहले स्पेशल सेल के अलावा केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए और एनएसजी ने भी घटना स्थल जाकर बम धमाके की जांच की। सेल की टीम ने घटना स्थल की थ्रीडी-मैपिंग भी करवाई।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि उसने कई संदिग्ध ईरानी से पूछताछ की है और इन लोगों को भी एनआईए के हवाले कर दिया जाएगा । सूत्रों का कहना है कि बम धमाके से कुछ ही देर पहले दो संदिग्ध एक कैब में बैठकर आते हुए दिखे थे।
पुलिस सूत्रों का दावा है कि विस्फोट करने के लिए आतंकियों ने अमोनियम नाइट्रेट और PETN का इस्तेेमाल किया गया जबकि घटना स्थल से बरामद एक पॉलीथीन बैग, बॉल बैरिंग, आधा जला हुआ पिंक कलर के दुपट्टे की भी पड़ताल की जा रही है।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि धमाका करने के लिए आईईडी का इस्तेमाल किया गया। दूतावास के बाहर हुए धमाके में हाई ग्रेड मिलिट्री एक्सप्लोसिव पाए गए हैं। इस तरह के विस्फोट के लिए अल-कायदा जैसे आतंकी संगठन को जाना जाता है।