कभी-कभी निचली अदालत की कार्यप्रणाली अचंभित करने वाली होती है। एक तरफ सुप्रीम कोर्ट सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय जैसी जांच एजेंसियों को एयरसेल-मैक्सिस घोटाला मामले की जांच छह महीने में पूरी करने का निर्देश देता है, वहीं दूसरी तरफ एक निचली अदालत उस व्यक्ति की याचिका पर अग्रिम जमानत दे देती है, जिसके खिलाफ जांच जारी है। बात पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम की है। जिसे सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए जाने को लेकर तीन जुलाई तक के लिए अभी-अभी सुरक्षा मिल गई है।
#JUSTIN | P Chidambaram gets interim protection from arrest by CBI till July 3 in the INX Media Case., reports ANI
— Times of India (@timesofindia) May 31, 2018
एएनआई(ANI) की रिपोर्ट के मुताबिक अब सीबीआई आईएनएक्स मीडिया केस मामले में तीन जुलाई तक चिदंबरम को गिरफ्तार नहीं कर सकती। ऐसे में सवाल उठता है कि सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय, अपनी जांच सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित समय सीमा के अंदर कैसे पूरी कर सकता है? दूसरा सवाल यह भी उठता है कि जो जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो रही हो उस मामले में कोई निचली अदालत कैसे हस्तक्षेप कर सकती है?
वहीं इस मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम, बेटे कार्ति चिदंबरम और बहू के खिलाफ चल रहे मामले में किसी प्रकार की रोक लगाने से इनकार कर दिया है। ये पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के पिछली सरकार के दौरान किए गए बुरे कर्मों का ही फह है कि आज वे अपनी अग्रिम जमानत के लिए 2जी अदालत से लेकर उच्च अदालत तक के चक्कर काटने को मजबूर हैं।
Madras HC refuses to stay prosecution launched against former Union Minister P. Chidambaram's wife, son and daughter-in-law pic.twitter.com/DoDy10OfLy
— TIMES NOW (@TimesNow) May 30, 2018
पी चिदंबरम के खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार के मामले में जांच की गति जैसे ही तेज हुई है एक कोर्ट से दूसरे कोर्ट की उनकी भागादौड़ी भी तेज हो गई है। चिदंबरम को अपनी गिरफ्तार का डर सताने लगा है। इसलिए तो वे किसी तरह अग्रिम जमानत लेने की जुगाड़ में जुट गए हैं। हालांकि आंशिक रूप से उन्हें कुछ सफलता मिलती दिखाई भी दी है। क्योंकि दिल्ली की एक निचली अदालत ने उन्हें एयरसेल-मैक्सिस मामले में अंतरिम जमानत देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक तो उन्हें 3 जुलाई तक के लिए अग्रिम जमानत मिल गई है।
आईएनएक्स मीडिया से जुड़े मामले में सीबीआई ने चिदंबरम को गुरुवार को पेश होने का समन दिया। वहीं एयरसेल-मैक्सिस मामले में 5 जून को प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश होने को कहा गया है। इस बीच मद्रास हाईकोर्ट ने चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम, बेटे कार्ति चिदंबरम और बहू श्रीनिधि के खिलाफ ब्लैक मनी एक्ट के तहत आयकर विभाग की कार्रवाई पर रोक लगाने से मद्रान हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया है। पूर्ववर्ती सरकार यूपीए के दौरान किए गए बुरे कर्मों का ही परिणाम है कि पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम का पूरा परिवार चारों ओर से कानून के चंगुल में फंसता दिख रहा है। अपने पारिवारिक सदस्यों और खुद की गिरफ्तारी से बचने के लिए चिदंबरम को दिल्ली के 2जी कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक का चक्कर काटना पड़ रहा है। उनके खिलाफ इतने मामले दर्ज है कि एक के लिए जमानत मिलती नहीं कि दूसरे मामले में तलवार लटकनी शुरू हो जाती है।
बुधवार की सुबह साढ़े न बजे पी चिदंबरम अपने वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी के साथ प्रवर्तन निदेशालय के समन के खिलाफ दिल्ली स्थित 2जी कोर्ट पहुंचे। इस मामले में जस्टिस ओ पी सैनी ने एक हिदायत के साथ 5 जून तक के लिए अग्रिम जमानत दे दी। हिदायत यह दी गई है कि प्रवर्तन निदेशालय के इच्छा अनुरूप उन्हें उसके सामने मौजूद होना होगा। उनकी जमानत भी अनंतकाल तक के लिए नहीं है। कुछ ही घंटो के भीतर चिदंबरम को गुरुवार को आईएनएक्स मीडिया जांच मामले में सीबीआई के सामने पेश होने को कहा गया। मालूम हो कि इसी मामले में जस्टिस सैनी ने उनके बेटे कार्ति चिदंबरम को 23 मार्च को अग्रिम जमानत दे रखी है। यहीं पर निचली अदलात की कार्यप्रणाली पर सवाल उठता है कि आखिर चिदंबरम जैसे भ्रष्ट परिवार के मामले को इतनी जल्दी लिया क्यों जाता है?
URL: INX Media case: HC protects Chidambaram arrest till first week of July
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