सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इनवेस्टिगेशन (CBI) ने अपनी जांच में पाया है कि एक महिला पत्रकार सीबीआई अधिकारियों को फांस कर चिदंबरम से जुड़े सबूतों और दस्तावेजों को निकलवाने का काम करती थी। सीबीआई के बड़े-बड़े अधिकारी उस महिला पत्रकार के जाल में फंस चुके थे। यहां तक कि जो जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में खुलनी चाहिए थी, वह भी चिदंबरम के घर से मिली! संभवतः उस महिला पत्रकार के हुस्न में फंसकर जांच में शामिल किसी सीबीआई अधिकारी ने ही जांच रिपोर्ट उसके हवाले कर दिया है!
आश्चर्य है कि इससे पूर्व एक पत्रकार उपेंद्र राय को सीबीआई ने चिदंबरम के लिए दलाली करने के आरोप में गिरफ्तार किया, तो दूसरी तरफ एक ऐसी महिला पत्रकार का पता चला है जो चिदंबरम के लिए वेश्यावृत्ति (prostitutes) समान काम करने के आरोप में संदेह के घेरे में है! कांग्रेस और पत्रकारों के बीच के इस घिनौने गठबंधन के खुलासे पर लुटियन मीडिया खामोश है और एक-दूसरे को बचाने के प्रयास में जुटी है!
जानकारी मिली है कि चिदंबरम की नजदीकी रही एक महिला पत्रकार से जब कुछ सीबीआई अधिकारियों ने संपर्क बढ़ाना शुरू किया तो उन्हें अपने ही कुछ बड़े अधिकारियों के व्यवहार पर संदेह हुआ! चिदंबरम के नजदीकी उपेंद्र राय और उस महिला पत्रकार ने सीबीआई के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को फंसा रखा था और शायद उन्हें ब्लैकमेल कर रही थी।
इस संदर्भ में एक पूर्व सीबीआई निदेशक ने वेबसाइट पीगुरु से कहा है कि “इस प्रकार के ‘हनी ट्रैप’ के कारण एजेंसी की छवि धूमिल होती है, खासकर तब जब कॉरपोरेट और राजनेताओं से जुड़े हाईप्रोफाइल केस की जांच के दौरान अधिकारी पैसे और महिला के लालच में फंस जाते हैं! इसलिए मैं हमेशा अपने युवा अधिकारियों से धन और औरत से दूर रहने को कहता था, लेकिन दुर्भाग्य से कुछ अच्छे लोग भी लालच में फंस गये। सीबीआई ने उस व्यक्ति को ढूंढ निकाला है जिसने उपेंद्र राय और उस महिला पत्रकार के साथ संदिग्ध सीबीआई अधिकारी के नापाक रिश्तों को उजागर किया है। सीबीआई अभी और सबूत जुटाने का प्रयास कर रही है।
मुख्य बिंदु
* आरोप है कि पी.चिदंबरम के लिए पुरुष पत्रकार करते थे दलाली, और महिला पत्रकार करती थी Honey Trap
* आखिर बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को भेजी गई गोपनीय जांच रिपोर्ट चिदंबरम के पास कैसे पहुंची?
सीबीआई के संदिग्ध अधिकारी की जान को खतरा, सुरक्षा मिली!
जांच के अनुसार संदिग्ध सीबीआई अधिकारी एयरसेल-मैक्सिस की जांच में भी शामिल था। सबको पता है कि इसी अधिकारी ने विगत एक साल से पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के खिलाफ चल रही जांच में कोई प्रगति नहीं होने दी। ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) द्वारा की गई तलाशी के दौरान सीबीआई की वह ड्राफ्ट रिपोर्ट उसी के आवास से मिली थी जिसमें चिदंबरम का नाम शामिल किया गया था। इतना ही नहीं सीबीआई का वह ड्राफ्ट रिपोर्ट जो बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट में सौंपी जानी थी वह भी चिदंबरम के जोर बाग स्थित आवास के उनके बेडरूम में मिली! सीबीआई ने उस अधिकारी और उसके परिवार पर खतरा देखते हुए सुरक्षा उपलब्ध कराई है।
इस खुलासे के बाद सबसे पहला सवाल उठता है कि उस सीबीआई अधिकारी का उपेंद्र राय और उस महिला पत्रकार के साथ के साथ कितनी गहरी साठगांठ है? उपेंद्र राय के साथ साठगांठ के चलते आयकर विभाग के कुछ अधिकारी भी सीबीआई के निशाने पर हैं। उपेंद्र राय के खिलाफ दर्ज अपनी दूसरी रिपोर्ट में सीबीआई ने स्पष्ट लिखा है कि वह आयकर विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के संपर्क में था। इसी के कारण वह आयकर विभाग के पास उनका काला चिट्ठा होने का भय दिखाकर कई उद्योगपतियों और कॉरपोरेट्स से जबरन वसूली करता था। उपेंद्र राय आयकर विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारियों से मिलीभगत कर PNB Scam में फंसे नीरव मोदी के साथ जबरन वसूली मामले के केस में भी आरोपी है।
चिदंबरम के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की जांच को रुकवाने/ भटकाने का प्रयास
यहां इसका जिक्र करना जरूरी है कि 2G घोटाला मामले की निगरानी कर रही सुप्रीम कोर्ट बेंच ने एयरसेल-मैक्सिस मामले में चिदंबरम के खिलाफ जांच शीघ्र पूरी करने का निर्देश दे रखा है। मालूम हो कि प्रवर्तन निदेशालय ने सीबीआई द्वारा इस मामले में दायर चार्जसीट से पहले ही पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम की संपत्ति प्रीवेंसन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत संलग्न कर दिया था। लेकिन सीबीआई अधिकारी ने उपेंद्र राय के साथ मिलकर एक बार फिर चिदंबरम को बचाने का खेल शुरू कर दिया है। इसके साथ ही प्रवर्तन निदेशालय के उस जांच अधिकारी पर निशाना साधना शुरू कर दिया, जो कि सुप्रीम कोर्ट की अवमानना है। ये लोग किसी प्रकार से प्रवर्तन निदेशालय की जांच को रुकवाने या भटकाने का भरसक प्रयास में जुटे हैं । यह कितना दुर्भाग्य की बात है कि जिस उपेंद्र राय को सीबीआई ने यूसीएम (अनडिजाइरेबल कॉन्टैक्ट मैन) की सूची में रख दिया हो उसी के साथ सीबीआई के एक बड़े अधिकारी की इतनी गहरी साठगांठ हों?
सीबीआई पहले से ही उपेंद्र राय के खिलाफ बीसीएएस द्वारा देश के एयरपोर्ट में निर्वाध प्रवेश के लिए संवेदनशील एयरपोर्ट इंट्री कार्ड जारी करने, जबरन वसूली और फर्जी कंपनियों के जरिए 15 करोड़ रुपये के अवैध लेनदेन के मामले में दो केस दर्ज कर चुका है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक उपेंद्र राय अपने उक्त सीबीआई अधिकारी के साथ मिलकर 2G घोटाला मामले के मुख्य आवेदक भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुब्रहमण्यम स्वामी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराना शुरू कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने 12 मार्च 2018 के अपने आदेश में जांच पूरी करने के लिए छह महीने की समय सीमा दे रखी है। इसके साथ ही कोर्ट ने सीबीआई और ईडी को भी यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया है कि जांच अपने नियत समय में पूरी हो। इसलिए भी उपेंद्र राय और उसका सहयोगी संदिग्ध सीबीआई अधिकारी एक बार फिर प्रवर्तन निदेशालय के खिलाफ हमला करने में जुटे हैं, ताकि किसी प्रकार से इस जांच को प्रभावित किया जा सके।
अब सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह उठता है कि क्या कभी चिदंबरम को बचाने वाले इस नापाक संबंधों की रोशनी में एयरसेल-मैक्सिस केस को परखा जाएगा? क्या ईडी सीबीआई की चार्जसीट दाखिल किए बगैर इस मामले की जांच पूरी कर पाएगी? आखिर इस मामले में चिदंबरम को कैसे सीबीआई की हर चाल के बारे में पता चल जाता है? आखिर अति गोपनीय जांच दस्तावेज दागी पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम के आवास पर पहुंचाने के लिए कौन जिम्मेदार है? आखिर चिदंबरम-पत्रकार-सीबीआई अधिकारियों के बीच के इस नापाक साठगांठ को कौन मजबूती दे रहा है और जांच को प्रभावित कर रहा है? क्या इस मामले में जल्द ही सच बाहर आएगा? और बड़ा सवाल, उपेंद्र राय की तरह ही देश उस महिला पत्रकार का नाम जान पाएगा, जिस पर चिदंबरम को बचाने के लिए अपने हुस्न का इस्तेमाल करने का आरोप है?
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नोट: यह पूरी खबर https://www.pgurus.com/ पर दर्ज सूचनाओं के आधार पर साभार लिखी गयी है। India speaks daily इसमें से किसी भी तथ्य की पुष्टि का दावा नहीं करता है।
URL: Is any official of CBI saving former Finance Minister P Chidambaram?
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