मथुरा जवाहर बाग हिंसा की सीबीआई द्वारा जाँच कराने की मांग पर शहीद मुकुल द्विवेदी की पत्नी अर्चना द्विवेदी की तरफ से वरिष्ट अधिवक्ता और उत्तर प्रदेश के पूर्व महाधिवक्ता वी सी मिश्र हाईकोर्ट में बहस किया और प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मथुरा कांड कोई कानून व्यवस्था का मामला नहीं है बल्कि यह एक बड़े नेता द्वारा 300 एकड़ में फैले पार्क पर कब्जा करने की साजिश का परिणाम है।
जवाहर बाग पार्क की बाजार कीमत 5000 करोड़ रुपये है! शहीद मुकुल द्विवेदी की पत्नी ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि उनके पति राजनीतिक साजिस के शिकार हुये है जिसमे प्रदेश के दो बड़े नेता शामिल हैं। इस मामले में राज्य के दो बड़े नेता शामिल हैं और उनसे आजतक पूंछताछ नहीं की गयी इसीलिये उन्हें पुलिस जाँच पर कोई भरोसा नहीं है और सीबीआई जाँच के बिना उन्हें न्याय नहीं मिलेगा।
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह ने कहा कि शहीद मुकुल द्विवेदी की पत्नी के तरफ से बहस कर रहे वी सी मिश्रा सरकार पर गलत आरोप लगा रहे हैं क्योंकि उन्हें इसी सरकार ने महाधिवक्ता पद से हटा दिया था इस पर मिश्रा ने जबाब दिया कि वह इसी सरकार में महाधिवक्ता रह चुके हैं इसीलिये जानते हैं किस प्रकार पिछले पांच वर्ष में सरकारी जमीनों पर कब्जा किया जा रहा हैं। उन्होंने कहा कि इस हिंसा की मुख्य वजह बाबा जय गुरुदेव की अरबों रुपये की चल-अचल संपत्ति है जिस प्रकार दो बड़े नेताओं में आपस में शीत युद्ध चल रहा है।
मुख्य याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की तरफ से बहस करते हुये अधिवक्ता राजीव लोचन शुक्ल ने कोर्ट को बताया कि 101 लोगों की गिरफ्तारी हुयी है लेकिन किसी में भी नियम और कानून का पालन नहीं हुआ है। पुलिस कस्टडी में मृत्यु होने पर न्यायिक जाँच जरुरी होती है लेकिन वह भी नहीं हुयी ! पोस्ट मार्टम रिपोर्ट भी अधूरी है! जो प्रपत्र 2013 में बंद हो चूका है उस पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट जानबूझ कर भरी गयी। याचिकाकर्ता विजयपाल तोमर की तरफ से अधिवक्ता अमित डागा और क्षमा दूबे की तरफ से अधिवक्ता अमित सक्सेना ने बहस किया। अंतिम सुनवाई 6 फ़रवरी को होगी।