दिल्ली में पिछले 11 दिनों की जारी डॉक्टरों की हड़ताल में नया पेंच आ गया है. कल प्रदर्शन के दौरान डॉक्टरों को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया था जिसके बाद डॉक्टरों ने सरोजनी नगर थाने का घेराव किया, तो पुलिस ने डॉक्टरों पर मुकदमा दर्ज कर लिया. कुल मिलाकर दिल्ली में डॉक्टरों और पुलिस के बीच घमासान शुरू हो गया है. डॉक्टर माफी की मांग कर रहे हैं वहीं पुलिस का कहना है कि डॉक्टरों के साथ मारपीट नहीं हुई है. जबकि आप खुद देख पाएंगे कैसे दिल्ली पुलिस महिला डाक्टरों को जबरन घसीट रही है और उनके साथ किस तरह का अमानवीय व्यवहार कर रही है.
दिल्ली पुलिस के इस रवयै से नाराज रेजिडेंट डॉक्टरों ने दिल्ली में स्वास्थ्य सुविधाओं को पूरी तरह से ठप करने का एलान किया है. सभी अस्पतालों में ओपीडी में ताला लगाया जाएगा. जूनियर डॉक्टर इमरजेंसी में भी ड्यूटी नहीं देंगे. दरअसल नीट पीजी (NEET PG) काउंसलिग जल्द कराने की मांग को लेकर दिल्ली में पिछले 11 दिनों से डॉक्टरों की हड़ताल जारी है. काउंसलिग का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है. लिहाजा डॉक्टरों ने सुप्रीम कोर्ट का घेराव करने के लिए
पैदल मार्च निकाला. लेकिन पुलिस ने प्रदर्शन शुरु होते ही डॉक्टरों को रोक लिया. इस दौरान पुलिस के साथ डॉक्टरों की हाथापाई भी हुई. नीट पीजी काउंसलिंग पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से सुनवाई के लिए आगामी छह जनवरी का दिन तय किया गया है लेकिन काउंसलिंग पहले कराने के लिए डॉक्टर बीते 11 दिन से हड़ताल पर हैं. सफदरजंग, लोकनायक, जीटीबी, जीबी पंत, आरएमएल और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज जैसे बड़े अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टर्स प्रदर्शन कर रहे है. इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है.
एक तरफ जहां शाहीन बाग और फर्जी किसानों पर पुलिस का जोर नहीं चला, वहीं कोरोना वारियर्स के साथ इस तरह दिल्ली पुलिस का व्यवहार कहां तक जायज है ? और क्या जिन डॉक्टरों ने कोरोना के खिलाफ देश की लड़ाई को मजबूत किया उन डॉक्टरों के साथ पुलिस की द्वारा की गई कार्रवाई जायज है ?