अर्चना कुमारी । दिल्ली दंगा में हिंसा की साजिश रचने को लेकर पकड़ी गई कांग्रेस की पूर्व पार्षद रिहा किए जाने के आदेश दिए गए। अदालत ने साल 2020 के दिल्ली दंगा मामले से जुड़े मामले में सोमवार को कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां को जमानत प्रदान की। सुनवाई के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने जमानत आदेश पारित किया। गौरतलब हो कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फरवरी 2020 में हुए दंगों के लिए मुख्य साजिशकर्ता के रूप में भूमिका निभाने के आरोप में कांग्रेस पार्टी की पूर्व पार्षद इशरत जहां समेत कई अन्य लोगों के खिलाफ गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।
आपको बता दें कि इन दंगों में 53 लोगों की मौत हुई थी और 700 से अधिक लोग घायल हुए थे। इससे पहले कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां को शादी के लिए जून 2020 में 10 दिन की अंतरिम जमानत दी गई थी। इससे पहले नवंबर 2020 में अपराध की गंभीरता को देखते हुए इशरत जहां को जमानत देने से इनकार कर दिया था। इनमें गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत दर्ज मामले शामिल थे।
लेकिन इशरत जहां मंडोली जेल में कोविड-19 के प्रकोप और अन्य चिकित्सा संबंधी मुद्दों का हवाला देते हुए जमानत देने की अपील करती रही । उस समय दंगे से जुड़े गवाहों को प्रभावित नहीं करने या सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करने का निर्देश दिया गया था। इसी आरोपों के चलते इशरत जहां के अलावा जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तनहा, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की छात्रा नताशा नरवाल और देवांगना कालिता, पूर्व छात्र नेता उमर खालिद, जामिया समन्वय समिति की सदस्य सफूरा जरगर, पूर्व आप पार्षद ताहिर हुसैन तथा कई अन्य पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया था।
इस बीच दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हिंसा के आरोपी उमर खालिद समेत दूसरे आरोपियों की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि इस मामले में टेरर फंडिंग हुई थी जबकि इस मामले के आरोपी ताहिर हुसैन ने काला धन को सफेद करने का काम किया। कड़कड़डूमा कोर्ट दिल्ली हिंसा के आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका पर फैसला टाल दिया है और अब एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने 21 मार्च को फैसला सुनाने का आदेश दिया।