डॉ. वेदप्रताप वैदिक
तुर्की के इस्तांबूल हवाई अड्डे पर जो रक्तपात हुआ, वह किसके नाम पर हुआ? इस्लाम के नाम पर। जो 41 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए, वे कौन थे? वे सब, लगभग सब मुसलमान थे। तुर्की तुर्की है, फ्रांस नहीं है, बेल्जियम नहीं है, जापान नहीं है, भारत नहीं है। वह एक मुस्लिम देश है।
‘इस्लामी राज्य’ या ‘दाएश’ क्या चाहता है? वह चाहता है कि सारी दुनिया में निजामे-मुस्तफा कायम हो जाए। इस्लामी राज्य कायम हो जाए। मैं पूछता हूं कि इस्लामी राज्य कायम करने का क्या यही तारीका है? आतंक की जो वारदात हो रही हैं, उनसे क्या इस्लाम की इज्जत बढ़ रही है? कौन-सा इस्लामी देश ‘दाएश’ को दावत देकर अपने यहां बुला रहा है? जो गैर-इस्लामी देश ‘दाएश’ के आतंक के शिकार हुए हैं, वहां भी नतीजा क्या निकला है? फ्रांस, बेल्जियम, हालैंड जैसे देशों में जो कुछेक लोग मारे गए हैं, वे ईसाई जरुर हैं लेकिन जो लाखों लोग उनकी वजह से मर-मरकर जी रहे हैं, वे कौन हैं? वे यूरोप के मुसलमान हैं। ‘दाएश’ की हिंसक गतिविधियों के कारण ही लाखों मुसलमान सीरिया से भाग-भागकर यूरोपीय देशों की छाती पर सवार हो गए हैं। यही वजह है कि अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप जैसा राष्ट्रपति का उम्मीदवार खुले-आम मुसलमानों के खिलाफ तेजाब उगल रहा है। मैं तो यहां तक कहूंगा कि यदि ट्रंप अमेरिका का राष्ट्रपति बनता है तो उसका श्रेय इस्लामी आतंकवादियों को ही मिलेगा।
तुर्की भी कम खुदा नहीं है। शुरु-शुरु में तुर्की और सउदी अरब भी ‘दाएश’ का समर्थन कर रहे थे। अमेरिका भी तटस्थ दिखाई पड़ता था। तुर्की की इस्लामी सरकार पश्चिम एशिया और यूरोप में दुबारा तुर्की साम्राज्य स्थापित करने के सपने देखने लगी थी। सीरिया के शिया शासक अगर पिट रहे थे तो किसी को खास दर्द नहीं था लेकिन अब जबकि रुस के साथ-साथ अमेरिका ने भी ‘दाएश’ पर बम बरसाने शुरु कर दिए तो तुर्की ने भी पल्टा खाया। इसीलिए ‘दाएश’ ने अब तुर्की पर एक के बाद एक हमले शुरु कर दिए। तुर्की के अंदर ही कुर्दों की बगावत ने इर्दोगन-सरकार की दाल पतली कर रखी है। ‘दाएश’ के आतंकवादी अब अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत को भी अपनी गिरफ्त में लेना चाहते हैं। अच्छा हुआ कि हैदराबाद में ‘दाएश’ से संबंधित 11 लोगों को कल ही गिरफ्तार किया गया है। यदि उन्हें पकडा न गया होता तो भारत में भी कई ‘इस्ताम्बूल’ हो जाते। ‘
दाएश’ नाम तो इस्लाम का लेता है लेकिन काम सारे ऐसे करता है, जिससे इस्लाम बदनाम होता है और मुसलमानों का जीना हराम होता है।