आईएसडी नेटवर्क।14 नवंबर को सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध हत्या को छह माह पूरे हो जाएंगे। इसके साथ ही केंद्रीय एजेंसियों को इस केस की जाँच पर कार्य करते हुए पांच माह से अधिक समय बीत चुका है लेकिन जाँच इतने लचर ढंग से चल रही है कि अब तक सीबीआई यही तय नहीं कर सकी है कि सुशांत की मौत हत्या थी या आत्महत्या।
यहाँ तक कि दिशा सालियान का केस भी अब तक नहीं खोला गया है। मुंबई में बैठी सीबीआई की टीम पूरी तरह निष्क्रिय दिखाई दे रही है। इस मामले में रिपब्लिक भारत व अन्य लोगों ने जो खुलासे किये, उनका भी कोई संज्ञान नहीं लिया गया है। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे के खुलासे पर ही सीबीआई ने कोई एक्शन नहीं लिया था।
स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन की ओर से भी ऐसा कोई बयान नहीं आया, जिससे ऐसा लगे कि वे एम्स के डॉक्टर सुधीर गुप्ता के खिलाफ कोई कार्रवाई करने जा रहे हैं। सुशांत के परिजन और उनके लिए लड़ने वाले अब हताश हो चुके हैं। सोशल मीडिया पर इस बात की बहुत चर्चा है कि देवेंद्र फडणवीस और संजय राउत की मुलाक़ात के बाद ये केस बंद कर दिया गया है।
देवेंद्र फडणवीस और सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का रवैया भी इस केस को लेकर शुरु से संदिग्ध ही दिखाई दिया है। सुशांत के समर्थकों ने अब केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है कि सीबीआई अपनी जाँच का परिणाम घोषित करे। सीबीआई का इस केस को लेकर बहुत लचर रवैया देखने को मिला है। पांच माह की जाँच का हासिल क्या निकला, ये सीबीआई अब तक बता नहीं सकी है।
इस केस के सारे संदिग्ध सीबीआई के घेरे से बाहर हैं। संदीप सिंह इस केस में मुख्य संदिग्ध था लेकिन अब वह मजे से बाहर घूम रहा है। रिया चक्रवर्ती जेल से बाहर आने के बाद गवाहों के खिलाफ एफआईआर करवा रही है। रिया के भाई शौविक को जल्द ही ज़मानत मिल जाएगी। कुल मिलाकर स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि इस केस पर से केंद्रीय एजेंसियों का शिकंजा अब ढीला पड़ चुका है और सुशांत के परिजनों को भी अब इसमें कुछ होने की आस नहीं दिखाई दे रही है।
सब की मिलीभगत है