कोरोना से घबराइये नहीं। कोरोना से बचने के लिये सबसे अधिक सुरक्षित जगह आपका घर है क्योंकि अस्पताल के मुक़ाबले इनफ़ेक्शन बहुत कम है, शुद्ध ताज़ा स्वादिष्ट भोजन मिलेगा, आप अपनों के बीच होंगे, आपकी सही देखभाल होगी। इसके अलावा सभी को यह पता है कि अस्पतालों में कोरोना ठीक करने की कोई दवा नहीं है क्योंकि अभी तक बनी ही नहीं, बेड की कमी, ऑक्सीजन की कमी, केयर की कमी, अपनेपन की कमी, बेस्वाद भोजन, वेन्टीलेटर की कमी, हर चीज में धोखाधड़ी, लूटखसोट और अमानवीय व्यवहार। कोरोना के कोई भी लक्षण मिलें तो आप www.2ndopinion.live या फिर टॉल फ्री न.-1800-102-1357 पर नि:शुल्क सलाह हेतु सम्पर्क करें।
जो डर गया सो मर गया।
बहुत पुरानी कहावत आज कोरोना काल में प्रत्यक्ष चरितार्थ होती दिखाई दे रही है। जब से कोरोना आया सभी ने सभी को डराने का काम किया, फलस्वरूप इंसान डरपोक बन गया। डरा हुआ इंसान कभी जीत नहीं सकता और यही कारण है जिससे कोरोना इंसान पर भारी पड़ गया। डराने और डरने के पीछे का मक़सद कुछ भी हो, परन्तु डरने के कारण इंसान निरीह और अक्षम बन गया है। जिससे उसकी सोचने की शक्ति कमजोर पड़ गई है, ऐसी परिस्थिति में वह एक कठपुतली बनकर रह गया है।
यदि कोरोना से जीतना है तो हमें साहसी और निडर बनना होगा। मुँह छुपाकर, घरों में छुपकर बैठने से कोरोना को हराना संभव नहीं है। पिछले डेढ़ सालों में कोरोना समाप्त होने की जगह विकराल होता गया है और भविष्य में इसके और भी ख़तरनाक होने की संभावनाओं को नाकारा नहीं जा सकता।अत: यदि कोरोना को समाप्त करना है तो साहसिक कदम उठाने होंगे और कोरोना का सामना करना होगा।
कोरोना एक प्राकृतिक आपदा है जो हमारे वातावरण में समाहित है और हमें उसके साथ ही जीना होगा। तो क्या आगे आने वाले समय में हम सदैव मास्क लगाये रहेंगे, हमारे बच्चे जन्म से ही मास्क लगायेंगे, हम सब काम छोड़कर कर लॉकडाउन में घरों पर बैठे रहेंगे, क्योंकि जिस रास्ते पर आज हम चल रहें हैं वह हमें कोरोना से निज़ात नहीं दिला सकता।
यदि हमें कोरोना का सामना करना है तो हमें स्वयं को सशक्त करना होगा। कोरोना से लड़कर जीतने के लिये एकमात्र उपाय इम्यूनिटी है। पिछले कुछ दशकों में खानपान में परिवर्तन, न्यूट्रीशन की कमी, खाने में विषैले तत्वों की अधिकता, जल एवं वायु प्रदूषण, मानसिक तनाव, कार्य शैली में परिवर्तन इत्यादि ने हमारी इम्यूनिटी की प्राथमिकता को बदल दिया है।
आज हमारी इम्यूनिटी अपने बुनियादी काम, शरीर को बाहरी अटैक से बचाने एवं दिन प्रतिदिन के रख-रखाव को छोड़ कर शरीर से टॉक्सीसिटी हटाने में लगी हुई है जो एक इमरजेंसी सिचुयेशन है। इस कारण हमारी इम्यूनिटी कमजोर पड़ गई है और कोरोना अटैक से बचाने में अक्षम है। अत: यदि हमें कोरोना से लड़ना है तो हमें अपनी इन्यूनिटी को स्ट्रॉंग बनाना होगा।
इम्यूनिटी स्ट्रॉंग बनाने के लिये देशव्यापी अभियान शुरू करना होगा। एक बार लोगों की इम्यूनिटी स्ट्रॉंग हो जाती है, तो हमें लोगों को कोरोना के पहले जैसी आज़ादी देनी होगी। इससे लोग संक्रमित होना शुरू होंगे, अधिकाँश लोगों की इम्यूनिटी उन्हें बिना किसी लक्षण के स्वस्थ्य कर लेगी, कुछ लोगों को हल्के-फुल्के लक्षण होंगे और ठीक हो जायेंगे, कुछ के लक्षण सीरियस होंगे जिनमें से कुछ बच जायेंगे और कुछ की मृत्यु हो जायेगी।
परन्तु यह निश्चित है कि इस प्रक्रिया में मृत्यु दर मौजूदा हालात से कम होगी क्योंकि सभी की इम्यूनिटी बढ़ाने का देशव्यापी अभियान जो चलाया गया था। इस प्रकार से लोगों में हर्ड इम्यूनिटी डेवलप होगी और देश इस महामारी से निज़ात पा जायेगा। इस प्रक्रिया में सबसे ज़रूरी यह है कि लोगों को अपनी इम्यूनिटी आगे भी स्ट्राँग बनाये रखना होगा जिससे वाइरस का अगला म्यूटेन्ट भी बिना तबाही मचाये हुये निष्क्रिय हो जाये।
कोरोना से बचने का यही एकमात्र उपाय है।
कोरोना की अभी तक कोई दवा नहीं बनी, जिन दवाओं का प्रयोग किया जा रहा वे अधिकतर को घातक सिद्ध हो रही हैं। इन दवाओं से लाभ कम लोगों को हो रहा है और हानि ज़्यादा। अत: मौजूदा परिस्थिति में लक्षण कंट्रोल मेडिसिन के अलावा अन्य सभी दवाओं के प्रयोग पर बैन लगा देना चाहिए। इसके साथ-साथ वैक्सीनेशन की प्रक्रिया तत्काल बंद कर देनी चाहिए क्योंकि वैक्सीन से इम्यूनिटी लो होती है जिससे वाइरस का संक्रमण और तेज़ी से फैल रहा है। वैक्सीन लगवाने से वाइरस की इन्टेनसिटी कम होती है यह एक अफ़वाह है क्योंकि यह तथ्य वैक्सीन के प्रिंसिपल के अनुरूप नहीं है।
कोरोना संक्रमण को रोकने के अभी तक के सभी उपाय निष्फल रहे। आज देश तबाही के कगार पर खड़ा है। देश की स्वास्थ्य सेवायें चरमरा गई हैं। दवायें, बेड, एम्बुलेंस, ऑक्सीजन, वेन्टीलेटर सभी ब्लैक हो रहे हैं। ऐसी संकट की घड़ी में भी लोगों ने कालाबाज़ारी जैसे काम को कर यह साबित कर दिया है कि हमारे देश में इंसानियत ख़त्म है। मरीज़ और मरीज़ों के परिजन रोड पर रोते बिलखते ज़िन्दगी की भीख माँग रहे हैं और असहाय महसूस कर रहे हैं।
देश के डरे हुये असहाय लोगों को हिम्मत दिलानी होगी और यह विश्वास दिलाना होगा कि इम्यूनिटी के अलावा कोरोना का और कोई सल्यूशन नहीं है। लोगों को स्वयं की इम्यूनिटी बढ़ाने के तरीक़े बताने होंगे और देश को हर्ड इम्यूनिटी के माध्यम से कोरोना मुक्त बनाना होगा।
ज़ायरोपैथी देश को कोरोना मुक्त बनाने का बीड़ा उठा चुका है। मुझे उम्मीद है कि सभी देशवासी इस विचारधारा को अपना कर पूरी दुनिया की स्वास्थ्य की परिभाषा को बदल देंगे।
इस आपदा से आपको शत-प्रतिशत बचा सकती है Zyropathy.
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कमान्डर नरेश मिश्रा
फाउन्डर ज़ायरोपैथी
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