बाली वध के उपरांत सुग्रीव को अपराध बोध होता है, और वह प्रायश्चित करते हुए संन्यास के मार्ग पर जाने की बात रामजी से करते हैं। इस पर श्रीराम उन्हें समझाते हुए कहते हैं,
“सन्यासी से अच्छा राजा और कौन हो सकता है? जिसे सिंहासन और सत्ता का लोभ ना हो वही सच्चा न्याय कर सकता है। जिसे निजी विलास और काम में आसक्ति नहीं होगी वही एक तपस्वी की भांति दिन-रात जन सेवा के कार्य में संलग्न रहेगा।
सन्यासी की भांति जिसका ना कोई अपना होगा ना ही पराया होगा वही मोह ममता को त्याग कर ईश्वर की भांति अपनी सारी प्रजा से एक जैसा बर्ताव करेगा। इसीलिए राजा को ईश्वर ही माना गया है।”
आज उत्तरप्रदेश के संन्यासी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विरोधी भी उनके कार्य के आगे नतमस्तक हो रहे हैं। जिस अमेरिकी-यूरोपीय मीडिया ने योगी के मुख्यमंत्री बनने पर अनाप-शनाप लिखा था, आज वो ही योगी के Covid-19 के बेहतर मैनेजमेंट के आगे सिर झुका रहे हैं।
टाइम्स मैगजीन का जो बाइडेन को पर्सन ऑफ़ द इयर का जो हालिया अंक है, उसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा Covid-19 प्रबंधन की प्रशंसा करते हुए तीन पेज का लेख छपा है,
जिसमें लिखा है कि कोविड की वैश्विक लड़ाई में योगी आदित्यनाथ कैसे पूरी दुनिया के लिए आज रोल मॉडल बन चुके हैं।
गोल छेदी टोपी पहनने वाल़ों ने आजतक जनता को टोपी ही पहनाया। भगवा पहनने वाले ने जन-कल्याण को सर्वोच्च रखा। यही अंतर है सनातन और सेक्युलर सोच के बीच।
In the end we all look at so called English magazines for approval. This time once wrote abt Modi as divider in chief. At that time we hated same magazine which we are praising today.