विपुल रेगे। ये ठीक वह समय है, जब वर्तमान सरकार के प्रति पनपा असंतोष सतह पर आता दिखाई दे रहा है। विशेषकर हिंदुत्व और महंगाई पर वर्तमान सरकार मुंह चुराती दिखाई देती है। मीडिया की ओर से प्रश्न होना बंद हो चुके हैं। ऐसा लगता है कि मीडिया को महंगाई, अडानी और ज्ञानवापी में डूबे विश्वेश्वर दिखाई नहीं देते। 2019 के बाद ऐसा पहली बार है कि वर्तमान सरकार के विरुद्ध आम जनता का मुंह खुलने लगा है।
इस समय सरकार और आम जनता के बीच दूरियां बन गई है । सन 2019 तक जनता की बात सुनी जा रही थी लेकिन उसके बाद स्थिति खराब हुई। भाजपा का मूल वोटर नाराज़ है। अपनी सरकार के मुस्लिम तुष्टिकरण पर वह जवाब मांग रहा है। 24 की लड़ाई के लिए भाजपा अपना मूल भगवा त्याग पूर्णतः सेकुलरिज्म अपना चुकी है। राहुल गाँधी पर कार्रवाई का वे लोग भी विरोध कर रहे, जो भाजपा के कट्टर समर्थक हैं। भाजपा के प्रति यदि समर्थकों का मोह भंग हो रहा है तो इसका कारण भाजपा की आईटी सेल भी है।
इस सेल से पोषित इन्फ्लुएंसर्स आम जनता से बड़ा ही अहंकार भरा व्यवहार करने लगे हैं। युट्यूबर्स हो या लेखक, अब जनता इनसे पूछ रही है। इनकी गाली गलौज और अहंकार के चलते बहुत से लोगों ने समर्थन देना बंद कर दिया है। बौद्धिक समर्थन धरातल पर कम हुआ है। सरकार के पक्ष में लिखने वाले बहुत से लेखकों ने जबसे सरकार से प्रश्न करना शुरु किया है, उनको किनारे किया जा रहा है। ये कार्रवाई विशेष रुप से उनके साथ हो रही है, जो हिंदुत्व के मुद्दे पर सवाल करते हैं। इको सिस्टम बनाया तो उसमे वामपंथियों को घुसा लाए। केंद्र को ऐसा लगता है कि पसमांदा से उनको वोट मिल जाएगा। महंगाई पर सरकार सीधी बात नहीं करना चाहती।
तीसरी बार सरकार बनना सम्भव है किन्तु चौथी बार के लिए स्थिति बहुत ख़राब होगी। मूल विचार को त्याग सेकुलरिज्म का चोला ओढ़ना संकट लेकर आएगा। वर्तमान स्थिति में उन हिन्दुओं की स्थिति विचित्र हो गई है, जिन्होंने केवल हिंदुत्व के मुद्दे पर भाजपा को वोट दिया था। ऐसे में हिन्दू भी दो श्रेणी में बंट गए हैं। सरकार समर्थित सरकारी हिन्दू और सनातन पर प्रश्न करने वाले हिन्दू। सरकारी हिन्दुओं के पास अब तक नोटा दबाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, इतने में क्षितिज पर एक अन्य राजनीतिक दल का उदय हुआ।
सनातनी विचारधारा के राष्ट्रवादी पत्रकार-लेखक संदीप देव और जम्मू के अंकुर शर्मा ने मिलकर एक राजनीतिक दल का गठन कर डाला है। इस दल का नाम ‘एकम सनातन भारत पार्टी ‘ है। एकम सनातन भारत पार्टी अपने ‘सप्त सूत्र’ लेकर देश के नागरिकों के सम्मुख आई है। ये पार्टी इसी वर्ष लोकसभा चुनाव में अपनी दावेदारी प्रस्तुत करने जा रही है। ये पार्टी मंदिरों और मठों को स्वतंत्र कराने की बात कर रही है। इसके अलावा गौ हत्या पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाना, गाय, गंगा और रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करना भी इसके सूत्रों में शामिल है।
इस नए दल को सोशल मीडिया पर सनातनियों का भरपूर समर्थन मिलने लगा है। जो सनातनी भाजपा छोड़कर कांग्रेस को समर्थन करना नहीं चाहते हैं और अपनी बात सरकार और जनता तक पहुंचाना चाहते हैं, उनके लिए ये विकल्प बड़ा चर्चित हो रहा है।