उनका होना जल्दी दुखान्त है
हमें चाहिये अच्छा शासन, कानून का शासन, अच्छी-सरकार ;
फौरन ई वी एम हटाओ , चुनाव-आयोग एकदम बेकार ।
केवल अपने लिये जो जीता ,उसका जीवन पशु से बदकर ;
निन्यानबेप्रतिशत नेता-अफसर,इनका जीवन इससे भी बढ़कर
धर्म से दूरी इसका कारण , चरित्रहीनता भ्रष्टाचार ;
धार्मिक – शिक्षा कभी न पायी , पूरी – शिक्षा है बेकार ।
फलत: पूरी तरह अनैतिक , सारे दुर्गुण भरे हुये हैं ;
इनकी आत्मा इतनी गंदी , समझो कि ये मरे हुये हैं ।
विकट परिस्थिति है भारत की , देश के चौकीदार चोर हैं ;
सौ में शायद एक हो सच्चा , वो भी बेचारा कमजोर है ।
पूरे कुएं में भंग खुली है , पीकर सब मदमस्त हैं ;
इनको हर-क्षण अय्याशी भाती , पूरा – शासन मृतवत है ।
भारत पूरी-तरह घिरा है , अंदर – बाहर हर ओर शत्रु हैं ;
देश का नेता-देश का दुश्मन , शत्रु ही इसके परम-मित्र हैं ।
हिंदू ! का ये घोर-शत्रु है , जिसको हिंदू ! समझ न पाया ;
महामूर्ख अज्ञानी हिंदू ने , अपना हृदय सम्राट बनाया ।
जो अपना शत्रु नहीं पहचाने , उसको गले लगाता है ;
ऐसा हिंदू क्या बच सकता है ? छुरा पीठ पर खाता है ।
सदियों से है यही कहानी , बार-बार दोहरायी जाती ;
जागो हिंदू ! अब तो जागो , तुझको अक्ल क्यों नहीं आती ?
क्योंकि अज्ञान का मोटा-पर्दा , अपनी आंखों पर टागें है ;
स्वार्थ , लोभ , भय , भ्रष्टाचार से , नहीं सोचता आगे है ।
स्वार्थ ,लोभ ,लालच के गुड़ में , चींटा बनकर हिंदू चिपका है ;
गुड़ से नहीं छूटता चींटा , उसी में मरकर चिपका है ।
बिल्कुल यही हाल हिंदू का , अंधी-दौड़ है पद-पैसों की ;
इसी में फंसकर मर जाना है , कितनी चाहत गंदे-पैसों की ?
जागो हिंदू ! अब तो जागो , अब तो अपना उद्धार करो ;
धर्म – सनातन में आकर के , अपना पूर्ण – सुधार करो ।
सारी बिगड़ी बात बनेगी , अभी भी ज्यादा देर नहीं है ;
पर अबकी चूके तो नहीं बचोगे , क्या ऐसा अंधेर कहीं है ?
हिंदू को खाते हिंदू – नेता , कितने मंदिर तोड़ रहे हैं ?
पर हिंदू ! चुपचाप देखता , अपनी किस्मत फोड़ रहे हैं ।
हिंदू ! कब तक चुपचाप रहोगे ? क्या इसी तरह से मरना है ?
यदि तेरी यही है फिर भी इच्छा , तो जल्दी पूरी होना है ।
जैसी मति – वैसी गति , ये शाश्वत – सिद्धांत है ;
धर्महीन – अज्ञानी – हिंदू , उनका होना जल्दी दुखान्त है ।