एक बार फिर काला धन देश का मुद्दा बनने जा रहा है। स्विस बैंक में भारतीयों के जमा पैसों में अचानक हुई बृद्धि का मामला तूल पकड़ने लगा है। पीयूष गोयल ने मीडिया को जवाब देते हुए बताया कि यह सारी जानकारी हमारे पास आने वाली है, इसलिए आप लोग कैसे कह सकते हैं कि यह काला धन है? पीयूष गोयल ठीक कह रहे हैं, क्योंकि समझौते के मुताबिक जनवरी 2019 में स्विस बैंक से यह सारी सूची भारत को सौंप देगा।
ऐसे में विपक्ष एवं मीडिया केवल जनता को गुमराह करने और मोदी सरकार पर हमला करने के लिए शोर मचा रही है। लेकिन इस पर पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का जिस तरह की प्रतिक्रिया आयी है, वह संतोषजनक नहीं है। वह जवाब भी दे रहे हैं और नहीं भी दे रहे हैं? कहीं ऐसा तो नहीं कि अपने वित्त मंत्रालय में पीयूष गोयल के बेहतरीन कार्य को देखकर वह कुछ अपसेट हैं और अपना मंत्रालय वापस चाहते हैं? जबकि अभी किडनी प्रत्यारोपण के बाद उन्हें आराम की जरूरत है। लेकिन उनके गोलमोल जवाब में उनके चहेते मीडिया के लिए संकेत भी है और कहने को उन्होंने मोदी सरकार के पक्ष में जवाब भी दे दिया है! ज्ञात हो कि कार्यवाहक वित्त मंत्री अभी पीयूष गोयल हैं।
अरुण जेटली ने जिस तरह साफ-साफ जवाब देने के इसका जलेबी बनाया है, उससे उनसे पूछा ही जाना चाहिए कि बताइए आपके इतने कदम उठाने पर भी स्विस बैंक में भारतीयों का पैसा क्यों बढ़ रहा है? पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने ब्लॉग में पोस्ट लिखकर यह बताया है कि देश में रिकार्ड स्तर पर कर कलेक्शन हुआ है। उन्होंने जनवरी 2019 में स्विस बैंक से मिलने वाली सूचना का जिक्र तो किया है, लेकिन उसे भी एक संदेह की तरह पेश किया है। यही नहीं, इस सूचना तक आने से पहले उन्होंने कर कलेक्शन से लेकर नोटबंदी, जीएसटी आदि का जिक्र करते हुए इसे इतना भारी बना दिया है कि जनता समझ ही नहीं पाए।
ऐसे में जब डॉ सुब्रहमनियन स्वामी ने इशारों इशारों में अरुण जेटली पर सवाल उठाया है तो उन्हें खुलकर इसका जवाब देना चाहिए, न कि जनता के मन में संदेहास्पद स्थिति उत्पन्न करने का प्रयास करना चाहिए। जेटली जी आज कर कलेक्श में वृद्धि मत दिखाइये, आज तो स्वीस बैंक में पैसा जमा करने वालों का नाम बताइये, जिसको लेकर आपकी अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेता सुब्रहमण्यम स्वामी सवाल उठा रहे हैं? इस मामले में आज भी उन्होंने आप पर और आपके मंत्रालय पर सवाल खड़ा किया है?
ज्ञात हो कि स्विस बैंक ने जारी अपने ताजा आंकड़े में बताया है कि पिछले एक साल में भारतीयों की जमा पूंजी में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले तीन सालों से ये आंकड़े लगातार घट रहे थे। लेकिन अचानक 2017 में इतनी वृद्धि ने मोदी सरकार के काला धन के खिलाफ अभियान को गहरा धक्का लगा है। स्विस बैंकों में जमा भारतीयों का पैसा तीन साल से गिर रहा था लेकिन साल 2017 में अचानक से इसमें वृद्धि हुई है। पिछले साल स्विस बैंकों में भारतीयों का पैसा 50 फ़ीसदी बढ़कर 1.01 अरब स्विस फ़्रैंक (क़रीब सात हज़ार करोड़ रुपए) पर पहुंच गया है।
ये आंकड़े स्विस नेशनल बैंक ने जारी किए हैं। स्विट्ज़रलैंड के सेंट्रल बैंक (SNB) ने जो आंकड़े सामने रखे हैं, उनके मुताबिक स्विस बैंकों में सभी विदेशी ग्राहकों का पैसा साल 2017 में 3 फ़ीसदी बढ़कर 1.46 लाख करोड़ स्विस फ़्रैंक या क़रीब 100 लाख करोड़ रुपए हो गया है।
ब्लूमबर्ग के मुताबिक साल 2016 मोदी सरकार के लिए राहत लेकर आया था क्योंकि इस साल स्विस बैंकों में भारतीयों का पैसा 45 फ़ीसदी घट गया था। साल 1987 से स्विट्ज़रलैंड ने इन आंकड़ों की जानकारी दे रहा है और भारत के मामले में 2016 की गिरावट सबसे बड़ी थी, लेकिन हालिया आंकड़ों ने नई चिंता पैदा कर दी है। SNB के मुताबिक स्विस बैंकों में भारतीयों का जो पैसा है, उनमें व्यक्तिगत रूप से जमा धन बढ़कर 3200 करोड़ रुपए, दूसरे बैंकों के ज़रिए जमा रकम 1050 करोड़ रुपए और प्रतिभूतियों (सिक्योरिटीज़) के रूप में 2640 करोड़ रुपए शामिल है। साल 2006 के अंत में स्विस बैंकों में भारतीयों का पैसा 23 हज़ार करोड़ रुपए था लेकिन बीते एक दशक में इसमें काफ़ी कमी आई है।
URL: Jaitley sir public wants to know names of Swiss bank depositors not tax collection data
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