अर्चना कुमारी। जामिया हिंसा मामले में शरजील इमाम, सफूरा ज़रगर समेत 11 आरोपियों के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा आरोप तय किए जाने के फैसले को चुनोती देने का मामला सर्वोच्च अदालत में पहुंचा लेकिन सुप्रीम कोर्ट से मामले से जुड़े आरोपियों को नही मिली राहत। बताया जाता है सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाइकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा।
बताया जाता है कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा हाई कोर्ट के आदेश में बदलाव का कोई आधार नही बनता। सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि इस आदेश के बाद 2019 जमिया हिंसा मामले में शरजील इमाम, सफूरा जरगर समेत अन्य आरोपियो के खिलाफ अब निचली अदालत में तय होंगे आरोप।
अब इन आरोपियो को निचली अदालत में मुकदमे का सामना करना पड़ेगा
दरअसल 2019 जामिया हिंसा मामले में शरजील इमाम, सफूरा ज़रगर समेत 11 आरोपियों को बरी करने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली दिल्ली पुलिस की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि पहली नज़र में साफ है कि शरजील समेत बाकी लोग भीड़ में मौजूद थे… वो न केवल दिल्ली पुलिस मुर्दाबाद के नारे लग रहे थे, बल्कि बैरिकेड को भी हिंसक तरीके से हटाने की कोशिश कर रहे थे.
कोर्ट ने कहा था कि अभिव्यक्ति की आजादी और प्रदर्शन के अधिकार का हवाला देकर शांति भंग करने या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की इजाजत नहीं दी जा सकती गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट में शरजील इमाम, आसिफ इकबाल तन्हा और सफूरा ज़रगर समेत 9 लोगों पर आइपीसी 143, 147, 149, 186, 353, 427 के तहत आरोप तय किए थे।
बाकी दो लोगों मोहम्मद अबुजर और मोहम्मद शोएब को हाईकोर्ट ने आरोप मुक्त कर दिया था।
दिल्ली हाई कोर्ट के इसी आदेश के खिलाफ आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। लेकिन सर्वोच्च अदालत से आरोपियों को कोई फायदा अब तक नहीं मिल सका है।