कुछ मीडिया घरानों में मोदी सरकार के प्रति इतना बैर भाव भरा है कि उनके नेताओं की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के संदर्भ में भी फेक न्यूज परोस देते हैं। जनसत्ता तथा एनडीटीवी ने भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर हुई सुनवाई को लेकर फेक न्यूज प्रचारित किया है। अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका खुद वापस ली है लेकिन ‘एनडीटीवी’ और ‘जनसत्ता’ ने इस संदर्भ में ऐसी खबरें प्रकाशित की है जैसे सुप्रीम कोर्ट ने भाजापा नेता अश्विनी उपाध्याय को अपराधी घोषित कर दिया हो। याचिका वापस लेने के बाबत सीजीआई रंजन गोगोई के नेतृत्व में तीन सदस्यीय पीठ द्वारा दी गयी मान्यता(आर्डर) की कॉपी इंडिया स्पीक्स के पास मौजूद है’!

उपरोक्त अर्जी से साफ़ पता चलता है जिस पेटीशन पर एनडीटीवी और जनसत्ता भाजपा प्रवक्ता को सुप्रीम कोर्ट की फटकार बता रहे हैं उसको याचिकाकर्ता ने वापस लिया है न कि सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की पीठ द्वारा ख़ारिज किया गया है! इसमें कहीं भी मी लार्ड द्वारा नाराजगी जताने तक का जिक्र नहीं है फटकारने की बात तो दूर!
मुख्य बिंदु
* याचिका वापस लेने को जहां एनडीटीवी ने खारिज करना बताया है वहीं जनसत्ता ने फटकारने की बात लिखी है
* जबकि सीजेआई के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय पीठ ने अश्विनी उपाध्याय को याचिका वापस लेने की अनुमति दी है
दुनिया की लताड सहने के बाद अपने अस्त की ओर अग्रसर ‘जनसत्ता’ ने अपनी फेक न्यूज में लिखा है कि जजों ने अश्विनी उपाध्याय को फटकार लगाई वहीं दर्शकों को बुला-बुलाकर अपना शो दिखाने वाला ‘एनडीटीवी’ ने लिखा है कि मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई ने चुनाव सुधार को लेकर दी गई उनकी याचिका खारिज कर दी। जबकि सच्चाई यह है कि अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका स्वयं वापस ले ली है, जिसे न्यायमूर्ति रंजन गोगोई समेत तीनों जजों ने मान्यता दे दी। सवाल उठता है कि जब सुप्रीम कोर्ट का कोई वकील स्वयं ही अपनी याचिका वापस ले रहे हैं तो फिर उसमें फटकारने और याचिका खारिज करने का सवाल ही कहां उठता है?
कोर्ट के आदेश में स्पष्ट रूप से लिखा है कि पेटिशनर अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर याचिका वापस लेने की अनुमति दी जाती है।
URL: Jasatta and NDTV serving Fake News even on Supreme Court hearing
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