अर्चना कुमारी। भाजपा नेता के हत्यारे जीवा की हत्या की गई लखनऊ सिविल कोर्ट में मुलजिम को मारी गई गोली, हमलावर वकील के भेष में पहुंचा था । बताया जाता है कि भाजपा के कद्दावर नेता ब्रम्ह दत्त द्विवेदी की हत्या में संजीव जीवा को उम्रकैद की सजा सजा सुनाई गई थी और बुधवार को उसे मौत के घाट उतार दिया गया। बताया जाता है,पोस्को कोर्ट गेट पर मुलजिम को मारी गई गोली और एक शूटर पकड़ा गया।
पुलिस सूत्रों का दावा है कि कुख्यात हत्यारे की पहचान विजय यादव पुत्र श्यामा यादव निवासी केराकत जिला जौनपुर के रूप में हुई है। अतीक और अशरफ के मौत के बाद उत्तर प्रदेश में इस तरह की घटना होने से प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले की जांच के लिए एसआईटी को गठित किया है ।
बताया जाता है कि 3 सदस्य कमेटी 1 हफ्ते के अंदर ही रिपोर्ट पेश करेगी और कमेटी में मोहित अग्रवाल ADG टेकनिकल सर्विसेज ,जवाइन्ट CP LKO नीलब्ज़ा चौधरी ,आईजी अयोध्या प्रवीण कुमार शामिल किए गए हैं। सूत्रों का कहना है कि मुख्तार अंसारी और मुन्ना बजरंगी का खास रहा जीवा वेस्ट यूपी का एक कुख्यात अपराधी था, उसने कंपाउंडर के तौर पर नौकरी शुरू की और अपने मालिक को किडनैप कर लिया था। संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा फिलहाल लखनऊ की जेल में बंद था। हाल ही में प्रशासन द्वारा उसकी संपत्ति भी कुर्क की गई ।
90 के दशक में संजीव माहेश्वरी ने अपना खौफ पैदा शुरू किया, फिर धीरे-धीरे वह पुलिस व आम जनता के लिए सिर दर्द बनता चला गया। बीते दिनों शामली पुलिस ने उसी के गैंग के एक शख्स को एके-47,करीब 1300 कारतूस व तीन मैगजीन के साथ पकड़ा । शामली पुलिस ने रास्ते में चेकिंग के दौरान अनिल नाम के शख्स को धर दबोचा था, जीवा मुजफ्फरनगर का रहने वाला शुरुआती दिनों में वह एक दवाखाना संचालक के यहां कंपाउंडर के नौकरी करता था।
इसी नौकरी के दौरान जीवा ने अपने मालिक यानी दवाखाना संचालक को ही अगवा कर लिया था। इस घटना के बाद उसने 90 के दशक में कोलकाता के एक कारोबारी के बेटे का भी अपहरण किया और फिरौती दो करोड़ की मांगी थी। इसके बाद जीवा हरिद्वार की नाजिम गैंग में घुसा और फिर सतेंद्र बरनाला के साथ जुड़ा ।इसके बाद उसका नाम 10 फरवरी 1997 को हुई भाजपा के कद्दावर नेता ब्रम्ह दत्त द्विवेदी की हत्या में सामने आया। जिसमें बाद में संजीव जीवा को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।
जीवा थोड़े दिनों बाद मुन्ना बजरंगी गैंग में घुस गया और इसी क्रम में उसका संपर्क मुख्तार अंसारी से हुआ। मुख्तार को अत्याधुनिक हथियारों का शौक था तो जीवा के पास हथियारों को जुटाने के नेटवर्क था। इसी कारण उसे अंसारी का वरदहस्त भी प्राप्त हुआ और फिर संजीव जीवा का नाम कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी आया।,
कुछ सालों बाद मुख्तार और जीवा को साल 2005 में हुए कृष्णानंद राय हत्याकांड में कोर्ट ने बरी कर दिया था। संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा पर 22 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए। इनमें से 17 मामलों में संजीव बरी हो चुका है, जबकि उसकी गैंग में 35 से ज्यादा सदस्य हैं। संजीव पर जेल से भी गैंग ऑपरेट करने के आरोप लगते रहे हैं।
जीवा पर साल 2017 में कारोबारी अमित दीक्षित उर्फ गोल्डी हत्याकांड में भी आरोप लगे थे, इसमें जांच के बाद अदालत ने जीवा समेत 4 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। साल 2021 में जीवा की पत्नी पायल ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को पत्र लिखकर कहा था कि उनकी (जीवा) जान को खतरा है। पायल 2017 में आरएलडी के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ चुकी हैं और उन्हें हार मिली थी।