देश की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में 9 फरवरी 2016 को देश को टुकड़े करने वाले देश विरोधी नारे लगाने के मामले के दोषी उमर खालिद और कन्हैया कुमार की पीएचडी निलंबित कर दी गई है। इस मामले की जांच के लिए गठित उच्चस्तरीय जांच समिति ने पहली जांच समिति रिपोर्ट को सही ठहराते हुए दोषियों को दी गई सजा को बरकरार रखने का फैसला किया था। दूसरी जांच समिति ने भी अपनी रिपोर्ट प्रबंधन को भेज दिया है। इसमें भी उमर खालिद के यूनिवर्सिटी से निष्कासन और कन्हैया कुमार पर 10 हजार रुपये जुर्माना को जारी रखा गया है। अब सवाल उठता है कि तीसरे आरोपी अनिर्बन भट्टाचार्य की पीएचडी का क्या होगा, क्योंकि वह 2017 में ही अपनी पीएचडी पूरी कर कैंपस छोड़ चुका है।
मुख्य बिंदु
*जेएनयू परिसर में देश विरोधी नारे लगाने के दोषियों के दो सेमेस्टर कर दिेए गए थे निलंबित
*दो सेमेस्टर निलंबित होने के बाद भी तीसरे दोषी अनिर्बान ने कैसे पूरी कर ली अपनी पीएचडी?
जेएनयू परिसर में देश विरोधी नारे लगाने के मामले में गठित जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में तीनों दोषियों यानि कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य के दो-दो सेमिस्टर निलंबित करने की सिफारिश की थी। पहली जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर उच्चस्तरीय जांच समिति ने भी तीनों की सजा बरकरार रखी है। उच्चस्तरीय जांच समिति अपनी रिपोर्ट यूनिवर्सिटी प्रबंधन को भेज दी है। जब कन्हैया, उमर खालिद और अनिर्बन के दो-दो सेमिस्टर ही निलंबित हैं तो फिर पीएचटी पूरी होने की बात ही कहां आती है। ऐसे में अनिर्बन की पीएचडी भी पूरी नहीं मानी जाएगी। अब सवाल उठता है कि जब तीनों के दो-दो सेमिस्टर निलंबित थे तो अनिर्बन ने अपनी पीएचडी पूरी कैसे की?
कन्हैया कुमार, उमर खालित और अनिर्बन भट्टाचार्य जैसे देश विरोधियों को ऐसी सजा मिलनी ही चाहिए थी। उच्चस्तरीय जांच समिति के इस फैसले पर कई लोगों ने प्रतिक्रिया दी है ऐसी ही प्रतिक्रिया जी न्यूज के संपादक सुधीर कुमार ने ट्वीट कर इस फैसले पर खुशी जाहिर की है।
2016 में @ZeeNews द्वारा जेएनयू में भारत तेरे टुकड़े होंगे गैंग का पर्दाफ़ाश करने के बाद आख़िरकार दोषी छात्र नेताओं को सज़ा मिल गयी।हमारी मुहिम कामयाब रही इस बात का संतोष है।आप सभी ने सच का साथ दिया।सच परेशान हो सकता है पराजित नहीं। pic.twitter.com/dWwrNqlonS
— Sudhir Chaudhary (@sudhirchaudhary) July 6, 2018
उच्चस्तरीय जांच समिति की सजा पर सवाल!
ऐसा नहीं है कि उच्चस्तरीय जांच समिति द्वारा निर्धारित सजा सभी को मान्य ही है। क्योंकि इस मामले कुछ और लोगों को सजा दी गई है। लेकिन उनका कहना है कि देश विरोधी नारे में शामिल होने वालों और देश विरोधियो के खिलाफ विरोध करनेवालों को एक सजा कैसे मिल सकती है? यह सवाल जेएनयू छात्र संघ के पूर्व संयुक्त सचिव तथा अभाविप (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) के पदाधिकारी शौरभ शर्मा ने उठाया है। उन्होंने उच्चस्तरीय जांच समिति पर वामपंथी छात्र संगठनों से मिलीभगत करने का भी आरोप लगया है। उन्होंने अपने ऊपर लगाए गए जुर्माने की राशि नहीं भरने का ऐलान किया है। हालांकि शर्मा ने जो सवाल उठाया है वह सांदर्भिक है। जांच समिति को यह विचार करना चाहिए कि देश विरोधी और देशविरोधियो के विरोध में आवाज उठाने वालों को एक जैसी सजा कैसे दी जा सकती है।
URL: JNU Row,high level probe committee upholds punishments for khalid and kanhaiya-1
Keywords: JNU, Anti national slogan, JNU, Umar Khalid, Kanhaiya kumar, PHD degree cancelled, punishment, Expulsion, जेएनयू,, जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय, देश विरोधी नारा, उमर खालिद, कन्हैया कुमार, अनिर्बन भट्टाचार्य, पीजी डिग्री