जो समाज भेड़ बन जाता , वो डंडे से हांका जाता ;
उसका पुरसाहाल नहीं है , तरह-तरह से मारा जाता ।
उसको कुर्बान किया जाता है , काट के खाया जाता है ;
शेरों की कोई बलि न होती , भेंड़ों को काटा जाता है ।
हिंदू समाज क्यों भेड़ बन रहा ? सरकारी- हिंदू बना रहे ;
तरह – तरह से लुटते जाते , मंदिर भी उनके टूट रहे ।
इन पर अत्याचार हो रहे , नेता अपनी चाल चल रहे ;
इनको मौत का भय दिखलाकर , इनके वोट को लूट रहे।
महामूर्ख है इतना हिंदू , चुपचाप भेंड़ बनता जाता ;
क्या बंगाल है ?क्या कश्मीर है ?पूरे देश से हटता जाता ।
भारत के जो मूल निवासी , उनसे सब कुछ लुटता जाता ;
जान-माल इज्जत भी जाती,धर्म भी उनका मिटता जाता।
झूठे इतिहास व गंदी शिक्षा से , हिंदू का ये हाल हुआ ;
कोढ़ में खाज है उनका नेता , रोकर जो बेहाल हुआ ।
हिंदू अपना शौर्य जगायें , या फिर भेंड़ समान कट जायें ;
एक मात्र है मार्ग – सनातन , हिंदू में जो शौर्य जगाये ।
रोजी – रोटी का चक्कर बाद में , पहले धर्म सनातन है ;
धर्म ही तेरी रक्षा करता , ये ही सत्य पुरातन है ।
अस्तित्व बचाना जो हिंदू को , धर्म मार्ग पर वापस आयें ;
सोशल मीडिया तेरा गाइड,तुझको सच्चा इतिहास बताये।
सच्चे-इतिहास को हिंदू जाने ,धर्म की शिक्षा घर- घर हो ;
तुझमें साहस – शौर्य जगेगा , शेर के बच्चे घर घर हों ।
कायर , स्वार्थी हिंदू – नेता , सत्ता से हट जायेंगे ;
राष्ट्रभक्त और चरित्रवान ही , फिर सत्ता में आयेंगे ।
हिंदू जैसा बन जायेगा , वैसे ही नेता आयेंगे ;
शौर्यवान जब हिंदू होगा , नेता तभी साहसी होंगे ।
शाहीन बाग फिर कभी न होंगे, कोई रोड जाम न होगा ;
आक्रांता ,बर्बर ,हत्यारा , उसका नामोनिशां न होगा ।
भ्रष्टाचार हटेगा तब ही , कानून का शासन आयेगा ;
सबका जीवन तभी सुरक्षित , सच्चा लोकतंत्र आयेगा ।
धर्म – सनातन की ताकत से , सारा अत्याचार मिटेगा ;
वामी ,कामी ,जिम्मी, जेहादी , सारा गुंडा- तत्व मिटेगा ।
भेंड़पना हर हिंदू त्यागे , राष्ट्र बचाने को सब आओ ;
धर्म -सनातन साथ तुम्हारे , देश को हिंदू- राष्ट्र बनाओ ।
“वंदेमातरम-जयहिंद”
रचयिता:ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”