वाजपेयी सरकार के समय सक्रिय हुए तहलका, अंग्रेजी आउटलुक और #NDTV व उससे निकले सारे गैंग मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए फिर से सक्रिय हैं। इनके निशाने पर 2004 तक वाजपेयी सरकार, उसके बाद गुजरात सरकार और 2014 से मोदी सरकार है!
इसी गिरोह से निकला अनिरुद्ध बहल और उसके कोबरा पोस्ट ने एक स्टिंग में यह दावा किया है कि #RSS धर्मांतरण करवा रही है! स्टिंग को देखिए तो वही पुराना फार्मूला आजमाया गया है, जिसे पहले भी यह गैंग आजमाती रही है कि किन्हीं एक-दो आदमी को पकड़ो और उसके बकवास को पूरे संगठन और सरकार की नीति बनाकर पेश कर दो। तहलका में किए गए आशीष खेतान की इस घपलेबाजी को सुप्रीम कोर्ट हर बार खारिज करती रही है, लेकिन चूंकि इस गिरोह का जर्नलिज्म से वास्ता होता नहीं, इसलिए ये एक एजेंडे और पैसे के लिए इसे करते रहते हैं। 2009 में केरल उच्च न्यायालय के तत्कालीन न्यायाधीश के.टी. शंकरन ने लव-जिहाद पर कटु टिप्पणी करते हुए कहा था, ‘ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि प्यार की आड़ में जबरन मतांतरण की साजिश चल रही है। छल-कपट के आधार पर इस तरह के मतांतरण को स्वीकार नहीं किया जा सकता।’
लेकिन इस पर आप चर्चा करेंगे तो रवीश कुमार जैसे पत्रकार आपको नफरत फैलने वाला कहेंगे, लेकिन यदि कोबरापोस्ट यदि RSS पर यह आरोप लगाएगा तो यह गिरोह भारत में अल्पसंख्यक असुरक्षित-के रूप में पेश करेगा! मेरा साफ मानना है कि ऐसे प्रोपगंडावादियों को पूरी तरह से कुचल देना चाहिए, अन्यथा मोदी भी वाजपेयी के गत को प्राप्त होंगे! यह सूचनाओं के युद्ध का काल है, यहां धृतराष्ट्र जैसों के लिए कोई स्थान नहीं है