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India Speaks Daily > Blog > समाचार > भ्रष्टाचार > वो मीलॉड का प्रेस कांफ्रेंस ! वो सुप्रीम अदालत के फैसले से ऊपर प्रवक्ताओं का फैसला !…अब माई लॉड के आदेश को नजरअंदाज करते, जेपीसी के दलीलों के मायने….
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वो मीलॉड का प्रेस कांफ्रेंस ! वो सुप्रीम अदालत के फैसले से ऊपर प्रवक्ताओं का फैसला !…अब माई लॉड के आदेश को नजरअंदाज करते, जेपीसी के दलीलों के मायने….

Manish Thakur
Last updated: 2018/12/14 at 4:30 PM
By Manish Thakur 135 Views 6 Min Read
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6 Min Read
Supreme-Court-Rafale-Deal-hearing (File Photo)
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राफेल पर सुप्रीम आदेश के बाद भी घमासान ! कई बार लगता है यही शायद लोकतंत्र की पूंजी है। राहुल गांधी या पूरे विपक्ष को आखिर क्यों मान लेना चाहिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला ! सामने चार महिने बाद लोकसभा चुनाव है। तो एक राफेल ही वो मुद्दा जिससे विपक्ष, सरकार को कटघरे में रख सके। लोकतंत्र परसेप्सन से चलता है। अदालत दलीलों से चलती है। कानून एक ही होता है। दलीलें फैसले बदल देते हैं। एक अदालत से बरी किया गया अभियुक्त कानून की उसी धारा के अंदर कई बार फांसी के फंदे से लटक जाता है। इस देश का कानून कहता है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानना पड़ेगा आपको। लेकिन सुप्रीम अदालत के फैसले से असहमती का पूरा अधिकार आपका। रफेल पर दोनों पक्षों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में जो तर्क दिए गए उस पर अदालत ने फैसला सुना दिया। जनता की अदालत को भी तो फैसला सुनाना है।

अब माई लॉड को भी तो समझना होगा कि वो प्रेस कांफ्रेस कितना भारी पड़ गया जिसने भारत के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी इस स्तर तक ला दिया। कहां माना गया था कि प्रेस कांफ्रेस करने वाले जज विपक्ष के मुताबिक फैसला देंगे। कहां फैसला उसके उलट हो गया!  देश के अंदर यह धारणा क्यों बन गई कि यदि अदालत ने हमारे मुताबिक फैसला नहीं दिया तो हम उसे नहीं मानेंगे। आप अदालत के फैसले को मानिए या नहीं जनता के फैसले को मानना होगा। इसीलिए अदालत के फैसले से असहमती रखिए लेकिन सुप्रीम अदालत के सम्मान के साथ। तर्क तो हर किसी का अपने आप में भारी है। यही लोकतंत्र की खासियत है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश रॉफेल पर दिया वो उनके लिए पचा लेना भारी है जिनने राफेल को एक बड़ा मुद्दा बनाया…

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शुक्रवार को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ  ने कई अहम टिप्पणियां की। यही फिलहाल रॉफेल पर सुप्रीम आदेश है..

  1. राफेल विमान सौदे में कोई संदेह नहीं है।
  2. राफेल की गुणवत्ता पर कोई सवाल नहीं हैं।
  3. राफेल सौदे में कोई संदेह नहीं है इसलिए इससे जुड़ी सभी याचिकाओं को खारिज किया जाता है।
  4. चीफ जस्टिस बोले कि राफेल विमान हमारे देश की जरूरत है।
  5. चीफ जस्टिस ने कहा कि ऑफसेट पार्टनर की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है. किसी व्यक्ति के लिए निजी धारणा के आधार पर डिफेंस डील को निशाने पर नहीं लिया जा सकता है।
  6. राफेल सौदे के दाम, प्रक्रिया और ऑफसेट पार्टनर किसी भी मुद्दे पर हमें कोई दिक्कत नहीं है।
  7. इस फैसले को लिखते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा और सौदे के नियम को ध्यान में रखा. मूल्य और जरूरतें भी हमारे ध्यान में रही थीं।
  8. शीर्ष अदालत ने कहा कि कीमतों के तुलनात्मक विवरण पर फैसला लेना अदालत का काम नहीं है।

भारत सरकार ने फ्रांस से 36 लड़ाकू विमान खरीदने के सौदे का बचाव किया था सरकार ने करीब 58,000 करोड़ रुपए की कीमत से 36 राफेल विमान खरीदने के लिए फ्रांस के साथ समझौता किया है ताकि भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता में सुधार किया जा सके। सन 1985 के बाद से भारत ने  अपने वायुसेना के लिए कोई विमान नहीं खरीदा। सुप्रीम कोर्ट के लिए यह भी चिंता का बड़ा कारण था। जानते हैं क्यों ? क्योंकि बोफोर्स तोप मामले का वीपी सिंह द्वारा देश व्यापी मुद्दा बनाने के बाद हमारी हर सरकार रक्षा सौदे डरती रही। कहीं न कहीं यह भय मोदी सरकार को भी था। शायद यही कारण है कि रक्षा मंत्रालय जैसे गंभीर मंत्रालय चार साल तक उपेक्षित रहा। कभी मनोहर परिकर तो कभी जेटली जैसे साख वाले नेता के पास यह मंत्रालय रहा तो अंत में ईमानदार साख वाली गुमनाम सी नेत्री निर्मला सीतारमण के पास। भारतीय राजनेता को पता है हर घोटाले को देश की जनता पचा सकती है रक्षा घोटाले को नहीं। यही कारण है सरकार चार साल तक किसी सौदे से डरी रही जब सौदा हुआ तो विपक्ष को मुद्दा मिल गया। अब यह नैतिक सवाल हो सकता है कि देश की सुरक्षा के मसले पर राजनीति हो या नहीं। लेकिन लोकतंत्र में उससे भी अहम सवाल है कि कोई राजनीतिक दल क्या सत्ता की लड़ाई छोड़ दे!  आरोप प्रत्यारोप का यह दौर चलते रहना चाहिए। जनता की अदालत के फैसले तो उन सब को मानना होता है जो सुप्रीम अदालत को प्रेस कांफ्रेस के लिए मजबूर कर देते हैं। आखिर माई लॉड को भी तो अपना संदेश जनता की अदालत तक ही तो पहुंचाना था। अब तय तो जनता को करना है किसके दलील में कितना दम है। राफेल की रफ्तार में किसे फुर्र हो जाना है।

 

URL : judgment on rafale  defence deal sc finds no irregularities inpurchase .

Kewords : Rafale deal ,supreme court,congress,modi goverment

 

 

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TAGGED: Attack on PM Modi, congress conspiracy, rafale deal, SUPREME CORT, कांग्रेस पार्टी, पीएम मोदी, रॉफेल डील, सुप्रीम कोर्ट
Manish Thakur December 14, 2018
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